सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की कुल जमाराशियां और सकल बैंक ऋण : तिमाही पुस्तिका : दिसंबर 2001 के अंतिम शुक्रवार तक की स्थिति - आरबीआई - Reserve Bank of India
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की कुल जमाराशियां और सकल बैंक ऋण : तिमाही पुस्तिका : दिसंबर 2001 के अंतिम शुक्रवार तक की स्थिति
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की कुल जमाराशियां और सकलबैंक ऋण : तिमाही पुस्तिका : दिसंबर 2001 के अंतिम शुक्रवार तक की स्थिति
5 अप्रैल 2002
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिसम्बर 2001 के अंतिम शुक्रवार तक के अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की कुल जमाराशियों और सकल बैंक ऋण संबंधी आंकड़े प्रस्तुत करनेवाली ‘बैंकिंग सांख्यिकी : तिमाही पुस्तिका : दिसम्बर 2001’ विभिन्न वर्गीकरणों के साथ प्रकाशित की है। सर्वोच्च सौ केंद्रों, जनसंख्या समूहों, जिलों, राज्यों और बैंक समूहों के अनुसार आंकड़े प्रस्तुत किये गये हैं। प्रारंभिक आंकड़े अनुसूचित वाणिज्य बैंकों से बीएसआर-7 विवरणी के माध्यम से इकट्ठा किये गये।
जमाराशियों के आकार के अनुसार रखे गये सौ सर्वोच्च केंद्रों का कुल जमाराशियों में 58.8 प्रतिशत का हिस्सा रहा। उसी प्रकार, बैंक ऋण के आकार के अनुसार रखे गये सर्वोच्च सौ केंद्रों का कुल बैंक ऋण में 75.2 प्रतिशत हिस्सा रहा।
एक समूह के रूप में राष्ट्रीयकृत बैंकों ने कुल जमाराशियों के 52.7 प्रतिशत जमाराशियों का योगदान दिया, जबकि भारतीय स्टेट बैंक और उसके सहयोगी बैंकों ने 25.2 प्रतिशत का हिस्सा बनाया। अन्य अनुसूचित वाणिज्य बैंकों का 12.7 प्रतिशत, विदेशी बैंकों का 5.4 प्रतिशत और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का 4.0 प्रतिशत हिस्सा रहा। सकल बैंक ऋण के मामले में राष्ट्रीयकृत बैंकों ने कुल बैंक ऋणों के 48.4 प्रतिशत का हिस्सा बनाया, जबकि भारतीय स्टेट बैंक और उसके सहयोगी बैंकों ने 28.7 प्रतिशत के हिस्से का दावा किया। अन्य अनुसूचित वाणिज्य बैंकों, विदेशी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का हिस्सा क्रमश: 12.1 प्रतिशत, 7.8 प्रतिशत और 3.0 प्रतिशत रहा।
राज्यों की वृद्धि दरें, जमाराशियों का योगदान और ऋण संबंधी आंकड़े प्रस्तुत किये गये हैं। यह देखा गया है कि जमाराशियों की वार्षिक (बिंदु-दर-बिंदु) वृद्धि दर छत्तीसगढ़ में उच्चतम 25.4 प्रतिशत थी, जिसके बाद त्रिपुरा (24.6 प्रतिशत), दादरा और नगर हवेली (23.1 प्रतिशत), मिज़ोरम (22.8 प्रतिशत), गुजरात (21.6 प्रतिशत), और उत्तरांचल (20.5 प्रतिशत) का क्रम आता है। बैंक ऋण की वार्षिक (बिंदु-दर-बिंदु) वृद्धि दर चंडीगढ़ में उच्चतम (199.3 प्रतिशत) तथा उसके बाद दादरा और नगर हवेली में (67.8 प्रतिशत) रही, सिक्किम में (32.7 प्रतिशत), छत्तीसगढ़ में (32.1 प्रतिशत), मेघालय (31.8 प्रतिशत), मिज़ोरम (28.5 प्रतिशत) का क्रम आता है। पांच राज्यों, अर्थात् महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु ने मिलकर कुल जमाराशियों के 50.0 प्रतिशत अधिक का कुल हिस्सा बनाया जबकि केवल तीन राज्यों अर्थात् महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु ने मिलकर सकल बैंक ऋण के 50.0 प्रतिशत से अधिक का कुल हिस्सा बनाया। अकेले महाराष्ट्र ने कुल जमाराशियों के 17.9 प्रतिशत का हिस्सा बनाया और कुल ऋणों में 25.9 प्रतिशत का हिस्सा बनाया।
अखिल भारतीय ऋण-जमा अनुपात दिसंबर 2001के अंतिम शुक्रवार तक 57.2 प्रतिशत निकला है। यह अनुपात विदेशी बैंकों (82.3 प्रतिशत), भारतीय स्टेट बैंक और उसके सहयोगी बैंकों (65.3 प्रतिशत) के लिए अधिक और अन्य अनुसूचित वाणिज्य बैंकों (54.3 प्रतिशत) के लिए सापेक्षत: कम था। ऋण-जमा अनुपात राष्ट्रीयकृत बैंकों के लिए 52.5 प्रतिशत पर और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए 42.7 प्रतिशत पर निम्नतर रहा। जनसंख्या समूह-वार, महानगरीय केंद्रों में ऋण जमा अनुपात 82.0 प्रतिशत पर उच्चतम रहा जिसके बाद शहरी केंद्रों (42.4 प्रतिशत) और ग्रामीण केंद्रों (40.9 प्रतिशत) तथा अर्ध-शहरी केंद्रों (33.3 प्रतिशत) का क्रम आता है। यह प्रकाशन भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर तिमाही प्रकाशनों के अंतर्गत उपलब्ध है।
पी. वी. सदानंदन
प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी :2001-2002/1117