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भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45एल(1)(बी) के अंतर्गत आईआईएफएल फाइनेंस लिमिटेड के विरुद्ध कार्रवाई

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45एल(1)(बी) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, आईआईएफएल फाइनेंस लिमिटेड ("कंपनी") को तत्काल प्रभाव से स्वर्ण ऋण स्वीकृत करने या संवितरित करने या उसके किसी भी स्वर्ण ऋण के समनुदेश/ प्रतिभूतीकरण /बिक्री पर रोक लगाने का निदेश जारी किया है। तथापि, कंपनी सामान्य संग्रहण और वसूली प्रक्रियाओं के माध्यम से अपने मौजूदा स्वर्ण ऋण पोर्टफोलियो का ऋण शोधन जारी रख सकती है।

31 मार्च 2023 को कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी का निरीक्षण किया गया। कंपनी के स्वर्ण ऋण पोर्टफोलियो में कतिपय महत्वपूर्ण पर्यवेक्षी चिंताएँ पाई गईं, जिनमें ऋण की मंजूरी के समय और चूक (डिफ़ॉल्ट) पर नीलामी के समय स्वर्ण की शुद्धता और शुद्ध वजन की जांच और प्रमाणित करने में गंभीर विचलन; ऋण-से-मूल्य अनुपात में उल्लंघन; सांविधिक सीमा से कहीं अधिक नकदी में ऋण राशि का महत्वपूर्ण संवितरण और संग्रहण; मानक नीलामी प्रक्रिया का अननुपालन; और ग्राहक खातों पर लगाए जाने वाले प्रभार में पारदर्शिता की कमी आदि शामिल थे। ये व्यवहार, विनियामक उल्लंघन के अलावा, ग्राहकों के हितों पर भी महत्वपूर्ण और प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। पिछले कुछ महीनों में, भारतीय रिज़र्व बैंक इन कमियों पर कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधन और सांविधिक लेखा परीक्षकों के साथ वार्तालाप कर रहा है; तथापि, अब तक कोई सार्थक सुधारात्मक कार्रवाई सामने नहीं आई है। इससे ग्राहकों के समग्र हित में, तत्काल प्रभाव से कारोबारी प्रतिबंध लगाना आवश्यक हो गया है।

इन पर्यवेक्षी प्रतिबंधों की समीक्षा, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की जाने वाली विशेष लेखापरीक्षा पूरी  होने तथा भारतीय रिज़र्व बैंक की संतुष्टि तक, विशेष लेखापरीक्षा के निष्कर्षों और भारतीय रिज़र्व बैंक निरीक्षण के निष्कर्षों पर कंपनी द्वारा सुधार के बाद की जाएगी।

यह कारोबारी प्रतिबंध किसी भी अन्य विनियामक या पर्यवेक्षी कार्रवाई पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना है, जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी के विरुद्ध शुरू किया जा सकता है।

 

 

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1994

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