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बड़ी राशि के लेनदेनों के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान

Notification Warning वापस लिया गया w.e.f. 16/11/2021

आरबीआई/2007-2008/261
डीपीएसएस सं.1407/02.10.02/2007-2008

10 मार्च 2008

सभी वाणिज्य और सहकारी बैंकों के अध्यक्ष

एवं प्रबंध निदेशक /मुख्य कार्यकारी अधिकारी

महोदय/महोदया

बड़ी राशि के लेनदेनों के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान

भारतीय रिज़र्व बैंक ने भुगतान प्रणाली की संरक्षा और सुरक्षा के महत्व को समझते हुए रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (आरटीजीएस), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रंसफर सिस्टम (एनईएफटी) और इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सिस्टम (ईसीएस) जैसी प्रणालियां स्थापित की हैं। पिछले कुछ वर्षों से भुगतान के लिए इन प्रणालियों का उपयोग निरंतर बढ़ रहा है।

2. किंतु, अभी भी काफी संख्या में बड़ी राशियों का भुगतान कागज़ी लिखतों के माध्यम से किया जा रहा है। ऐसे भुगतानों को क्लियरिडग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जिसके अंतर्निहित जोखिमों का भी बैंकों को सामना करना पड़ता है। रिज़र्व बैंक ने हाल में एक आंतरिक कार्यदल स्थापित किया था जिसने कागज़ी भुगतान प्रणाली से इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली में परिवर्तन संबंधी मामलों की जांच की और यह सिफारिश की कि यह परिवर्तन चरणबद्ध तरीके से, अर्थात् प्रोत्साहन, निगरानी और आदेशों के माध्यम से किया जाए ।दल की इन सिफारिशों के आधार पर रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर एक दृष्टिकोण-पत्र (एप्रोच पेपर) रखा गया था जिसमें रिज़र्व बैंक द्वारा नियंत्रित संस्थाओं के बीच 1 करोड़ रुपये और उससे अधिक के लेनदेनों के लिए अनिवार्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली के उपयोग पर आम जनता से अभिमत मांगे गये थे ।

3. संबंधितों से प्राप्त अभिमतों का विश्लेषण किया गया । प्राप्त प्रस्ताव सामान्यत: स्वीकार करने योग्य थे। इस आधार पर यह निर्णय लिया गया कि अब से बड़ी राशि, अर्थात् 1 करोड़ रुपये और उससे अधिक राशि के भुगतान निम्नलिखित समय-सीमा के भीतर इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली के माध्यम से ही किए जाएंगे :

लेनदेन का प्रकार

समय सीमा

(i) रिज़र्व बैंक द्वारा नियंत्रित संस्थाओं जैसे बैंक, प्राथमिक व्यापारी और एनबीएफसी के बीच 1 करोड़ रुपये और उससे अधिक के सभी भुगतान

1 अप्रैल 2008

(ii) रिज़र्व बैंक द्वारा नियंत्रित बाज़ारों, जैसे मुद्रा बाज़ार, सरकारी प्रतिभूति बाज़ार और विदेशी मुद्रा बाजार में 1 करोड़ रुपये और उससे अधिक के सभी भुगतान

1 अप्रैल 2008

कृपया इसकी पावती दें और की गई कार्रवाई की पुष्टि करें।

भवदीय

(अरुण पसरीचा)
महाप्रबंधक

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