RTGS संव्यवहारों में द्विस्तरीय जांच - आरबीआई - Reserve Bank of India
RTGS संव्यवहारों में द्विस्तरीय जांच
भा.रि.बैंक/2008-09/437 अप्रैल 20, 2009 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदय/महोदया, RTGS संव्यवहारों में द्विस्तरीय जांच आपको विदित ही है कि आर.टी.जी.एस. आधारित बैंक शाखाएं 55000 से अधिक हो गई हैं। आर.टी.जी.एस. के माध्यम से निटान होने वाले संव्यवहारों की राशि और मात्रा में भी बड़े पैमाने पर वृद्धि हुई है। वर्ष 2008-09 में आर.टी.जी.एस. से 13.37 मिलियन संव्यवहार प्रसंस्कृत हुए जबकि पिछले वर्ष में केवल 5.84 संव्यवहार प्रसंस्कृत हुए थे। इसीप्रकार वर्ष 2008-09 में आर.टी.जी.एस. से कुल 323 ट्रिलियन रुपये की राशि प्रसंस्कृत हुई जबकि पिछले वर्ष में 273 ट्रिलियन रुपये की राशि प्रसंस्कृत हुई थी । 2. भुगतानों में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का प्रयोग बढ़ने से मजबूत सुरक्षा वातावरण बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। तदनुसार सदस्यों के लिए डाटा एंट्री के समय मेकर-चेकर सुविधा रखना अनिवार्य बनाया गया। इसके अलावा, आर.टी.जी.एस. के सभी संव्यवहारों में डिजीटल हस्ताक्षर एवं इन्क्रिप्शन होना चाहिए । 3. भारतीय रिजर्व बैंक की जानकारी में ऐसे मामले आये हैं जब प्रक्रियाओं का पालन नही करने के परिणाम स्वरूप धोखाधड़ीपूर्ण संव्यवहार हुए हैं। इसके अलावा मेकर-चेकर सुविधा संबंधी अनुपालन नहीं करने के कारण ग्राहकों को गलत/विलंब से राशि जमा होने जैसी असुविधाओं को सहना पड़ा। हमे ऐसे मामलों की जानकारी भी मिली है कि दूसरे अधिकारियों के लिए बने स्मार्ट कार्ड को उसी अधिकारी द्वारा धोखाधड़ीपूर्ण संव्यवहारों में प्रयोग किया गया। 4. हम पुन: दोहराते हैं बैंक संव्यवहारों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में अंतरित करता है इसलिए सख्त आंतरिक नियंत्रण और सुरक्षा प्रक्रियाओं का सावधानीपूर्वक पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है। अत: आपको सूचित किया जाता है कि आर.टी. जी.एस. विन्यास में अंतर्निहित द्विस्तरीय सुरक्षा प्रणाली में किसी प्रकार की शिथिलता रोकने के लिए पर्याप्त अवरोध और संतुलन बनाएं। इस बारें में किसी प्रकार की कमी के लिए स्टाफ की जवाबदेही निर्धारित की जाए । अर्थात सूचना सुरक्षा चूकरहित हो और प्रणाली में धोखाधड़ीपूर्ण/धोखाधड़ीपूर्ण प्रयास को रोकने के लिए आंतरिक नियंत्रण प्रणाली पर्याप्त रूप से मजबूत हो । आंतरिक नियंत्रण प्रणाली में ऐसे किसी भी उलंघन जिसके परिणामस्वरूप धोखाधड़ीपूर्ण/ धोखाधड़ीपूर्ण प्रयास की संभावना हो, को बैंक द्वारा गंभीरता से लिया जायेगा और आर.टी. जी.एस.( सदस्यता ) अधिनियम 2004 की धारा 14 के तहत आर.टी. जी.एस. सदस्यता को समाप्त अथावा निलंबित किया जा सकता है। इसके अलावा भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का 51) की धारा 30 के अंतर्गत बैंक जुर्माना भी लगाने पर विचार कर सकता है। कृपया प्राप्ति-सूचना दें और मई 29, 2009 तक इस पर की गई कार्रवाई से अवगत कराएं । भवदीय, (जी. पद्मनाभन) |