भारत में आयात हेतु व्यपार ऋण - समग्र उच्चतम सीमा की समीक्षा - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत में आयात हेतु व्यपार ऋण - समग्र उच्चतम सीमा की समीक्षा
भारिबैंक/2011-12/257 15 नवंबर 2011 सभी श्रेणी I के प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, भारत में आयात हेतु व्यपार ऋण - समग्र उच्चतम सीमा की समीक्षा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I (प्रा.व्या.श्रेणी I) बैंकों का ध्यान भारत में आयात के लिए व्यापार ऋण की उच्चतम सीमा से संबंधित 27 अक्तूबर 2008 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 27 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. वैश्विक वित्तीय बाजार की घटनाओं तथा घरेलू आयातकों द्वारा मौजूदा समग्र उच्चतम सीमा में व्यापार ऋण प्राप्ति में महसूस की जा रही कठिनाइयों की समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गाया है कि व्यापार ऋण की मौजूदा समग्र उच्चतम सीमा को निम्नवत पुनरीक्षित/संशोधित किया जाए:
समग्र उच्चतम सीमाओं में प्रबंधकर्ता का शुल्क, प्रबंधन शुल्क, हैंडिलिंग/प्रोसेसिंग चार्जेज, जेबखर्च और विधिक व्यय, यदि कोई हों, शामिल होंगे। समग्र उच्चतम सीमा में उक्त परिवर्तन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। समग्र उच्चतम सीमा में की गई वृध्दि 31 मार्च 2012 तक के लिए लागू है और तदुपरांत समीक्षा के अधीन है। व्यापार ऋण संबंधी नीति के अन्य पहलू अपरिवर्तित बने रहेंगे। 4.प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक इस परिपत्र की विषय वस्तु से संबंधित अपने घटकों/ग्राहकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं । भवदीया, (मीना हेमचंद्र) |