भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45एल(1)(बी) के अंतर्गत जेएम फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स लिमिटेड के विरुद्ध कार्रवाई - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45एल(1)(बी) के अंतर्गत जेएम फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स लिमिटेड के विरुद्ध कार्रवाई
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45एल(1)(बी) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, जेएम फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स लिमिटेड (जेएमएफपीएल या 'कंपनी') को तत्काल प्रभाव से, शेयरों और डिबेंचर के सापेक्ष किसी भी प्रकार के वित्तपोषण, जिसमें शेयरों के प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) के साथ-साथ डिबेंचर के अभिदान के सापेक्ष ऋण की मंजूरी और संवितरण भी शामिल है, पर रोक लगाने का निदेश जारी किया है। तथापि, कंपनी सामान्य संग्रहण और वसूली प्रक्रियाओं के माध्यम से अपने मौजूदा ऋण खातों का ऋण शोधन जारी रख सकती है। आईपीओ वित्तपोषण के साथ-साथ एनसीडी अभिदान के लिए कंपनी द्वारा स्वीकृत ऋणों के संबंध में पाई गई कतिपय गंभीर कमियों के कारण यह कार्रवाई आवश्यक हो गई है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा साझा की गई जानकारी के आधार पर कंपनी की बहियों की सीमित समीक्षा की।
सीमित समीक्षा के दौरान, अन्य बातों के साथ- साथ यह देखा गया कि कंपनी ने अपने ग्राहकों के एक समूह को उधार ली गई धनराशि का उपयोग करके विभिन्न आईपीओ और एनसीडी प्रस्तावों के लिए बोली लगाने में बार-बार सहायता की। ऋण हामीदारी अंकन (अंडरराइटिंग) अव्यवस्थित पाई गई, और वित्तपोषण अल्प मार्जिन पर किया गया था। अभिदान के लिए आवेदन, डीमैट खाते और बैंक खाते, सभी को कंपनी द्वारा, मुख्तारनामा (पावर ऑफ अटॉर्नी) (पीओए) और इन ग्राहकों से प्राप्त मास्टर करार का उपयोग करके, बाद के कार्यों में उनकी सहभागिता के बिना संचालित किया गया था। परिणामस्वरूप, कंपनी ऋणदाता और उधारकर्ता दोनों के रूप में प्रभावी ढंग से कार्य करने में सक्षम थी। कंपनी ने पीओए का उपयोग करते हुए बैंक खाता खोलने की व्यवस्था करने के साथ-साथ उक्त बैंक खातों के संचालक के रूप में भी काम किया। विनियामक दिशानिर्देशों के उल्लंघन के अलावा, कंपनी में सुशासन मामलों पर गंभीर चिंताएं हैं, जो हमारे आकलन के अनुसार ग्राहकों के हित के लिए हानिकारक हैं। इस संबंध में बैंक(कों) की ओर से विनियामक उल्लंघनों और कमियों, यदि कोई हो, की अलग से जांच की जा रही है। अभी लगाए जा रहे कारोबारी प्रतिबंधों की समीक्षा, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की जाने वाली विशेष लेखापरीक्षा पूरी होने तथा भारतीय रिज़र्व बैंक की संतुष्टि के अनुसार, कमियों में सुधार के बाद की जाएगी। इसके अलावा, यह कारोबारी प्रतिबंध किसी भी अन्य विनियामक या पर्यवेक्षी कार्रवाई पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना है, जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी के विरुद्ध शुरू किया जा सकता है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/2006 |