ऋण सूचना कंपनिया (विनियमन) अधिनियम, 2005
आरबीबाइ /2009-10/246 3 दिसंबर 2009 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय /महोदया ऋण सूचना कंपनिया (विनियमन) अधिनियम, 2005 जैसा कि आप जानते है, ऋण सूचना कंपनियां (विनियमन ) अधिनियम, 2005 दिनांक 14 दिसंबर 2006 से लागू हो गया है । अधिनियम की धारा 15(1) के अनुसार प्रत्येक ऋण संस्था को अधिनियम के लागू होने से तीन माह की अवधि के अंदर या आवेदन करने पर रिज़र्व बैंक द्वारा बढाई गई समय सीमा के अंदर कम से कम एक ऋण सूचना कंपनी का सदस्य बनना जरूरी है । 2. अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सरकार ने (कठिनाइयों को दूर करना ) आदेश 2008 दिनांक 24 जनवरी 2008 को जारी किया हे जिसके द्वारा ऋण संस्थाओं को कम से कम एक ऋण सूचना कंपनी की सदस्यता लेने के लिए नियत तारीख को बढ़ाकर 31 दिसंबर 2008 कर दिया है । 24 जनवरी 2008 की उपर्युक्त अधिसूचना की प्रतिलिपि सूचना एवं आवश्यक कार्रवाई के लिए सलंग्न है । इसके अलावा नियत तारीख बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है । 3. इस संबंध में यह सूचित किया जाता हे कि ऋण सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 21 की उप-धारा (1) में यह व्यवस्था है कि "कोई व्यक्ति यदि किसी ऋण संस्था से ऋण सुविधा की मुजूरी के लिए आवेदन करता है, तो वह ऐसी संस्था से उस ऋण सूचना कंपनी द्वारा दी गयी ऋण सूचना की एक प्रति देने के लिए अनुरोध कर सकता है । इसके अलावा, उक्त धारा की उप-धारा (2) में यह भी विनिर्दिष्ट किया है कि उप-धारा (1) में उल्लिखित अनुरोध प्राप्त होने पर विनियमावली के अंतर्गत बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट प्रभारों के भुगतान के अधीन ऐसे व्यक्ति को ऋण सूचना की एक प्रति उपलब्ध करानी होगी। आप जानते ही होंगे कि रिज़र्व बैंक ने उक्त अधिनियम के अंतर्गत बनाई गई ऋण सूचना कंपनी विनियमावली 2006 के विनियमन 12 (3) में इस प्रयोजन के लिए 50 रुपए (पचास रुपए मात्र) का अधिकतम शुल्क पहले ही निर्धारित किया है । 4. चूंकि अधिनियम की धारा 2 की उप-धारा (एफ) में दी गई परिभाषा के अनुसार शहरी सहकारी बैंक ऋण संस्था के अंतर्गत आते हैं , उनको कम से कम एक ऋण सूचना कंपनी की सदस्यता लेनी होगी तथा ऋण सूचना कंपनी द्वारा निर्धारित प्रारूप में ऋण सूचना कंपनी को ऋण संबंधी आंकडे (सकारात्मक तथा नकारात्मक ) प्रस्तुत करना आवश्यक है ।ऋण सूचना कंपनी को बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों पर ऋण सूचना एकत्रीकरण तथा प्रकटन प्रणाली की सफलता निर्भर हैं । अत: यह वांछनीय होगा कि शहरी सहकारी बैंक ऋण सूचना कंपनियों को जब वे काम करना आरंभ करें आंकड़ो की आपूर्ति करने के लिए तत्पर रहें । इस बात को ध्यान में रखते हुए शहरी सहकारी बैंकों को यह सूचित किया जाता है कि डाटाबेस तैयार करने के लिए तुरंत आवश्यक उपाय करें तथा ऋण सूचना के प्रभावी आदान प्रदान के लिए तत्पर रहे । भवदीय (ए.के. खौंड) |
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