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केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों में ‘जब निर्गत’ (WI) बाजार में संव्यवहार

आरबीआई/2018-19/25
एफएमआरडी.डीआईआरडी.03/14.03.007/2018-19

जुलाई 24, 2018

सरकारी प्रतिभूति बाजार के सभी सहभागी

महोदया/महोदय,

केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों में ‘जब निर्गत’ (WI) बाजार में संव्यवहार

रिज़र्व बैंक द्वारा 6 जून 2018 को विकास और विनियमन नीति पर वक्तव्य में प्रस्तावित था कि पात्र सहभागियों के आधार को उदार बनाया जाए और केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों में “जब निर्गत” बाजार में संव्यवहारों हेतु संस्था अनुसार सीमाओं में रियायत दी जाए।

2. तदनुसार, ‘जब निर्गत’ बाजार के बारे में विद्यमान दिशा निर्देशों की सम्यक समीक्षा की गई और संशोधित दिशानिदेश (संलग्न) किए जाते हैं।

3. ये निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 अध्याय III-डी की धारा 45 (डब्ल्यू) के तहत जारी किए गए हैं।

4. ये निदेश इस परिपत्र की तारीख से प्रभावी होंगे।

भवदीय,

(टी. रबीशंकर)
मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
वित्‍तीय बाजार विनियमन विभाग
पहली मंजिल, केन्‍द्रीय कार्यालय, फोर्ट
मुम्‍बई – 400 001

एफएमआरडी.डीआईआरडी.04/सीजीएम (टीआरएस)-2018 दिनांक जुलाई 24, 2018

जब निर्गम संव्‍यवहार (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2018

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (भारिबैंक अधिनियम) की धारा 45 (डब्लू) में प्रदत्‍त शक्तियों तथा इस संबंध में इसे समर्थ बनाने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) जनहित में इसे आवश्यक मानते हुए तथा देश में सरकारी प्रतिभूति बाजार को विनियमित और विकसित करने की दृष्टि से भारत में सरकारी प्रतिभूति कारोबार में सहभागिता या लेनदेन करने के लिए सभी पात्र व्यक्तियों को एतद् द्वारा निम्नलिखित निदेश जारी करता है।

1. इन निदेशों का लघु शीर्षक, प्रवर्तन और अनुमेयता

(1) इन निदेशों को ‘जब निर्गत’ संव्यवहार (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2018 कहा जाएगा और इस विषय पर जारी सभी अन्य अनुदेशों/गाइडलाइनों को ये निदेश अधिक्रमण करेंगे। ये निदेश इन निदेशों की तारीख से प्रभावी होंगे।

(2) ये निदेश केंद्र सरकार प्रतिभूतियों में ‘जब निर्गत’ संव्यवहारों के लिए अनुमेय होंगे।

2. परिभाषाएं

(1) इन निदेशों में जब तक सन्दर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो, तो-

  1. ‘अनुसूचित बैंक’ का मतलब है भारतीय रिज़र्व बैंक एक्ट 1934 की द्वितीय अनुसूची में शामिल बैंक।

  2. ‘सरकारी प्रतिभूतियों’ का वही मतलब रहेगा जो सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 की धारा 2 (f) में निर्धारित किया गया है।

  3. ‘जब, यथा और यदि निर्गत’ (आम तौर पर ‘जब निर्गत’ के रूप में ज्ञात) प्रतिभूति का आशय ऐसी प्रतिभूति से है जिसे निर्गमन के लिए प्राधिकृत कर दिया गया है, लेकिन अभी तक वस्तुतः जिसका निर्गमन नहीं हुआ है। सरकारी प्रतिभूति का निर्गमन होने और वास्तव में इसका निर्गम होने के समय के बीच ‘जब निर्गत’ सौदे रद्द किये जाते हैं। सभी ‘जब निर्गत’ संव्यवहार ‘यदि’ आधार पर होते हैं, यदि और जब वास्तविक प्रतिभूति का निर्गम होगा तब इसका निपटान किया जाएगा।

  4. ‘नीलामी की तारीख’ का मतलब है ‘जब निर्गत’ आधार पर सौदा की जा रही प्रतिभूति के निर्गम हेतु नीलामी की तारीख निर्धारित की जाती है।

  5. ‘निर्गम की तारीख’ का मतलब है जिस तारीख को प्रतिभूति का सौदा सरकार द्वारा जारी की गई प्रतिभूति का ‘जब निर्गत’ आधार पर किया जाता है।

  6. ‘निवल स्थिति’ का मतलब है किसी प्रतिभूति की समग्र स्थिति जो उस प्रतिभूति में ‘जब निर्गत’ आधार अथवा अन्यथा आधार पर वर्तमान निवेश, नीलामी में आवंटित रकम और सौदे की स्थिति के आधार पर आकलित की जाती है।

  7. इन निवेशों में प्रयुक्त किन्तु परिभाषित नहीं शब्दों और अभिव्यक्तियों का वही मतलब रहेगा जो भारतीय रिज़र्व बैंक एक्ट, 1934 अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किसी अन्य मास्टर परिपत्र / अधिसूचना / निदेश में किया गया है, जब तक कि रिज़र्व बैंक द्वारा इसके प्रतिकूल कोई उल्लेख नहीं किया गया हो।

3. पात्र प्रतिभूतियां

‘जब निर्गत’ संव्यवहारों के लिए निदेशों के तहत पात्र प्रतिभूतियों में निम्नलिखित शामिल होंगे:

(1) केंद्र सरकार द्वारा निर्गत नई और पुनः निर्गत दोनों ही सरकारी प्रतिभूतियां।

(2) ‘जब निर्गत’ सौदों के लिए किसी निर्गम की पात्रता सम्बंधित नीलामी की विशिष्ट अधिसूचना में बताई जाती है।

4. पात्र सहभागी

(1) इन निदेशों के तहत निम्नलिखित सहभागी नई और पुनः निर्गत दोनों ही प्रतिभूतियों के लिए ‘जब निर्गत’ बाजार में नेट लॉन्ग और शॉर्ट दोनों ही पोजिशन लेने के पात्र हैं:

  1. सभी संस्थाएँ जो केंद्र सरकार प्रतिभूतियों की प्राथमिक नीलामी में सहभागिता की पात्र हैं।

  2. हालांकि निवासी व्यक्ति, हिन्दू अविभाजित परिवार, गैर-निवासी भारतीय और भारत के ओवरसीज नागरिक ‘जब निर्गत’ प्रतिभूतियों में केवल लॉन्ग पोजिशन लेने के पात्र हैं।

  3. अनुसूचित वाणिज्य बैंकों और प्राथमिक डीलरों के अलावा अन्य संस्थाएँ अपनी शॉर्ट पोजिशनों, यदि हो, को अन्तर्निहित केंद्र सरकार प्रतिभूति की नीलामी के तारीख को सौदे बंद होने पर अपनी शॉर्ट पोजिशनों को बंद कर देंगे।

5. परिचालनगत अनुदेश

‘जब निर्गत’ आधार पर किसी प्रतिभूति में संव्यवहार को निम्नलिखित निदेशों के अनुसार किया जाएगा:

  1. केंद्र सरकार द्वारा किसी प्रतिभूति के निर्गम के अधिसूचना के बाद ‘जब निर्गत’ संव्यवहार शुरू किये जाएंगे और नीलामी की तारीख पर सौदे के बंद होने पर समाप्त हो जाएंगे।

  2. सौदों की सभी तारीखों पर सभी ‘जब निर्गत’ संव्यवहारों को निर्गम की तारीख पर निपटान के लिए संविदाकृत किया जाएगा।

  3. पुनः निर्गत प्रतिभूतियों के मामले में ‘जब निर्गत’ प्रतिभूतियाँ निर्गम की तारीख को द्वितीयक बाजार संव्यवहार के निपटान का भाग बनेंगी। निर्गम की तारीख को द्वितीयक बाजार के समय ‘जब निर्गत’ प्रतिभूति में सौदे के साथ परिणामकृत किया जाएगा।

  4. यदि कोई संस्था ‘जब निर्गत’ आधार पर बेची गई प्रतिभूतियों की सुपुर्दगी निर्गम की तारीख को क्रेता को देने में सक्षम नहीं होती है तो संव्यवहार का निपटान क्लीयरिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल) की संविन्यस्त निपटान व्यवस्था के अनुसार किया जाएगा।

  5. सीसीआईएल के प्रतिभूति निपटान खंड के सदस्य (इसके पश्चात ‘सदस्य’ के रूप में उल्लिखित) अपनी घटक संस्थाओं, अर्थात, गिल्ट खातों अथवा डीमैट खातों को रखने वाली संस्थाओं, के सौदों के निपटान और रिपोर्टिंग के लिए जिम्मेदार होंगी। तदनुसार पात्र घटक संस्थाएं उन सदस्यों द्वारा अनुमत सीमा तक ही ‘जब निर्गत’ संव्यवहार करेंगी, जिन सदस्यों के माध्यम से वे अपने प्रतिभूति संव्यवहारों का निपटान इन निदेशों के पैरा- 6 में निर्धारित सीमाओं के भीतर करेंगी।

  6. नीलामी की तारीख को ‘जब निर्गत’ सौदे समाप्त होने पर कोई भी संस्था केंद्र सरकार प्रतिभूतियों में शार्ट विक्रय पोजिशन हेतु निर्धारित सीमाओं से अधिक सीमा में किसी प्रतिभूति में शार्ट ‘नेट पोजिशन’ नहीं चलाएगी।

  7. किसी भी कारण से नीलामी निरस्त होने जाने की स्थिति में ‘जब निर्गत’ के सभी सौदे अपरिहार्य घटना के आधारों पर आरम्भ से ही निष्प्रभावी और निरर्थक हो जाएंगे।

6. सीमाएँ

(1) ‘जब निर्गत’ बाजार में ओपन पोजिशन सीमाएँ निम्नानुसार रहेंगी:

पोजिशन सीमाएँ
वर्ग लॉन्ग शॉर्ट
पीडी और अनुसूचित वाणिज्य बैंक नीलामी में अधिसूचित रकम के 25% से अधिक नहीं नीलामी में अधिसूचित रकम के 25% से अधिक नहीं
अन्य पात्र संस्थाएँ नीलामी में अधिसूचित रकम के 25% से अधिक नहीं नीलामी में अधिसूचित रकम के 10% से अधिक नहीं (व्यक्ति, एचयूएफ, एनआरआई और ओसीआई को ‘जब निर्गत’ बाजार में शॉर्ट पोजिशन लेने की अनुमति नहीं है)

(2) पहले की यह अपेक्षा कि नई प्रतिभूति में सकल नेट शॉर्ट पोजिशनों (सभी संस्थाओं की सभी नेट शॉर्ट पोजिशनों का योग) पर अधिसूचित रकम के 90% पर सीमित रखा जाएगा, अब समाप्त कर दी गई है। सकल नेट शॉर्ट पोजिशनों पर अब कोई सीमा नहीं रहेगी।

7. कारोबारी स्थल

‘जब निर्गत’ संव्यवहारों को केवल नेगोशिएटेड डीलिंग सिस्टम-आर्डर मैचिंग (एनडीएस-ओएम) प्लेटफॉर्म पर किया जाएगा। हालांकि किसी ‘जब निर्गत’ प्रतिभूति में विद्यमान पोजिशन को एनडीएस-ओएम प्लेटफॉर्म अथवा एनडीएस-ओएम प्लेटफॉर्म से बाहर अर्थात ओवर–द-काउंटर (ओटीसी) बाजार में बंद किया जा सकेगा।

8. रिपोर्टिंग

‘जब निर्गत’ के सभी ओटीसी संव्यवहारों की रिपोर्ट सौदे के 15 मिनट के भीतर एनडीएस-ओएम पर करनी होगी।

9. आंतरिक नियंत्रण

(1) ‘जब निर्गत’ बाजार में सहभागिता कर रहे सभी एनडीएस-ओएम सदस्यों से अपेक्षित है कि ‘जब निर्गत’ सौदे के बारे में लिखित नीति रखें जो उनके निदेशक मंडल अथवा समक्ष निकाय द्वारा अनुमोदित होनी चाहिए। इस नीति में आंतरिक गाइडलाइन्स निर्धारित की जानी चाहिए जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ ‘जब निर्गत’ पोजिशन के बारे में जोखिम सीमाएँ (पुनः निर्गत प्रतिभूतियों के मामले में प्रतिभूति में समग्र पोजिशन सहित, अर्थात, ‘जब निर्गत’ में विद्यमान प्रतिभूति को मिलाते हुए), समग्र सामान्य सीमा (अंकित मूल्य के अनुसार) ‘जब निर्गत’ के लिए और पुनः निर्गत प्रतिभूतियों के मामले में होनी चाहिए। ‘जब निर्गत’ और विद्यमान प्रतिभूतियों को मिलाकर आंतरिक नियंत्रण व्यवस्थाओं, विनियामक और आंतरिक गाइडलाइनों का अनुपालन ‘जब निर्गत’ क्रियाकलापों की रिपोर्टिंग शीर्ष प्रबंधन को की जाती है, उल्लंघनों से निपटने की पद्धति, इत्यादि सुनिश्चित करनी होगी। उल्लंघनों को समय से पहले पकड़ने की प्रणाली होनी चाहिए।

(2) समवर्ती लेखापरीक्षकों को चाहिए कि इन अनुदेशों के अनुपालन का विशेष रूप से सत्यापन करें और सौदे की तारीख को ही उलंघन की रिपोर्ट समुचित आंतरिक प्राधिकारी को करें। समवर्ती लेखापरीक्षक अपनी मासिक रिपोर्टिंग के भाग के तौर पर यह सत्यापित करें कि क्या बैंक / मिड ऑफिस ने ऐसी सभी चूकों का संज्ञान लिया है और इसकी रिपोर्ट अपेक्षित समय सीमा में की गयी है। इस बारे में नियामक गाइडलाइनों का उल्लंघन पाए जाने पर तत्काल ही लोक ऋण कार्यालय (पीडीओ) मुंबई को और वित्तीय बाजार विनिमयन विभाग (एफएमआरडी), भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित किया जाए।

10. केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में ‘जब निर्गत’ संव्यवहार के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उन पूर्ववर्ती परिपत्रों की सूची संलग्नक-1 दी गयी है, जिन्हें निष्प्रभावी किया गया और वापस लिया गया है।

(टी. रबीशंकर)
मुख्य महाप्रबंधक


संलग्‍नक I

(i) परिपत्र सं. आईडीएमडी सं./3426/11.01.01 (डी)/2005-06 दिनांक मई 3, 2006.

(ii) परिपत्र सं. आईडीएमडी सं./2130/11.01.01 (डी) /2006-07 दिनांक नवम्‍बर 16, 2006.

(iii) परिपत्र सं. आईडीएमडी.डीओडी.सं.3166/11.01.01(बी)/2007-08 दिनांक जनवरी 1, 2008.

(iv) परिपत्र सं. एफएमआरडी.डीआईआरडी.06/14.03.07/2015-16 दिनांक दिसम्‍बर 10, 2015.

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