शहरी सहकारी बैंकों के लिए गैर ज़मानती ऋण संबंधी एक्सपोज़र मानदंड - आरबीआई - Reserve Bank of India
शहरी सहकारी बैंकों के लिए गैर ज़मानती ऋण संबंधी एक्सपोज़र मानदंड
आरबीआई /2013-14/321 10 अक्तूबर 2013 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/ महोदय, शहरी सहकारी बैंकों के लिए गैर ज़मानती ऋण संबंधी एक्सपोज़र मानदंड कृपया उक्त विषय पर दिनांक 3 अप्रैल 2013 का हमारा परिपत्र सं. शबैंवि.बीपीडी(पीसीबी).45/13.05.000/ 2012-13 देखें जिसमें निर्धारित शर्तों को पूरा करने ऋण शहरी सहकारी बैंकों को गैर ज़मानती लोन और अग्रिमों के लिए कुल परिसंपत्ति के 10% की विद्यमान सीमा से छूट दी गई थी और जिसके अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन से ₹ 20,000/- तक गैर ज़मानती (ज़मानत के साथ या गैर ज़मानत) ऋण एक खाते में, अपनी कुल परिसंपत्ति के 25 प्रतिशत तक प्रदान कर सकते हैं। पुनरीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि शहरी सहकारी बैंकों द्वारा मंजूर किये गए ₹ 10,000/- तक के गैर जमानती ऋण को पिछले वित्तीय वर्ष की 31 मार्च की लेखा परीक्षित तुलनपत्र के अनुसार अपनी कुल परिसंपत्ति के 10% के गैर जमानती समग्र एक्सपोजर सीमा में छूट दिया जाए, बशर्ते कि निम्न शर्तों का अनुपालन हो। ए) मंजूर की गई अलग-अलग राशि ₹ 10,000 से ऊपर न हो। बी) लोन उपयोगी उद्देश्य के लिए होना चाहिए सी) बैंक का सीआरएआर का मूल्यांकन 9 प्रतिशत तक होना चाहिए डी) बैंक का मूल्यांकित सकल एनपीए सकल अग्रिम के 10% से कम होना चाहिए। इस प्रकार बैंकों द्वारा दिए जाने वाले गैर जमानती ऋण कुल परिसंपत्तियों के 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए। उपर्युक्त प्रयोजन के लिए वित्तीय मानदंड पिछले वर्ष की 31 मार्च की स्थिति के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मूल्यांकित होनी चाहिए। 2. उक्त मानदंडों को पूरा न करने वाले शहरी सहकारी बैंकों के लिए गैर जमानती ऋण की सीमा (जमानत या जमानत के बिना या चेक खरीदी के लिए) 31 मार्च के लेखापरिक्षीत तुलनपत्र के अनुसार उनकी कुल आस्तियों के 10% से अधिक नहीं होना चाहिए यह विद्यमान दिशानिर्देश जारी रहेगा तथा यह 15 नवंबर 2010 का गैर-जमानती ऋण तथा अग्रिमों की अधिकतम सीमा विषय पर जारी परिपत्र शबैंवि.बीपीडी(पीसीबी)परि.सं.21 /13.05.000/2010-11 में निर्धारित अनुसार कुल मीयादी व मांग देयताओं और सीआरएआर के अनुपालन पर निर्भर होते हुए तथा साथ में वैयक्तिक और ग्रूप उधारकर्ता सीमा ₹ 25,000 से ₹ 5 लाख तक क्रमबद्ध होगा। भवदीय, (ए.के. बेरा) |