RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S3

Press Releases Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

108155186

ए लीडिंग इंडेक्स फॉर इंडियन एक्सपोर्टस्

‘ए लीडिंग इंडेक्स फॉर इंडियन एक्सपोर्टस्’

2 मार्च 2001

भारतीय रिज़र्व बैंक के विकास अनुसंधान दल ने "ए लीडिंग इंडेक्स फॉर इंडियन एक्सपोर्टस् " नामक एक अध्ययन जारी किया है। द्राृृंखला का यह तेईसवां अध्ययन है तथा दिल्ली स्कूल ऑफ इक़ानॉमिक्स की डॉ. पमी दुआ और इकॉनॉमिक्स सायकल्स रिसर्च इंस्टिटयूट अमेरिका के डॉ. अनिर्वाण बैनर्जी इसके लेखक हैं।

विकास अनुसंधान दल अध्ययन द्राृृंखला नीति-उन्मुख अनुसंधान को महत्त्व देती है। व्यावसायिक अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं के बीच अद्यतन रुचि के विषयों पर रचनात्मक चर्चा करने की दृष्टि से इनका व्यापक परिचालन किया जाता है। अध्ययन भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट

http://www.rbi.org.in पर उपलब्ध हैं। इन अध्ययनों में अभिव्यक्त विचार लेखकों के हैं; रिज़र्व बैंक के अभिमत इसमें प्रतिबिंबित नहीं होते।

भारतीय अर्थव्यवस्था के उत्तरोत्तर सार्वभौमिकरण (ग्लोबलाइज़ेशन) के साथ बाह्य क्षेत्र की निगरानी करने की बात राष्ट्रीय तथा कंपनी दोनों स्तरों पर नीति निर्माण के लिए अत्यावश्यक रूप से महत्त्वपूर्ण हो रही है। बाह्य क्षेत्र का प्रमुख घटक निर्यातों का स्तर है क्योंकि इससे देशी आर्थिक निष्पादन पर सीधा असर पड़ता है। अत: स्तर के परिवर्तन की दिशा और निर्यातों की वृद्धि दर का पूर्वानुमान लगाने के लिए सही और विश्वसनीय साधन का निर्माण, नीति निर्माण के लिए बेहतर साबित हो सकता है।

यह अध्ययन निर्यातों के लिए एक ऐसा प्रमुख सूचकांक तैयार करता है जो वास्तविक निर्यातों की गतिविधियों, निर्यातों की कीमतों तथा उनके मूल्यों का पूर्वानुमान लगाता है। भारतीय निर्यातों के लिए यह प्रमुख सूचकांक तैयार करने का तर्काधार निम्नानुसार है:- भारत के व्यापारिक भागीदारों की अर्थव्यवस्था में चक्रीय विस्तार से भारत के निर्यातों में वृद्धि की अपेक्षा की जाती है। कारोबार चक्र के इन उतार-चढ़ावों (जो आर्थिक गतिविधियों के स्तर से संबद्ध हैं) और/या व्यापारिक भागीदारों की अर्थव्यवस्था का वृद्धि दर चक्र का पूर्वानुमान, अग्रणी सूचकांकों से छह से नौ महीने पहले और/या पारंपरिक रूप से ऐसे अग्रणी सूचकांकों द्वारा किया जा सकता है जो परस्परागत अग्रणी सूचकांकों से अतिरिक्त रूप से कुछ महीने आगे चलते हैं।

व्यापारिक भागीदारों की अर्थव्यवस्थाओं में होने वाले ये चक्रीय परिवर्तन से उनकी आयातों की मांग या भारत के निर्यातों की मांग की तरफ भी संकेत देते हैं। भारत के व्यापारिक भागीदारों की अर्थव्यवस्थाओं में होनेवाले चक्रीय उतार चढ़ावों के अलावा व्यापारिक भागीदारों की तुलना में विनिमय दर भी निर्यातों के अग्रणी संकेतक हैं। यदि भारत के व्यापारिक भागीदारों की अर्थव्यवस्थाओं मे चक्रीय विस्तार के साथ उनकी करेंसी में मूल्य-हास भी हो तो भारत के निर्यातों पर पड़ने वाला प्रभाव अस्पष्ट होगा क्योंकि विस्तार के असर की क्षतिपूर्ति पूरी तरह से या आंशिक रूप से व्यापारिक भागीदारों द्वारा महसूस की जाने वाली आयातों की बढ़ती लागत के द्वारा हो जायेगी।

अतएव, भारतीय अर्थव्यवस्था के मौजूदा तथा भावी निर्यातों को सही रूप से आंकने के लिए भारत के व्यापारिक भागीदारों की अर्थव्यवस्थाओं के चक्रीय घटकों को देखने के साथ-साथ विनिमय दर में होनेवाले उतार-चढ़ावों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। इस तरह भारत के व्यापारिक भागीदारों के अग्रणी सूचकांक भारत के निर्यातों का पूर्वानुमान लगाने के लिए एक मजबूत आधार हो सकते हैं तथा इन देशों के अग्रणी सूचकांकों के भारित औसत भारत के निर्यातों के उतार-चढ़ावों का पूर्वानुमान लगाने के लिए इस्तेमाल किये जा सकते हैं।

इस अध्ययन में भारतीय रुपये की 36 देशों की वास्तविक प्रभावी विनिमय दर संबंधी जानकारी तथा ईसीआरआइ में विकसित भारत के 15 प्रमुख व्यापारिक भागीदारों के अग्रणी सूचव ांकों को शामिल किया गया है। ये पंद्रह देश हैं - युनाइटेड स्टेट्स, कनाडा, मैक्सिको, जर्मनी, फ्रांस, यनाइटेड किंगडम, इटली, स्पेन, स्विटजरलैंड, स्वीडन, जापान, कोरिया, ताइवान, ऑस्टे्रलिया और न्यूज़ीलैंड - जो कुल मिला कर भारत के कुल निर्यातों का करीब आधा हिस्सा पूरा करते हैं। कंपोजिट सूचकों की पूर्वानुमान लगाने की क्षमता (जो 15 देशों के वास्तविक विनिमय दर और अग्रणी सूचकों के आधार पर तैयार की गयी है) का मूल्यांकन निर्यातों के मात्रात्मक सूचकों की चक्रीय गतिविधियों, निर्यातों के यूनिट मूल्य और पिछले 25 वर्षों के उनके कुल मूल्य की चक्रीय गतिविधियों की तुलना में किया गया है। इसके परिणाम यह दर्शाते हैं कि भारतीय निर्यातों के अग्रणी सूचकांक (स्तर और वृद्धि रूप में) पिछले 25 वर्षों के वास्तविक निर्यातों, निर्यातों की लागत और उनके मूल्य के अधिकतम चक्रीय परिवर्तनों का पूर्वानुमान लगा सकते थे। ये परिणाम इसलिए कड़े हैं क्योंकि अग्रणियों के स्तर-मान विचलन निष्पादन के आधार पर यही अपेक्षा की जा सकती है कि भविष्य में पूर्वानुमान लगाने की उनकी शक्ति में सुधार आयेगा।

सूरज प्रकाश
प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2000-2001/1226

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?