छूट प्राप्त श्रेणियों पर प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखना - आरबीआई - Reserve Bank of India
छूट प्राप्त श्रेणियों पर प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखना
भारिबैं/2005-06/425
ग्राआऋवि.आरएफ.बीसी.सं.94 /07.02.01/2005-06
22 जून 2006
सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक
तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
महोदय,
छूट प्राफ्त श्रेणियों पर प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखना
कृपया आप उपर्युक्त विषय पर दिनांक 31 दिसंबर 2001 का परिपत्र ग्राआऋवि.सं. आरएफ.बीसी.49/07.02.05/2001-02 (सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों को संबोधित ) दिनांक 31 दिसंबर 2001 का ग्राआऋवि.सं.आरएफ.बीसी. 50/07.02.05/ 2001-02 (सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकां को संबोधित) तथा दिनांक 8 दिसंबर 2005 का ग्राआऋवि. केका. आरएफ.बीसी. 53/07.02.01/2005-06 देखें ।
2. उसमें निहित अनुदेशों के अनुसार प्रत्येक अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक को निम्नलिखित देयताओं पर औसत प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखने से भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1) के अधीन परिकलित उसकी कुल मांग और मीयादी देयताओं पर 3 प्रतिशत का सांविधिक न्यूनतम प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखने की शर्त पर छूट प्राप्त है :
(व) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप-धारा (1) के स्पष्टीकरण के खंड (घ) (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के मामले में) तथा खंड (ड.) (अनूसूचित राज्य सहकारी बैंकों के मामले में) के अंतर्गत परिकलित, भारत में बैंकिंग प्रणाली के प्रति देयताएं ; तथा
(वव) भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआईएल) के साथ संपश्विकीकृत उधार और ऋणदान संबंधी दयित्वों वाले लेनदेन ।
3. भारतीय रिज़र्व बैंक (संशोधन) विधेयक 2006 अधिनियमित किये जाने और 22 जून 2006 से उसके लागू हो जाने के संबंध में 22 जून 2006 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.आरएफ.बीसी. सं. 93/17.02.01/2005-06 की ओर ध्यान आकर्षित किया जाता है । भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप-धारा (1) में संशोधन किये जाने के परिणामस्वरूप, कुल मांग और मीयादी देयताओं के 3 प्रतिशत की सांविधिक न्यूनतम प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात की अपेक्षा अब विद्यमान नहीं है ।
4. साथ ही, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप-धारा (1) में संशोधन के परिणामस्वरूप, रिज़र्व बैंक देश में मौद्रिक स्थिरता बनाये रखने की ज़रूरत को देखते हुए अनुसूचित बैंकों के लिए किसी न्यूनतम दर या उच्चतम दर के बिना प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) निर्धारित कर सकता है । तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह निर्णय किया है कि 22 जून 2006 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.आरएफ.बीसी. सं. 93/07.02.01/2005-06 के अनुसार अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा उनकी मांग और मीयादी देयताओं के 5 प्रतिशत की दर पर बनाये रखी जानेवाली प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात के संबंध में यथस्थिति बनाये रखी जाए । साथ ही, यह भी निर्णय किया गया है कि पिछले पृष्ठ पर पैरा 2 (व) और (वव) में उल्लिखित देयताओं को अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की मांग और मीयादी देयताओं के 5 प्रतिशत के उपर्युक्त प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात की अपेक्षा से छूट दी जाए ।
5. 22 जून 2006 की संबंधित अधिसूचना ग्राआऋवि.आरएफ. सं. 6107/ 07.02.01/ 2005-06 की प्रति संलग्न है ।
भवदीय
(के.भट्टाचार्य)
महाप्रबंधक
ग्राआऋवि.आरएफ. सं. 6107/07.02.01/2005-06
22 जून 2006
अधिसूचना
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 42 की उप-धारा (1) में किये गये संशोधन के परिणामस्वरूप, अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के संबंध में कुल मांग और मीयादी देयताओं के 3 प्रतिशत की सांविधिक न्यूनतम प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात की अपेक्षा 22 जून 2006 से विद्यमान नहीं है । साथ ही, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप-धारा (1) में किये गये संशोधन के परिणामस्वरूप, भारतीय रिज़र्व बैंक देश में मौद्रिक स्थिरता बनाये रखने की ज़रूरत को देखते हुए, अनुसूचित बैंकों के लिए किसी न्यूनतम दर या उच्चतम दर के बिना प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) निर्धारित कर सकता है । इन शक्तियों के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा बनाये रखे जानेवाले उनकी मांग और मीयादी देयताओं के 5 प्रतिशत के प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात की दर को यथस्थिति बनाये रखने का निर्णय किया है । भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप-धारा (7) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक प्रत्येक अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक को उनके द्वारा निम्नलिखित देयताओं पर 5 प्रतिशत का प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखने से 22 जून 2006 से छूट देता है :
(व) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप-धारा (1) के स्पष्टीकरण के खंड (घ) (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के मामले में) तथा खंड (ड.) (अनूसूचित राज्य सहकारी बैंकों के मामले में) के अंतर्गत परिकलित, भारत में बैंकिंग प्रणाली के प्रति देयताएं ; तथा
(वव) भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआईएल) के साथ संपश्विकीकृत उधार और ऋणदान संबंधी दयित्वों वाले लेनदेन ।
(वी.एस.दास)
कार्यपालक निदेशक