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बैंककारी विधि (संशोधन) अधिनियम 2012 – बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 18 और 24 में संशोधन – गैर-अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) तथा राज्य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखना

भारिबैं/2013-14/631
ग्राआऋवि.आरसीबी.बीसी.सं. 110/07.51.020/2013-14

जून 5, 2014

सभी राज्‍य और केंद्रीय सहकारी बैंक

महोदय/महोदया

बैंककारी विधि (संशोधन) अधिनियम 2012 – बैं‍क‍कारी विनियमन अधिनियम, 1949
(सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 18 और 24 में संशोधन – गैर-अनुसूचित
राज्‍य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) तथा राज्‍य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखना

भारतीय रिज़र्व बैंक को बैंककारी विधि (संशोधन) अधिनियम, 2012 के अधिनियमन के अनुसार  गैर-अनुसूचित राज्‍य  सहकारी बैंकों और सभी केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए सीआरआर का प्रतिशत और सहकारी बैंकों के लिए एसएलआर का  प्रतिशत तथा  साथ-ही-साथ  एसएलआर संबंधी धारिता के स्‍वरूप और प्रकार विनिर्दिष्ट करने की शक्तियां प्रदान की गई हैं। तदनुसार यह निर्णय लिया गया है कि गैर-अनुसूचित राज्‍य सहकारी बैंकों और सभी केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए सीआरआर 100 आधार अंक बढ़ाकर, उनकी कुल निवल मांग और मीयादी देयताओं (डीटीएल) के 3.00 प्रतिशत से 4.00 प्रतिशत, अनुसूचित राज्‍य सहकारी बैंकों के बराबर कर दिया जाए जो 12 जुलाई 2014 को आरंभ होने वाले पखवाड़े से लागू होगा।

2. साथ ही, यह निर्णय लिया गया है कि सभी राज्‍य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए एसएलआर 250 आधार अंक घटाकर, उनकी कुल निवल मांग और मीयादी देयताओं के 25.00 प्रतिशत से 22.50 प्रतिशत कर दिया जाए जो 12 जुलाई 2014 से आरंभ होने वाले पखवाड़े से लागू होगा। ऐसे राज्‍य सहकारी बैंक और केंद्रीय सहकारी बैंक जो 5 जून 2014 की अधिसूचना ग्राआऋवि.आरसीबी.बीसी.सं. 109/07.51.020/2013-14 में विनिर्दिष्‍ट स्‍वरूप तथा प्रकार से एसएलआर नहीं रखते हैं, उन्हें उक्त अधिसूचना में निहित अनुदेशों का पालन करने के लिए 31 मार्च 2015 तक का समय दिया गया है। राज्‍य सहकारी बैंक और केंद्रीय सहकारी बैंक इस अंतरिम अवधि में वर्तमान अनुदेशों के अनुसार एसएलआर बनाए रख सकते हैं। तथापि,राज्‍य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा सरकारी क्षेत्र के बैंकों में रखी गई मीयादी जमाराशियां 31 मार्च 2015 तक की अंतरिम अवधि में एसएलआर में गिने जाने के लिए पात्र होंगी।

3. यह नोट किया जाए कि राज्‍य सहकारी बैंकों के पास रखी शेष राशियां तथा सरकारी क्षेत्र के बैंकों के पास रखी मीयादी जमाराशियां 1 अप्रैल 2015 से एसएलआर में गिने जाने के लिए पात्र नहीं होंगी।

4. संबंधित अधिसूचनाओं - दिनांक 5 जून 2014 की अधिसूचना ग्राआऋवि.आरसीबी.बीसी.सं.108 /07.51.020/2013-14 तथा 5 जून 2014 की अधिसूचना ग्राआऋवि.आरसीबी.बीसी.सं.109/07. 51.020/2013-14 की प्रतिलिपियां संलग्‍न हैं।

भवदीय

( ए. उदगाता )
प्रधान मुख्‍य महाप्रबंधक

अनुलग्‍नक : यथोक्‍त


ग्राआऋवि.आरसीबी.बीसी.सं. 108/07.51.020/2013-14

5 जून  2014

अधिसूचना

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के साथ पठित धारा 18 की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक भारत में मौद्रिक स्थिरता प्राप्‍त करने की जरुरत के मद्देनजर एतद्द्वारा निर्दिष्‍ट करता है कि 12 जुलाई 2014 से प्रारंभ होनेवाले पखवाड़े से हर राज्‍य सहकारी बैंक और केंद्रीय सहकारी बैंक जो अनुसूचित सहकारी बैंक नहीं है, द्वारा बनाए रखे जाने के लिए अपेक्षित प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर),  उसकी कुल निवल मांग और मीयादी देयताओं का 4 प्रतिशत होगा।

(डॉ. (श्रीमती) दीपाली पन्त जोशी)
कार्यपालक निदेशक


ग्राआऋवि.आरसीबी.बीसी.सं. 109/07.51.020/2013-14

5 जून  2014

अधिसूचना

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के साथ पठित धारा 24 की उप-धारा (2ए) द्वारा प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्द्वारा निर्दिष्‍ट करता है कि हर राज्‍य सहकारी बैंक और केंद्रीय सहकारी बैंक भारत में नीचे विस्‍तार से वर्णित प्रकार से आस्तियां बनाए रखना जारी रखेंगे जिसका मूल्‍य, किसी भी दिन की समाप्ति पर 12 जुलाई 2014 से प्रारंभ होनेवाले पखवाड़े के दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को भारत में कुल निवल मांग और मीयादी देयताओं के 22.50 प्रतिशत से अन्‍यून होगा, यह मूल्‍यन रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्‍ट मूल्‍यन पद्धति के अनुसार किया जाना है।

  1. नकदी, अथवा

  2. स्‍वर्ण जिसका मूल्यन चालू बाज़ार मूल्‍य से अधिक कीमत पर नहीं होगा, अथवा

  3. बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के साथ पठित धारा 5 (ए) में यथा परिभाषित अनुमोदित प्रतिभूतियों में भारमुक्‍त निवेश।

2. इसके ऊपर दी गई किसी भी बात के होते हुए भी –

  1. केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के साथ पठित धारा 18 के अंतर्गत संबंधित‍ राज्‍य के राज्‍य सहकारी बैंक के पास बनाए रखे जाने के लिए अपेक्षित शेष से अधिक बनाए रखे जाने वाले भारमुक्‍त  शेष;

  1. संबंधित‍ राज्‍य के राज्‍य सहकारी बैंक के पास बनाए रखे जाने के लिए अपेक्षित शेष से अधिक बनाए रखे जाने वाले भारमुक्‍त शेष; और

  2. भारतीय स्‍टेट बैंक अथवा किसी सहयोगी बैंक अथवा तदनुरूपी नए बैंक अथवा आईडीबीआई बैंक लि., के पास किसी राज्‍य सहकारी बैंक अथवा किसी केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा धारित भारमुक्त मीयादी जमाराशियों को भी 31 मार्च 2015 तक इस अधिसूचना के अंतर्गत निर्दिष्‍ट प्रतिशत की गणना के प्रयोजन के लिए आस्तियों के रूप में माना जाएगा।

a. किसी राज्‍य सहकारी बैंक अथवा किसी केंद्रीय सहकारी बैंक के 'भारमुक्‍त निवेश' में निम्नलिखित शामिल होंगे - उसके किसी अग्रिम अथवा किसी अन्‍य ऋण व्‍यवस्‍था केलिए उस मात्रा तक अन्‍य संस्‍था के पास रखी गई अनुमोदित प्रतिभूतियों में निवेश जिस मात्रा तक कि ऐसी प्रतिभूतियां इनकी जमानत पर अथवा उनके लिए आहरित न की गई हो।

b. उपर्युक्‍त प्रयोजन के लिए राशि की गणना में निम्‍नलिखित को भारत में बनाए रखी गई नकदी के रूप में माना जाएगा:

  1. एक ऐसे राज्‍य सहकारी बैंक जो कि अनुसूचित बैंक है, द्वारा रिज़र्व बैंक के पास भारिबैं अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 42 के अंतर्गत बनाए रखे जाने के लिए अपेक्षित शेष से अधिक बनाए रखी जानेवाली कोई शेष राशि;

  2. ऐसे राज्‍य सहकारी बैंक अथवा केंद्रीय सहकारी बैंक जो एक अनुसूचित बैंक नहीं है, द्वारा रिज़र्व बैंक के पास बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के साथ पठित धारा 18 के अंतर्गत बनाए रखे जाने के लिए अपेक्षित शेष से अधिक बनाए रखी जानेवाली कोई शेष राशि; और

  3. बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के साथ पठित धारा 18 की उपधारा (1) के स्‍पष्‍टीकरण में यथा परिभाषित रूप में उक्‍त धारा के अंतर्गत उसके द्वारा बनाए रखे जाने के लिए अपेक्षित शेष के अतिरिक्‍त 'चालू खातों में निवल शेष' ।

(डॉ. (श्रीमती) दीपाली पन्त जोशी)
कार्यपालक निदेशक

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