भारत में आयात के लिए व्यापारिक उधार - समीक्षा और सरलीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत में आयात के लिए व्यापारिक उधार - समीक्षा और सरलीकरण
आरबीआइ/2004/154 अप्रैल 17, 2004 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्रधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय भारत में आयात के लिए व्यापारिक उधार - जैसा कि प्रधिकृत व्यापारियों को मालूम है, सितंबर 27, 2002 से प्राधिकृत व्यापारियों को तीन वर्ष से कम अवधि के लिए 20 मिलियन अमरिकी डॉलर तक के प्रति आयात लेनदेन के अल्पावधि उधार को अनुमोदित करने की अनुमति दी गई है (देखें सितंबर 27, 2002 का ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र क्र.25) । 20 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक के प्रति आयात लेनदेन के अल्पावधि उधार के लिए रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता है । प्राप्त अनुभव और हाल के गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान अनुदेशों की समीक्षा की गई है । अत: यह स्पष्ट किया जाता है कि एक वर्ष की परिपक्वता अवधि वाले 20 मिलियन अमरीकी डॉलर तक के प्रति आयात लेनदेन के सभी मदों के आयातों के लिए ऐसे उधारों को कवर करने वाले वर्तमान मार्गदर्शी सिध्दांत यथावत है ।एक वर्ष से अधिक किन्तु तीन वर्ष से कम परिपक्वता अवधि वाले 20 मिलियन अमीरीकी डॉलर प्रति आयात लेनदेन के उधार की अनुमति अब केवल पूंजीगत वस्तुओं के आयात के लिए ही दी जाएगी । ऐसे उधारों के रिपोर्टिंग व्यवस्था को और सरल बनाया गया है । संशोधित मार्गदर्शी सिध्दांत नीचे दिए गए हैं । यह स्पष्ट किया जाता है कि तीन वर्ष से कम की मूल परिपक्वता अवधि के लिए विदेशी आपूर्तिकर्ता, बैंक और वित्तीय संस्थाओं द्वारा सीधे ही आयात के लिए दिए गए उधार को इसमें आगे "आयात के लिए व्यापारिक उधार" कहा गया है । वित्त के स्रोत के आधार पर, ऐसे व्यापारिक उधार अथवा क्रेता का उधार शामिल होंगे । यह नोट किया जाए कि तीन वर्ष और उससे अधिक के क्रेता उधार और आपूर्तिकता उधार बाहय वाणिज्यिक उधार संवर्ग के अंतर्गत आते है जो कि जनवरी 31, 2004 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़ ) परिपत्र सं.60 द्वारा जारी और समय-समय पर संशोधित बाहय वाणिज्यिक उधार के मार्गदर्शी सिध्दांतों द्वारा नियंत्रित किए जाते है । यह निर्णय किया गया है कि अब से आगे प्राधिकृत व्यापारी एक वर्ष तक की परिपक्वता अवधि वाले ( पोतलदान की तारीख से ) आयात की सभी मदों के लिए (एक्जिम नीति के अधीन अनुमत) 20 मिलियन अमरीकी डॉलर तक के प्रति आयात लेनदेन के भारत में आयात के लिए व्यापारिक उधार को अनुमोदन दे सकते हैं । पूंजीगत वस्तुओं के आयात के लिए प्राधिकृत व्यापारी एक वर्ष से अधिक और तीन वर्ष से कम की परिपक्वता अवधि वाले 20 मिलियन अमरीकी डॉलर तक के प्रति आयात लेनदेन के व्यापारिक उधार का अनुमोदन कर सकते हैं । प्राधिकृत व्यापारी अनुमत अवधि से अधिक के लिए किसी भी प्रकार के स्वत: विस्तार / विस्तार की अनुमति नहीं देंगे । अब से प्राधिकृत व्यापारी 20 मिलियन अमरीकी डॉलर प्रति आयात लेनदेन से अधिक के व्यापारिक उधार का अनुमोदन नहीं करेंगे । समग्र लागत सीमा निम्ननुसार जारी रहेंगे :
समग्र लागत सीमा में व्यवस्थापक शुल्क, अपप्रंट शुल्क, प्रबंधन शुल्क, लदाई-उतराई / प्रॉसेसिंग प्रभार, फुटकर और कानूनी खर्च, यदि कोई हो, शामिल होंगे । समग्र लागत सीमा की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी । अब से प्राधिकृत व्यापारी रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बगैर व्यापारिक उधार के लिए अपने आयातक ग्राहकों की ओर से विदेशी उधारदाता के पक्ष में गारंटी, वचन-पत्र अथवा लेटर ऑफ कंफर्ट जारी नहीं करेंगे । रिपोर्टिंग व्यवस्था के संबंध में, प्राधिकृत व्यापारी अप्रैल 2004 से फार्म टीसी (संलग्नक में दिए गए फार्म ) में माह के दौरान अपने सभी शाखाओं द्वारा दिए गए व्यापारिक उधार के अनुमोदनों, आहरणों, उपयोगों और चुकौती का समेकित विवरण निदेशक, अंतरराष्ट्रीय वित्त प्रभाग, आर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय भवन, 8वी मंजिल, फोर्ट, मुंबई 400 001 को (और एमएस-एक्जेल फइल में ईमेल द्वारा deapdif@rbi.org.in को ) अगले माह के 10 तारीख तक प्रस्तुत करें । प्रत्येक व्यापारिक उधार को प्राधिकृत व्यापारी एक विशिष्ट पहचान संख्या दें । विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना ) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं । व्यापारिक उधार नीति में ये संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे । ये अनुदेश व्यापारिक उधार पर इस से पहले रिज़र्व बैंक द्वारा पहले जारी किए गए अनुदेशों का स्थान लेंगे और समय-समय पर समीक्षा के अधीन होंगे । प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी ग्राहकों को अवगत करा दें । इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए है । भवदीय, ग्रेस कोशी
I. आपूर्तिकर्ता ऋण (एससी) II. क्रेता ऋण (बीसी) III. अत्पावधि व्यापारिक उधार (एसटीसी) (एक वर्ष तक परिपक्वता अवधि) IV. दीर्घावधि व्यापारिक उधार (ण्लटीसी) (एक वर्ष से अधिक और तीन वर्ष से कम परिपक्वता अवधि ) V. कुल व्यापारिक उधार (टीसी) ( I + II ) * अथवा आपूर्तिकर्ता नोट 2 : स्तंभ सं. 8 से 13 की सूचना अंक में ही हो । इन स्तंभों में कोई अक्षर नही लिखा जाए । |