एआरसी के लिए एकसमान लेखांकन मानक - आरबीआई - Reserve Bank of India
एआरसी के लिए एकसमान लेखांकन मानक
भारिबैं/2013-2014/571 23 अप्रैल 2014 अध्यक्ष/ प्रबंध निदेशक/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय, एआरसी के लिए एकसमान लेखांकन मानक कृपया 23 अप्रैल 2013 का “प्रतिभूतिकरण कंपनी और पुनर्निमाण कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश तथा दिशानिदेश , 2003 का अवलोकन करें (जिसे इसके बाद निदेश कहा जाएगा)। 2. आस्ति पुनर्निमाण कंपनी (एआरसी) पर भारत सरकार द्वारा गठित मुख्य सलाहकार समूह (केएजी) की सिफारिशों के अनुसरण में, भारतीय रिज़र्व बैंक एआरसी के लिए निम्नलिखित एकसमान लेखांकन मानक पर दिशानिदेश सूचित करता है: ए. अधिग्रहण लागत (अधिग्रहण के पूर्व और बाद में) बैंकों/वित्तीय संस्थाओं से वित्तीय आस्तियों का अधिग्रहण हेतु अधिग्रहण के पूर्व की स्थिति में बरती जाने वाली सावधानी आदि के लिए उठाए गए खर्च को उस अवधि के लिए जिस अवधि में ऐसे लागत उठाए गए है के लाभ और हानि विवरणी से निर्धारित कर तुरंत व्यय किया जाना चाहिए। आस्तियों का अधिग्रहण के बाद ट्रस्ट के निर्माण हेतु, स्टैंप शुल्क, पंजीकरण आदि हेतु उठाये गए खर्च, जिसे ट्रस्ट से वसूली किया जा सकता है, को आरक्षित रखा जाए, यदि खर्च को योजना अवधि [ 23 अप्रैल 2003 का भारिबैं अधिसूचना सं. गैबैंपवि.2/सीजीएम(सीएसएम)-2003 के अनुसार योजना अवधि अर्थात पुनर्निमाण के प्रयोजन हेतु अर्जित की गई अनर्जक आस्तियों (प्रवर्तक के बहियों में) की वसूली हेतु योजना बनाने के लिए अनुमति प्रदान की गई अधिकतम 12 महिने की है ] के 180 दिनों अथवा प्रतिभूति रसीदों (एसआर) के उतार (डाउनग्रेडिंग) [ जैसे निवल आस्ति मूल्य (एनएवी) की तुलना में एसआर के अंकित मूल्य का 50% कम] जो भी पहले हो, के अंदर प्राप्त नहीं होता है तो। बी. राजस्व निर्धारण (i) प्रतिभूति रसीदों के संपूर्ण मूलधन राशि का पूर्ण मोचन के बाद ही प्रतिफल (Yield) का निर्धारण किया जाना चाहिए। (ii) प्रतिभूति रसीदों का पूर्ण मोचन के बाद ही अपसाइड (Upside) आय का निर्धारण किया जाना चाहिए। (iii) उपचय आधार पर प्रबंधन शुल्क का निर्धारण किया जाए। योजना अवधि के दौरान निर्धारित प्रबंधन शुल्क को योजना अवधि की समाप्ति की तारीख से 180 दिनों के अंदर आवश्यक रूप से प्राप्त किया जाना चाहिए। योजना अवधि के बाद निर्धारित प्रबंधन शुल्क को निर्धारित की जाने की तारीख से 180दिनों के अंदर प्राप्त किया जाना चाहिए। इसके बाद अप्राप्त प्रबंधन शुल्क को आरक्षित किया जाए। इसके अतिरिक्त यदि प्राप्ति हेतु निर्धारित समय से पूर्व कोई अप्राप्त प्रबंधन शुल्क आरक्षित होगा तो वह एसआर के एनएवी के अंकित मूल्य के 50% से नीचे गिर जाएगा। [ 23 अप्रैल 2003 का भारिबैं अधिसूचना सं. गैबैंपवि.2/सीजीएम(सीएसएम)-2003 के अनुसार योजना अवधि अर्थात पुनर्निमाण के प्रयोजन हेतु अर्जित की गई अनर्जक आस्तियों (प्रवर्तक के बहियों में) की वसूली हेतु योजना बनाने के लिए अनुमति प्रदान की गई अधिकतम 12 महिने की है ] सी. प्रतिभूति रसीदों (एसआर) का मूल्यांकन एसआर में निवेश की प्रकृति पर विचार करते हुए जहां अंतर्निहित नकद प्रवाह अर्नजक आस्तियों के उगाही पर निर्भर करता है , इसे बिक्री हेतु उपलब्ध के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। अत: एसआर में निवेश को श्रेणी के तहत निवेश के निवल मूल्य ह्रास /निवल मूल्य वृद्धि तक पहुंचाने के प्रयोजन से समेकित किया जा सकता है। यदि कोई निवल मूल्यह्रास है तो उसे उपलब्ध कराया जाए। यदि कोई निवल मूल्य वृद्धि है तो उसे नज़रअंदाज किया जाए। निवल मूल्य ह्रास उपलब्ध कराने के लिए खाते के निवल मूल्य वृद्धि में से उसे नहीं घटाया जाना चाहिए। डी. अनुसूची VI के तहत “परिचालन चक्र संकल्पना” की प्रयोज्यता एससी/आरसी को सूचित किया जाता है कि वे अपने तुलन पत्र में एक वर्ष के अंदर की बकाया सभी देयताओं को “वर्तमान देयता” के रूप में वर्गीकृत करें तथा नकद और बैंक के समक्ष जमाशेष सहित एक वर्ष के अंदर परिपक्व होने वाली आस्ति को ”वर्तामन आस्ति” के रूप में वर्गीकृत करें। एसआर में निवेश करने पर पूंजी और आरक्षित को देयता की तरफ देयता माना जाए और बैंक के समक्ष सावधि जमाराशि को आस्ति के तरफ सावधि(फिक्स) आस्ति माना जाए। 3. लेखांकन दिशानिदेश लेखा वर्ष 2014-15 से प्रभावी होगा। भवदीय, (एन एस विश्वनाथन) |