केद्रीय बाट - 2008-09 - कृषि ऋण माफा और ऋण राहत योज़ना, 2008 - आरबीआई - Reserve Bank of India
केद्रीय बाट - 2008-09 - कृषि ऋण माफा और ऋण राहत योज़ना, 2008
भारिबैं/2008-09/154
ग्राआऋवि.पीएलएफएस.बीसी.सं.24/05.04.02/2008-09
4 सितंबर 2008
अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक
सभी अनुसूचित वाणिज्य़ बैंक (स्थानीय क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित)
प्रिय महोदय,
केद्रीय बज़ट - 2008-09 - कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योज़ना, 2008
कृपया 23 मई 2008 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.सं.पीएलएफएस.जीसी.सं.72/05.04.02/ 2007-08 देखें ज़िसके साथ कृषि ऋण माफा और ऋण राहत योज़ना, 2008 और हमारा बाद में ज़ारी 30 मई 2008 का परिपत्र ग्राआऋवि.सं.पीएलएफएस.बीसी.सं.74/ 05.04.02/2007-08 भेज़ा गया था
ज़िसमें अन्य बातों के साथ-साथ, योज़ना के अंतर्गत दावों की प्रतिपूर्ति और दावों की लेखापरीक्षा की क्रियाविधि से संबंधित अनुदेश निहित हैं।
बाद वाले परिपत्र के पैरा 2 और 5 के कार्यान्वयन के संबंध में बैंकों द्वारा व्यक्त कठिनाइयों के मद्देनज़र दावों की प्रतिपूर्ति और दावों की लेखा परीक्षा की क्रियाविधि को निम्नानुसार संशोधित किया गया है।
क) ज़ैसा कि योज़ना में कहा गया है, लाभार्थियों को वास्तविक रुप में लाभ प्रदान करने के बाद, ओटीएस के अंतर्गत ऋण माफा और ऋण राहत के लिए अलग से समेकित दावे प्रस्तुत किए ज़ाएं।
ख) ’कृषि ऋण माफा और ऋण राहत’ से संबंधित समेकित दावे हमारे दिनांक 30 मई 2008 के परिपत्र ग्राआऋवि.सं.पीएलएफएस.बीसी.सं.74/ 05.04.02/2007-08 के अनुबंध-I और अनुबंध-II में दिए गए प्रारुप में भारतीय रिज़र्व बैंक, ग्रामीण आयोज़ना और ऋण विभाग, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई-400001 को भजे ज़ाएं।
ग) आंतरिक लेखा परीक्षा कार्य के एक भाग के रुप में बैंक शाखा स्तर पर विधिवत् लेखा परीक्षित दावे तैयार करें। उसके बाद शाखावार दावे संबंधित नियंत्रक कार्यालयों को भेजे ज़ाएं ज़िनके साथ आंतरिक लेखा परीक्षकों का आवश्यक प्रमाण पत्र भी भेज़ा ज़ाए। इन दावों को आंतरिक लेखा परीक्षकों के प्रमाण पत्र के आधार पर प्रधान कार्यालय स्तर पर पुन: समेकित किया ज़ाए। योज़ना के अंतर्गत पहली किस्त ज़ारी करने के लिए ऐसे "प्रारंभिक" दावों को रिज़र्व बैंक भेज़ दिया ज़ाए।
घ) ऊपर बताए गए "प्रारंभिक" दावों को क्रमश: 31 अक्तूबर 2008 तक (ऋण माफा के लिए) और 30 सितंबर 2009 तक (ऋण राहत के लिए) अवश्य प्रस्तुत कर दिया ज़ाए।
ङ) बाद में, इन "प्रारंभिक" दावों की केद्रीय सांविधिक लेखा परीक्षकों से ज़िन्हें विशेष रुप से यह कार्य सौंपा ज़ाए, वर्ष 2008-09 (ऋण माफा के लिए) और 2009-10 (ऋण राहत के लिए) की वार्षिक लेखा परीक्षा के दौरान उचित नमूना ज़ांच करवाई ज़ाए। इस प्रयोज़न के लिए, सांविधिक लेखा परीक्षक अपनी ज़ांच में शाखाओं और खातों के कम से कम 20 प्रतिशत प्रतिनिधिक सैपल कवर करें ताकि दावों का सही होना प्रमाणित किया ज़ा सके।
च) उपरोक्त केद्रीय सांविधिक लेखा परीक्षकों द्वारा विधिवत प्रमाणित "अंतिम" समेकित दावे रिज़र्व बैंक को 30 ज़ून 2009 तक (ऋण माफा के लिए अनुबंध I में) और 30 ज़ून 2010 तक (ऋण राहत के लिए अनुबंध II में) प्रस्तुत किए ज़ाएं।
छ) दोनों मामलों में बैंक दावे के आवेदनों पर बड़े अक्षरों में "प्रारंभिक" और "अंतिम" शब्द लिखें ताकि हम उनमें अंतर समझ सकें।
ज) तथापि, योज़ना के अंतर्गत बाद की किस्तों की प्रतिपूर्ति "अंतिम" दावे प्राप्त होने पर ही की ज़ाएगी।
झ) केद्र सरकार, इस बात से संतुष्ट हो जाने पर कि ऐसा करना आवश्यक है, ऋण देनेवाली किसी संस्था या उसकी एक या दो शाखाओं के मामले में विशेष लेखा परीक्षा करवाने के निदेश दे सकती है।
3. उक्त परिपत्र की सभी अन्य शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी।
4. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों के मामले में अनुदेश नाबार्ड ज़ारी करेगा।
भवदीय
(बी.पी. विज़येन्द्र)
मुख्य महाप्रबंधक