मुद्रास्फीति सूचकांकित बॉण्ड (आइआइबी) पर तकनीकी पेपर - आरबीआई - Reserve Bank of India
मुद्रास्फीति सूचकांकित बॉण्ड (आइआइबी) पर तकनीकी पेपर
9 दिसंबर 2010 ''मुद्रास्फीति सूचकांकित बॉण्ड (आइआइबी)'' पर तकनीकी पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक ने जनता से अभिमत प्राप्त करने के लिए आज अपनी वेबसाइट पर ''मुद्रास्फीति सूचकांकित बॉण्डों'' पर तकनीकी पेपर डाला। इस तकनीकी टिप्पणी पर अभिमत 31 दिसंबर 2010 तक मुख्य महाप्रबंधक, आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय भवन, 23वीं मंजि़ल, एस.बी.मार्ग, मुंबई-400001 को भेजे जाऍं। पृष्ठभूमि भारत में सूचकांकित बॉण्डों का एक भिन्न रूप अर्थात् पूँजी सूचकांकित बॉण्ड (सीआइबी), 2002 को 29 दिसंबर 1997 को जारी किया गया था जिसमें मोचन के समय मुद्रास्फीति के लिए केवल मूल चुकौती सूचीबद्ध थी। पूर्व अनुभव तथा बाज़ार सहभागियों से प्राप्त प्रतिसूचना के आधार पर सभी पण्यों के लिए थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआइ) से जोड़ते हुए ब्याज भुगतानों और मूल धन की चुकौतियॉं दोनों को मुद्रास्फीति से सुरक्षा देने के लिए आइआइबी का नया संस्करण तैयार किया गया है। यह तकनीकी पेपर सूची तैयार करने की पद्धति (मूलधन अथवा ब्याज), मुद्रास्फीति सूची अंतर निर्गम पद्धति और निपटान मूल्य की गणना की पद्धति सहित आइआइबी के ढॉंचे को निर्धारित करता है। प्रमुख विशिष्टताएं • आइआइबी के वर्तमान ढॉंचे में वर्ष 2005 में बैंक द्वारा जारी पूँजी सूचकांकित बॉण्ड पर चर्चा पेपर में दिए गए अनुसार मूलधन को सूचकांकित किया जाएगा और कूपन की गणना सूचकांकित मूलधन पर की जाएगी। • चूँकि आइआइबी का उद्देश्य वास्तविक मुद्रास्फीति से सुरक्षा उपलब्ध कराना है, अंतिम थोक मूल्य सूचकांक का प्रयोग सूचकांकित करने के लिए किया जाएगा। • चार महीने के अंतरवाले अंतिम थोक मूल्य सूचकांक का प्रयोग कैलण्डर महीने के पहले दिन जिसमें 'निर्गम तारीख' और 'निर्धारित तारीख' आती है को संदर्भ थोक मूल्य सूचकांक के लिए किया जाएगा। • तकनीकी आधारों (व्यापकता, आधार वर्ष आदि) पर जब और जैसे थोक मूल्य सूचकांक को संशोधित किया जा रहा हो सूचकांक प्रयोजन के लिए नए थोक मूल्य सूचकांक का उपयोग किया जाएगा तथा नए थोक मूल्य सूचकांक के पिछले मूल्य की गणना सहबद्ध्ता कारक माध्यम से की जाएगी। • प्राथमिक नीलामी में आइआइबी सम मूल्य पर जारी किया जाएगा तथा निवेशक वास्तविक प्रतिलाभ के अनुसार अपनी बोलियॉं प्रस्तुत करेंगे। • पुननिर्गम के मामले में, निवेशक मूल्य के अनुसार अपनी बोलियॉं प्रस्तुत करेंगे तथा निपटान मूल्य की गणना कट-ऑफ मूल्य के योग तथा सूचकांक अनुपात द्वारा उपचित वास्तविक ब्याज के गुणन द्वारा की जाएगी। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2010-2011/810 |