भारत में आनेवाले आयातों के लिए व्यापार ऋण-समग्र-लागत सीमा की समीक्षा - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत में आनेवाले आयातों के लिए व्यापार ऋण-समग्र-लागत सीमा की समीक्षा
आरबीआइ /2007-08/337
ए.पी.(डीआइआर सिरीज)परिपत्र सं.42
28 मई 2008
श्रेणी-I के सभी प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय
भारत में आनेवाले आयातों के लिए व्यापार ऋण-समग्र-लागत सीमा की समीक्षा
श्रेणी-I के सभी प्राधिकृत व्यापारी (एडी श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान , भारत में आनेवाले आयातों के लिए व्यापार ऋण-समग्र-लागत सीमा की समीक्षा से संबंधित 17 अप्रैल 2004 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.87 के पैरा 6 की ओर आकर्षित किया जाता है ।
2 मौजूदा समय में, एक वर्ष तक के व्यापार ऋणों के संबंध में समग्र-लागत सीमा संबंधित करेंसी के लिए लंदन-अंतर-बैंक प्रस्तावित दर 6 माह से ऊपर के लिए 50 आधार अंक अथवा लागू बेंचमार्क है । समीक्षा के बाद व्यापार ऋणों के लिए समग्र-लागत सीमा निम्नवत् बढ़ाने का निर्णय किया गया है ।
परिपक्वकता अवधि | 6 माह से ऊपर के लिए लंदन-अंतर-बैंक प्रस्तावित दर * | |
वर्तमान | पुनरीक्षित | |
एक वर्ष तक | 50 आधार अंक | 75 आधार अंक |
एक वर्ष से अधिक तीन वर्ष तक | 125 आधार अंक | 125 आधार अंक |
* अपनी-अपनी संबंधित करेंसी ऑफ क्रेडिट अथवा लागू बेंचमार्क के लिए |
3. व्यापार ऋण नीति का यह संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होगा ।ट्रेड क्रेडिट के अन्य पहलू यथावत् रहेंगे।
4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (उधार लेना अथवा विदेशी मुद्रा में उधार देना) विनियमावली , 3 मई 2000 में किये गये आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जा रहे हैं।
5. श्रेणी-I के सभी प्राधिकृत व्यापारी (एडी श्रेणी-I) बैंक , कृपया इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने सभी संघटकों तथा ग्राहकों को अवगत करा दें।
6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक