एडीआर/जीडीआर की दोनो तरफ से परिर्वनीयता - आरबीआई - Reserve Bank of India
एडीआर/जीडीआर की दोनो तरफ से परिर्वनीयता
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 21 13 फरवरी 2002 प्रति विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी प्रिय महोदय, /महोदया एडीआर/जीडीआर की दोनो तरफ से परिर्वनीयता प्राधिकृत व्यापारियों को ज्ञात है कि 2 मार्च 2001 की अधिसूचना सं. फेमा 41ध्2001-आरबी द्वारा संशोधित रिज़र्व बैंक की 3 मई 2000 की अधिसूचना फेमा 20/2000-आरबी के विनियम 4क के अनुसार (प्रतिलिपि संलग्न है) कोई पंजीकृत ब्रोकर किसी भारतीय कंपनी के शेंयरों को भारत के बाहर निवास करनेवाले व्यक्ति की ओर से एडीआर/जीडीआर में शेयरों को परिवर्तित करने के उद्देश्य से खरीद सकता है बशर्ते कि विदेशी करेन्सी परिवर्तनीय बाण्डों और सामान्य शेयरों (निक्षेपागार रसीद तंत्र के जरिए) योजना, 1993 के निर्गम के उपबंधों और समय-समय पर भारत सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन किया गया हो। 2. "विदेशी करेन्सी परिवर्तनीय बाण्ड और सामान्य शेयरों के निर्गम (निक्षेपागार रसीद तंत्र के जरिए) योजना, 1993" के अंतर्गत मर्यादित दोनों तरफ से परिवर्तनीयता हेजु परिचालन दिशा निर्देश जो भारत सरकार द्वारा अनुमोदित है, प्राधिकृत व्यक्तियों और उनके ग्राहकों के मार्गदर्शन हेतु इसके साथ संलग्न है। 3. यह स्पष्ट किया जाता है कि अधिसूचना संख्या फेमा 20/2000-आरबी दिनांक 3 मई 2000 तथा सं.फेमा 41/2000-आरबी, दिनांक 2 मार्च 2001 ने दोनो तरफ से परिवर्तनीयता के परिचालन हेतु अधिकार देनेवाले उपबंधों को नीचे दिया गया है। ए डी आर/जीडीआर के दोनों तरफ से परिवर्तनीयता के परिचालनात्मकता उक्त पैरा 2 में उल्लिखित परिचालन दिशानिर्देशों के उपबंधों के अनुसार अब सुनिश्चित है। 4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कराये। 5. इस परिपत्र में अन्तर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन जारी किए गए है। भवदीय ग्रेस कोशी |