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अनिवासी भारतीयों द्वारा अप्रत्यावर्तनीय आधार पर चिट फंडों में अभिदान (Subscription)

भारिबैंक/2014-15/636
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 107

11 जून 2015

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक

महोदया/ महोदय

अनिवासी भारतीयों द्वारा अप्रत्यावर्तनीय आधार पर चिट फंडों में अभिदान (Subscription)

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.1/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (अनुमत पूंजी खातेगत लेनदेन) विनियमावली, 2000 एवं समय समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.1/2000-आरबी के विनियम 4(बी)(i) के अनुसार भारत से बाहर का निवासी कोई व्यक्ति भारत में ऐसी किसी कंपनी अथवा पार्टनरशिप फर्म अथवा मालिकाना प्रतिष्ठान अथवा एंटिटी, चाहे वह निगमित हो अथवा अनिगमित, में किसी भी रूप में निवेश नहीं कर सकता है जो "चिट फंड के कारोबार में" संलग्न हो अथवा जिसका संलग्न होना प्रस्तावित हो।

3. चिट फंड में अभिदान करने से संबंधित मौजूदा दिशानिर्देशों की, भारत सरकार के परामर्श से, समीक्षा की गई है और तदनुसार यह निर्णय लिया गया है कि अनिवासी भारतीयों को निम्नलिखित शर्तों के तहत, अप्रत्यावर्तनीय आधार पर, बिना किसी सीमा के, चिट फंड में निवेश करने की अनुमति दी जाए:

  1. चिट रजिस्ट्रार अथवा संबंधित राज्य सरकार द्वारा चिट फंड अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार प्राधिकृत अधिकारी, राज्य सरकार के परामर्श से, किसी चिट को किसी अनिवासी भारतीय से, अप्रत्यावर्तनीय आधार पर, अभिदान प्राप्त करने की अनुमति दे सकता है।

  2. चिट फंड में अभिदान, भारत में किसी बैंक मेँ रखे खाते सहित, बैंकिंग चैनल के जरिए आना चाहिए।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।

5. भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब उल्लिखित विनियमावली को तदनुसार विदेशी मुद्रा प्रबंध (अनुमत पूंजी खातेगत लेनदेन) (द्वितीय संशोधन) विनियमावली, 2015 एवं विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (द्वितीय संशोधन) विनियमावली, 2015 द्वारा संशोधित कर दिया है जिन्हें क्रमश: 2 मार्च 2015 की अधिसूचना सं. फेमा. 337/2015-आरबी एवं 2 मार्च 2015 की अधिसूचना सं. फेमा. 338/2015 – आरबी द्वारा क्रमश:13 अप्रैल 2015 के जीएसआर सं. 283(ई) एवं 13 अप्रैल 2015 के जीएसआर सं. 284 (ई) के जरिए अधिसूचित किया गया है।

6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीय,

(बी. पी. कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

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