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एनआरई खातों में जमा (क्रेडिट) के लिए आरटीजीएस/एनईएफटी/एनईसीएस/ईसीएस का उपयोग - फेमा विनियमों और वायर ट्रांसफर दिशा-निर्देशों का अनुपालन

आरबीआई/2009-10/122
डीपीएसएस (सीओ) ईपीपीडी सं.327/04.03.02/2009-10

14 अगस्त 2009

आरटीजीएस/एनईएफटी/एनईसीएस/ईसीएस में सहभागी
सभी बैंकों के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/
मुख्य कार्यकारी अधिकारी

महोदया/प्रिय महोदय

एनआरई खातों में जमा (क्रेडिट) के लिए आरटीजीएस/एनईएफटी/एनईसीएस/ईसीएस का उपयोग -
फेमा विनियमों और वायर ट्रांसफर दिशा-निर्देशों का अनुपालन

जैसा कि आप जानते हैं, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) विनियमावली अनिवासी बाह्य खातों (एनआरई खातों) के लिए अनुज्ञप्त क्रेडिट की प्रकृति को विनिर्दिष्ट करते हैं, जिसमें अन्य के साथ-साथ विदेशी आवक धन-प्रेषण, अन्य एनआरई खातों से अंतरण, स्थानीय स्रोत से प्राप्त निधियां (निवेशों पर ब्याज/लाभांश/परिपक्वता आगम के रूप में) आदि शामिल हैं, जो कि विदेश में विप्रेषित किए जाने के लिए पात्र हैं I इसके अलावा, दिनांक 13 अप्रैल 2007 के पत्र डीबीओडी.एएमएल.बीसी.सं.77/14.01.001/2006-07 द्वारा जारी वायर ट्रांसफर दिशा-निर्देशों के तहत सदस्य बैंकों को इलेक्ट्रॉनिक भुगतान अनुदेश का उद्भव किए जाने के समय संदेश फोर्मट्स में कुछ न्यूनतम जानकारी प्रदान करना अपेक्षित है।

जहां विदेशी आवक विप्रेषण मध्यस्थ बैंक द्वारा प्राप्त किया गया है, लेन-देनों की पहचान के लिए आरटीजीएस (आर-41 में फील्ड टैग 7495) और एनईएफटी (लेन-देन कोड 40 के तहत फील्ड 7002) के लिए संदेश फोर्मेट्स में बदलाव किए गए थे I इसी तरह, जैसा कि एनईसीएस/ईसीएस पर क्रियाविधि संबंधी दिशा-निर्देशों में निहित है, प्रयोक्ता संस्था द्वारा भरे जाने वाले अधिदेश फॉर्म में एक प्रमाणन प्रदान किया जाता है कि लाभार्थियों के एनआरई खातों को इनपुट डेटा में केवल तभी शामिल किया जाएगा जब यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि वे विदेशी मुद्रा विभाग- भारतीय रिज़र्व बैंक (फेड-आरबीआई) के नियमों/विनियमों का अनुपालन करते हैं। इसे प्रायोजक बैंक द्वारा भी अपने स्तर पर प्रमाणित करना होगा।

यह सुनिश्चित करने का दायित्व प्रवर्तक संस्था/प्रायोजक बैंक का है कि एनआरई खातों में जमा (क्रेडिट्स) वर्तमान फेमा विनियमों और वायर ट्रांसफर दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हैं। यह समझने की आवश्यकता है कि आरटीजीएस, एनईएफटी और एनईसीएस/ईसीएस (क्रेडिट) क्रेडिट-पुश सिस्टम हैं और उपयुक्त स्ट्रेट-थ्रू-प्रोसेसिंग इंटरफेस मौजूद होने पर कुशलतापूर्वक काम करते हैं। प्रक्रिया प्रवाह में फिल्टर, यदि कोई होता है तो, समाशोधन चक्र (साइकिल) में देरी होगी और सिस्टम पर दबाव बढ़ेगा।

इसलिए आरटीजीएस/एनईएफटी/एनईसीएस/ईसीएस में भाग लेने वाले सभी बैंकों को सूचित किया जाता है कि जब निधियों का गंतव्य एनआरई खाता हो, तो प्रवर्तक/प्रायोजक बैंक यह सुनिश्चित करें कि निधियां भारत में वर्तमान फेमा विनियमों और वायर ट्रांसफर दिशा-निर्देशों के अनुसार एनआरई खाते में जमा करने के लिए पात्र है। लाभार्थी/गंतव्य बैंकों को इंटरफ़ेस सॉफ़्टवेयर में आवश्यक परिवर्तन यदि पहले से नहीं किए गए हैं तो करने होंगे, ताकि एनआरई खाते में क्रेडिट संबंधी सभी वैध लेनदेन वापस न हों।

कृपया परिपत्र की प्राप्ति की सूचना दें और अनुपालन की पुष्टि करें।

भवदीय

(जी. पद्मनाभन)
मुख्य महाप्रबंधक

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