बड़े मूल्य के संव्यवहारों के लिए इलेक्ट्रॉनिक भुगतान पद्धति का उपयोग
आरबीआई/2007–2008/375 20 जून 2008 अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक / सभी वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों महोदय / महोदया बड़े मूल्य के संव्यवहारों के लिए इलेक्ट्रॉनिक भुगतान पद्धति का उपयोग उपर्युक्त विषय पर आपका ध्यान 10 मार्च 2008 के हमारे परिपत्र आरबीआई/2007-08/261 डीपीएसएस सं.1407/02.10.02/2007-08 की तरफ आकर्षित किया जाता है जिसमें यह अधिदेश दिया गया था कि 1 अप्रैल 2008 के बाद से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नियंत्रित प्रतिष्ठानों द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक नियंत्रित बाजारों में रु.1 करोड़ से अधिक के सभी भुगतान अंतरण को अनिवार्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणालियां यथा - (आरटीजीएस), नैशनल इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी) प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सेवा (ईसीएस) के माध्यम से किए जाएं। इस संदर्भ में यह सूचित किया जाता है कि अभी हाल ही में इस प्रकार के भुगतानों की समीक्षा में यह पाया गया कि ऐसे भुगताना काफी हद तक निर्बाध रूप से इलेक्ट्रॉनिक मोड में होने लगे हैं। इसे देखते हुए और इस पर विचार करते हुए कि इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणालियों और इसके उपयोगकर्ताओं ने जिस स्तर की सहजता हासिल कर ली है, अब 1 अप्रैल 2008 से रु.1 करोड़ की निर्धारित सीमा को रु.10 लाख किया जाता है। कृपया पावती भिजवाएं और यह पुष्टि करें की कार्रवाई आरंभ कर दी गई है। भवदीय, (ए. पी. होता) |
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