शहरी सहकारी बैंकों का स्वैच्छिक आधार पर लघु वित्त बैंकों के रूप में परिवर्तन/संक्रमण (Transition) - आरबीआई - Reserve Bank of India
शहरी सहकारी बैंकों का स्वैच्छिक आधार पर लघु वित्त बैंकों के रूप में परिवर्तन/संक्रमण (Transition)
आरबीआई/2018-19/52 27 सितंबर 2018 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय/महोदया, शहरी सहकारी बैंकों का स्वैच्छिक आधार पर लघु वित्त बैंकों के रूप में परिवर्तन/ संक्रमण (Transition) कृपया 06 जून 2018 के विकासात्मक एवं विनियामकीय नीतियों पर वक्तव्य के अनुच्छेद 4 में की गई घोषणा (उद्धरण संलग्न) का अवलोकन करें। 2. इस संबंध में स्वैच्छिक आधार पर शहरी सहकारी बैंकों के लघु वित्त बैंकों के रूप में संक्रमण के लिए जारी की गयी योजना संलग्न है। 3. योजना के अुनसार योग्य शहरी सहकारी बैंक जो स्वैच्छिक आधार पर लघु वित्त बैंकों के रूप में संक्रमित होना चाहते हैं, वे अपना आवेदन मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, सहकारी बैंक विनियमन विभाग, सी – 7 भवन, पहली मंजिल, बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स, बांद्रा पूर्व, मुंबई - 400 051 को भेजें। भवदीय, (नीरज निगम) विकासात्मक एवं विनियामकीय नीतियों पर 06 जून 2018 का वक्तव्य 4. शहरी सहकारी बैंकों का स्वैच्छिक आधार पर लघु वित्त बैंकों के रूप में परिवर्तन भारतीय रिज़र्व बैंक के तत्कालीन उप गवर्नर श्री आर. गांधी की अध्यक्षता में शहरी सहकारी बैंको (यूसीबी) पर गठित उच्च अधिकार प्राप्त समिति ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह सिफ़ारिश की थी कि बड़े बहु-राज्य शहरी सहकारी बैंकों को संयुक्त स्टॉक कंपनियों तथा अन्य शहरी सहकारी बैंकों को कुछ मानदंडों के अधीन स्वैच्छिक आधार पर लघु वित्त बैंकों के रूप में परिवर्तित किया जाए। इन सिफ़ारिशों के अनुसरण में यह निर्णय लिया गया है कि निर्धारित मानदंडों को पूरा करने वाले शहरी सहकारी बैंकों को लघु वित्त बैंकों के रूप में स्वैच्छिक आधार पर परिवर्तन की अनुमति दी जाए। इस संबंध में विस्तृत विवरण सहित योजना की घोषणा अलग से की जाएगी। शहरी सहकारी बैंक के एसएफबी में स्वैच्छिक आधार पर परिवर्तन/ संक्रमण(Transition) संबंधी योजना (27 सितंबर 2018 के परिपत्र सं.डीसीबीआर.केंका.एलएस.पीसीबी.परि.सं. 5/07.01.000/2018-19) अध्याय । बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पाठित धारा 5(सीसीवी) के अनुसार एक प्राथमिक सहकारी बैंक (शहरी सहकारी बैंक या यूसीबी) का तात्पर्य एक ऐसी सहकारी सोसाइटी से है जो प्राथमिक कृषि क्रेडिट सोसाइटी से भिन्न है एवं जिसका (क) प्राथमिक उद्देश्य या प्रधान कारोबार बैंकिंग कारोबार है; (ख) जिसकी प्रदत्त शेयर पूंजी और रिजर्व एक लाख रुपये से कम नहीं है ; और (ग) जिसकी उपविधियां अन्य किसी सहकारी सोसाइटी को सदस्य के रूप में सम्मिलित होने की अनुज्ञा नहीं देती हैं, हालांकि यह उपखंड तब लागू नहीं होगा कि जब एक सहकारी बैंक राज्य सरकार द्वारा दी गई निधि में से ऐसी सहकारी सोसाइटी की शेयर पूंजी में अभिदान करता है और उसके सदस्य के रूप में सम्मिलित होता है। 2. विगत कई वर्षों में कुछ शहरी सहकारी बैंकों ने उच्च वृद्धि दर दर्ज करते हुए अपने परिचालन-क्षेत्र का विस्तार एक से अधिक राज्यों में किया है और इस प्रकार उन्होंने एक लघु वाणिज्यिक बैंक का आकार और जटिलताएं धारण कर ली हैं। रिजर्व बैंक ने 27 अगस्त 2013 को “भारत में बैंकिंग संरचना –भावी स्वरूप” विषय पर एक नीतिगत चर्चा-पत्र में शहरी सहकारी बैंकों के वाणिज्यिक बैंकों में परिवर्तन पर विचार किया एवं यह उल्लेख किया कि शहरी सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक बैंकों या लघु बैंकों के रूप में परिवर्तित होने की संभावनाओं का पता लगाया जाए। शहरी सहकारी बैंकों से संबंधित उच्च अधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) ने बडे़ बहु राज्य सहकारी बैंकों को स्वैच्छिक आधार पर संयुक्त स्टॉक कंपनियों के रूप में एवं अन्य योग्य शहरी सहकारी बैंकों को लघु वित्त बैंक (एसएफबी) के रूप में परिवर्तन संबंधी सिफारिश की थी। 3. भारतीय रिजर्व बैंक ने निजी क्षेत्र में लघु वित्त बैंकों को लाइसेंस प्रदान जारी करने के संबंध में दिनांक 27 नवंबर 2014 को दिशानिर्देश जारी किये थे जिनका उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने हेतु (i) वित्तीय सेवा से वंचित और अल्पसेवा प्राप्त तबकों के लिए बचत माध्यमों का प्रावधान करना, और (ii) लघु कारोबार इकाइयों; छोटे और सीमांत किसानों; सूक्ष्म और लघु उद्योगों तथा असंगठित क्षेत्र की अन्य संस्थाओं को उच्च प्रौद्योगिकी व कम लागत परिचालनों के माध्यम से ऋण की आपूर्ति करना है। लघु वित्त बैंकों के लिए न्यूनतम चुकता इक्विटि पूंजी 100 करोड़ रुपये तथा न्यूनतम विनियामकीय सीआरएआर 15% निर्धारित किये गए हैं। साथ ही, उनके समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) में 75% हिस्सा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण (पीएसएल) का होगा तथा उनके ऋण संविभाग का 50 प्रतिशत हिस्सा 25 लाख रुपये तक के ऋणों एवं अग्रिमों का होगा। 4. बैंकिंग क्षेत्र में द्रुत गति से हो रहे परिवर्तनों के साथ कदम मिलाने एवं संवृद्धि को गति प्रदान करने की दृष्टि से स्वैच्छिक आधार पर शहरी सहकारी बैंकों के एसएफबी में संक्रमण (Transition) संबंधी योजना विभिन्न उत्पाद / सेवाएं उपलब्ध कराने, प्रतिस्पर्धा में टिके रहने, पूंजी बढ़ाने आदि के लिहाज से महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगी। तदनुसार आस्तियों व देयताओं के अंतरण के माध्यम से स्वैच्छिक आधार पर शहरी सहकारी बैंक के एसएफबी के रूप में संक्रमण (Transition) के लिए यह योजना शुरू की जा रही है। अध्याय II इस योजना के अंतर्गत ऐसे शहरी सहकारी बैंक जिनका निष्पादन रिकार्ड अच्छा है, वे स्वैच्छिक आधार पर एसएफबी में संक्रमित होने के लिए पात्र हैं। पात्र शहरी सहकारी बैंक योजना में निर्धारित दिशा निर्देशों के अनुसार प्रवर्तकों का चयन करेंगे ताकि उनके द्वारा एसएफबी में संक्रमित होने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक में आवेदन प्रस्तुत किया जा सके। योजना में बताई गई अपेक्षाओं का अनुपालन होने एवं समुचित सावधानी की प्रक्रिया के बाद यूसीबी से एसएफबी में संक्रमित होने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक सैद्धांतिक मंजूरी जारी करेगा। एसएफबी के रूप में कारोबार को प्रारंभ करने के लिए अधिकतम 18 महीने की अवधि की अनुमति दी जाएगी। प्रवर्तक भारतीय रिजर्व बैंक से सैद्धांतिक मंजूरी प्राप्त करने के बाद कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत पब्लिक लिमिटेड कंपनी स्थापित करेंगे जिसके नाम में “बैंक” शब्द शामिल किया जाएगा। कंपनी के निदेशक मंडल द्वारा अपेक्षित अनुभव रखना और भारतीय रिजर्व बैंक के “योग्य और उचित” मानदंडो को पूरा करना अनिवार्य होगा। उक्त कंपनी शहरी सहकारी बैंक के साथ उसकी आस्तियों व देयताओं के अंतरण के लिए करार करेगी जिसे एसएफबी लाइसेंस जारी करने के बाद निष्पादित किया जाएगा। प्रवर्तक किसी भी स्वीकार्य रूप में इक्विटि पूंजी के लिए उपलब्ध निधि को दर्शाते हुए एसएफबी लाइसेंस के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से संपर्क करेंगे ताकि एसएफबी की शुरुआत से ही 100 करोड़ रुपये की न्यूनतम निवल संपत्ति तथा प्रवर्तकों के न्यूनतम 26 प्रतिशत की चुकता इक्विटी पूंजी सुनिश्चित की जा सके। लाइसेंस संबंधी आवेदन को योजना के विनिर्दिष्ट निर्देशों के साथ-साथ दिनांक 27 नवंबर 2014 को जारी किए निजी क्षेत्र में एसएफबी लाइसेंसिंग से संबंधित दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए प्रोसैस(Process) किया जाएगा। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लाइसेंस जारी करने के बाद शहरी सहकारी बैंक की आस्तियों व देयताओं को नई कंपनी में अंतरित करने के संबंध में स्लंप बिक्री करार (slump sale agreement) का निष्पादन किया जाना होगा। यह लाइसेंस तभी प्रभावी होगा जब एसएफबी के लिए निर्धारित न्यूनतम निवल संपत्ति (Net worth) की पूर्ति हो गयी हो तथा शहरी सहकारी बैंक की आस्तियों व देयताओं का पूरी तरह से एसएफबी में अंतरण (transfer) हो चुका हो। प्रवर्तक यह सुनिश्चित करेंगे कि आस्तियों व देयताओं के अंतरण की प्रक्रिया के दौरान कारोबार में कोई बाधा (business disruption) न आये। शहरी सहकारी बैंक के एसएफबी में परिवर्तित होने के बाद उस पर एसएफबी के सभी मानदंड लागू होंगे जिनमें लगातार 15% सीआरएआर (CRAR) बनाए रखना भी शामिल होगा। तदनुसार शहरी सहकारी बैंक अपना लाइसेंस भारतीय रिजर्व बैंक को सौंप देगा। इसके परिणामस्वरूप बनी सहकारी सोसाइटी को यथा समय समाप्त (wound up) किया जाएगा। 2. पात्रता के लिए मूलभूत वित्तीय मानदंड इस योजना के अंतर्गत ऐसे शहरी सहकारी बैंक जिनकी निवल संपत्ति 50 करोड़ रुपये और जोखिम भारित आस्तियों (Risk Weighted Assets) की तुलना में पूंजी का अनुपात (CRAR) 9% और उससे अधिक है, एसएफबी में स्वैच्छिक आधार पर परिवर्तित होने के लिए पात्र होंगे। 3. प्रवर्तक ऐसे व्यक्तियों/ प्रोफेशनल्स का समूह जो शहरी सहकारी बैंक के कम से कम तीन वर्ष की अवधि के लिए सदस्य रहे हों और जिन्हें आम सभा द्वारा उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से चुना गया हो, को नई पब्लिक लिमिटेड कंपनी की स्थापना के लिए प्रवर्तकों के रूप माना जाएगा। प्रवर्तकों का भारत के निवासी होंने के साथ बैंकिंग और वित्त क्षेत्र में 10 वर्ष का अनुभव आवश्यक होगा। प्रवर्तक / प्रवर्तक समूह का सेबी (पूंजी निर्गम और प्रकटीकरण अपेक्षाएं) विनियमावली 2009 में परिभाषित मानदंड एवं भारतीय रिजर्व बैंक के ‘योग्य और उचित’ मानदंडो को पूरा करना अनिवार्य होगा। रिजर्व बैंक प्रवर्तकों की “योग्य एवं उचित” स्थिति का मूल्यांकन उनकी सुदृढ़ साख, ईमानदारी (integrity), वित्तीय सुदृढ़ता और व्यावसायिक अनुभव या कारोबार चलाने के सफल अनुभव के आधार पर करेगा । 4. पूंजी अपेक्षा कारोबार के प्रारंभ होने की तारीख से प्रस्तावित एसएफबी की निवल संपत्ति 100 करोड़ रुपये होगी। चूंकि लघु वित्त बैंकों को अपनी जोखिम भारित आस्तियों (आरडबल्यूए) में से लगातार न्यूनतम 15 प्रतिशत का पूंजी पर्याप्तता अनुपात बनाए रखने की आवश्यकता है, अत: पर्याप्त पूंजी कि उपलब्धता सुनिश्चित की जानी होगी। एसएफबी की चुकता इक्विटी पूंजी में प्रवर्तकों को कम से कम 26% की हिस्सेदारी बनाए रखनी होगी । 5. निजी क्षेत्र में एसएफबी लाइसेंस जारी करने के संबंध में 27 नवंबर 2014 के दिशानिर्देशों का अनुपालन (‘एसएफबी दिशानिर्देश’) उपर्युक्त शर्तों के अलावा योजना के अंतर्गत संक्रमित हो रहे शहरी सहकारी बैंकों के लिए आवश्यक है कि वे एसएफबी के परिचालन प्रारंभ होने की तारीख से उक्त दिशानिर्देशों का अनुपालन करना सुनिश्चित करें। अध्याय ।।। 1. यह योजना “ऑन टैप” होगी और बेवसाइट पर प्रकाशित अधिसूचना की तारीख के बाद से रिज़र्व बैंक को कभी भी आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है। बैंककारी विनियमन (कंपनी) नियम, 1949 के नियम 11 के अनुसार प्रवर्तक अपना आवदेन निर्धारित फार्म (फार्म ।।।) में निम्नलिखित दस्तावेज़ों एवं सूचना के साथ प्रस्तुत करेंगे :
2. प्रवर्तक आवेदन के साथ योजना की शर्तों का अनुपालन दर्शाते हुए दस्तावेज़ प्रस्तुत करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि आवेदन का अंतिम निपटान होने तक शहरी सहकारी बैंक उपर्युक्त मानदंडों का अनुपालन करना जारी रखे। 3. प्रवर्तक अपने आवेदन के साथ-साथ अपनी कारोबार संबंधी योजनाएं और परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। कारोबार योजना में इस बात का उल्लेख हो कि एसएफबी की स्थापना के बाद वह किस प्रकार अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेगा। कारोबार योजना वास्तविक और व्यवहार्य होनी चाहिए। लाइसेंस जारी करने के बाद यदि कारोबार योजना में विचलन पाया गया तो भारतीय रिजर्व बैंक जहां आवश्यक होगा, एसएफबी के विस्तार पर प्रतिबंध लगाना, प्रबंधन का परिवर्तन करना एवं अन्य दण्डात्मक कार्रवाई कर सकता है। 4. प्रवर्तक आवदेन के साथ निम्नलिखित अतिरिक्त सूचना प्रस्तुत करना अवश्य सुनिश्चित करें: A. व्यक्तिगत प्रवर्तक से संबंधित सूचना
ख. शहरी सहकारी बैंक के एसएफबी में संक्रमित होने से संबंधित जानकारी
ग. परियोजना रिपोर्ट प्रस्तावित एसएफबी के संबंध में परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए जिसमें एसएफबी दिशानिर्देशों के अनुसार कारोबार क्षमता और अर्थक्षमता, प्रस्तावित परिचालन क्षेत्र, कारोबार योजना, अन्य कोई प्रस्तावित वित्तीय सेवाएं, सीआरआर/एसएलआर से संबन्धित विवेकपूर्ण मानदंडों का अनुपालन, ऋण पोर्टफोलियो का घटक, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र आदि के अनुपालन संबंधी योजना और आवश्यक समझी जाने वाली अन्य कोई सूचना शामिल की हो। उक्त रिपोर्ट में शहरी सहकारी बैंक की आस्तियों का अंतरण होने के बाद कारोबार के प्रारंभ होने की तारीख से पूंजी अपेक्षा का विस्तृत परिकलन होना चाहिए ताकि 15 प्रतिशत का न्यूनतम सीआरएआर बनाए रखा जा सके। परियोजना रिपोर्ट में पर्याप्त बुनियादी सूचना के आधार पर जहां तक संभव हो, ठोस विविरण दिया जाना चाहिए और अवास्तविक एवं अनावश्यक महत्वाकांक्षी अनुमान ना लगाया जाना चाहिए। कारोबार योजना में इस बात का उल्लेख हो कि बैंक कैसे वित्तीय समावेशन प्राप्त करेगा और कैसे शहरी सहकारी बैंक का कारोबार एसएफबी में परिवर्तित होगा या उसका किस प्रकार निर्निहीत / निपटारा किया जाएगा। घ. अन्य कोई सूचना प्रवर्तक अपने आवदेन के संबंध में अन्य कोई प्रासंगिक सूचना या समर्थक दस्तावेज़ प्रस्तुत कर सकते हैं। साथ ही, भारतीय रिजर्व बैंक अन्य कोई अतिरिक्त जानकारी जिसे वह आवश्यक समझे यथा समय मंगा सकता है। 5. बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के नियम 11 के अनुसार प्रवर्तक अपने आवदेन को उपर्युक्त अन्य विवरणों के साथ निर्धारित फार्म (फार्म।।।) में एक लिफाफा पर “एसएफबी में संक्रमण” उत्कीर्ण करते हुए निम्नलिखित पते पर भजें: मुख्य महाप्रबंधक अध्याय IV 1. संक्रमण विधि बैंकिंग कंपनी का निगमन किए जाने के बाद और सैद्धांतिक मंजूरी में बताए गए अन्य निबंधन व शर्तों के अनुपालन के पश्चात प्रवर्तक बैंकिंग लाइसेंस के लिए निम्नलिखित के साथ भारतीय रिजर्व बैंक से संपर्क करेंगे:
2. भारतीय रिजर्व बैंक के निर्णय आवदेकों की पात्रता सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा आवेदनों की जांच की जाएगी। आवेदनों की उपयुक्तता तय करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक निर्धारित मानदंडों के अलावा अतिरिक्त मानदंड भी लागू कर सकता है। शहरी सहकारी बैंक को सैद्धांतिक मंज़ूरी जारी करने के बाद प्रवर्तकों या शहरी सहकारी बैंक के संबंध में कोई प्रतिकूल बात पाए जाने की स्थिति में भारतीय रिजर्व बैंक अतिरिक्त शर्तें लगा सकता है और आवश्यकता पड़ने पर सैद्धांतिक मंजूरी को वापस भी लिया जा सकता है। ‘सैद्धांतिक मंजूरी’ में बताई गई शर्तों के अनुपालन से रिज़र्व बैंक द्वारा संतुष्ट होने पर एसएफबी लाइसेंस प्रदान किया जाएगा। तब तक शहरी सहकारी बैंक जमाकर्ताओं हित के लिए कार्य करना जारी रखेगा। एसएफबी में संक्रमण होने के बाद ऐसे सभी मानदंड लागू होंगे जो एसएफबी पर लागू होते हैं जिनमें लगातार 15 प्रतिशत का सीआरएआर बनाए रखना भी शामिल है। इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक का निर्णय अंतिम होगा और इस मामले पर पुनर्विचार संबंधी अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जायेगा। |