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सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की कुल जमाराशियां और सकल बैंक ऋण : तिमाही पुस्तिका : 31 मार्च 2001

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की कुल जमाराशियां और सकलबैंक ऋण : तिमाही पुस्तिका : 31 मार्च 2001
तक की स्थिति

5 जुलाई 2001

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 31 मार्च 2001 तक के अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की कुल जमाराशियों और सकल बैंक ऋण संबंधी आंकड़े प्रस्तुत करनेवाली ‘बैंकिंग सांख्यिकी : तिमाही पुस्तिका : मार्च 2001’ विभिन्न वर्गीकरणों के साथ प्रकाशित की है। प्रारंभिक आंकड़े अनुसूचित वाणिज्य बैंकों से बीएसआर-7 विवरणी के माध्यम से इकट्ठा किये गये। सर्वोच्च सौ केंद्रों, जनसंख्या समूहों, जिलों, राज्यों और बैंक समूहों के अनुसार आंकड़े प्रस्तुत किये गये हैं।

जमाराशियों के आकार के अनुसार रखे गये सौ सर्वोच्च केंद्रों का कुल जमाराशियों में 58.9 प्रतिशत का हिस्सा रहा। उसी प्रकार, बैंक ऋण के आकार के अनुसार रखे गये सर्वोच्च सौ केंद्रों का कुल बैंक ऋण में 75.3 प्रतिशत हिस्सा रहा।

एक समूह के रूप में राष्ट्रीयकृत बैंकों ने कुल जमाराशियों के 53.6 प्रतिशत जमाराशियों का योगदान दिया, जबकि भारतीय स्टेट बैंक और उसके सहयोगी बैंकों ने 24.7 प्रतिशत का हिस्सा बनाया। अन्य अनुसूचित वाणिज्य बैंकों का 12.3 प्रतिशत, विदेशी बैंकों का 5.3 प्रतिशत और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का 4.0 प्रतिशत हिस्सा रहा। सकल बैंक ऋण के मामले में राष्ट्रीयकृत बैंकों ने कुल बैंक ऋणों के 46.9 प्रतिशत का हिस्सा बनाया, जबकि भारतीय स्टेट बैंक और उसके सहयोगी बैंकों ने 29.4 प्रतिशत के हिस्से का दावा किया। अन्य अनुसूचित वाणिज्य बैंकों, विदेशी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का हिस्सा क्रमश: 12.8 प्रतिशत, 8.1 प्रतिशत और 2.8 प्रतिशत रहा।

तिमाही पुस्तिका के दिसंबर 2000 के अंक से तीन नये राज्यों, अर्थात् - झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तरांचल के संबंध में बैंकिंग सांख्यिकी की रिपोर्ट की गयी है। नये रूप से गठित इन राज्यों के जिलों तथा उनके मूल राज्यों का विचार करते हुए इन राज्यों की वृद्धि दरें, जमाराशियों का योगदान और ऋण संबंधी आंकड़े प्रस्तुत किये गये हैं। राज्यों/संघशासित क्षेत्रों में, जमाराशियों की वार्षिक (बिंदु-दर-बिंदु) वृद्धि दर दादरा और नगर हवेली में उच्चतम 34.5 प्रतिशत थी, जिसके बाद मिज़ोरम (22.7 प्रतिशत), छत्तीसगढ़ (21.9 प्रतिशत), त्रिपुरा (21.8 प्रतिशत), कर्नाटक (21.4 प्रतिशत) और सिक्व ीम (20.7 प्रतिशत) का क्रम आता है। बैंक ऋण की वार्षिक (बिंदु-दर-बिंदु) वृद्धि दर चंडीगढ़ में उच्चतम (119.8 प्रतिशत) तथा उसके बाद सिक्कीम में (36.3 प्रतिशत) रही, मिज़ोरम में (28.8 प्रतिशत), दिल्ली में (28.0 प्रतिशत), अंदमान अौर निकोबार द्वीप समूह (27.9 प्रतिशत), झारखंड (27.2 प्रतिशत) का क्रम आता है। छह राज्यों, अर्थात् महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और कर्नाटक ने मिलकर कुल जमाराशियों के 58.0 प्रतिशत का कुल हिस्सा बनाया । उसी प्रकार , छह राज्यों अर्थात् महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल ने मिलकर सकल बैंक ऋण के 70.2 प्रतिशत का कुल हिस्सा बनाया। अकेले महाराष्ट्र ने कुल जमाराशियों के 18.3 प्रतिशत का हिस्सा बनाया और कुल ऋणों में 26.7 प्रतिशत का हिस्सा बनाया।

अखिल भारतीय ऋण-जमा अनुपात 31 मार्च 2001 तक 58.5 प्रतिशत निकला है। यह अनुपात विदेशी बैंकों (89.5 प्रतिशत), भारतीय स्टेट बैंक और उसके सहयोगी बैंकों (69.5 प्रतिशत) और अन्य अनुसूचित वाणिज्य बैंकें (60.6 प्रतिशत) के लिए सापेक्षत: अधिक था। ऋण-जमा अनुपात राष्ट्रीयकृत बैंकों के लिए 51.2 प्रतिशत पर और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए 41.6 प्रतिशत पर निम्नतर रहा। जनसंख्या समूह-वार, महानगरीय केंद्रों में ऋण जमा अनुपात 84.3 प्रतिशत पर उच्चतम रहा जिसके बाद शहरी केंद्रों (43.0 प्रतिशत) और ग्रामीण केंद्रों (40.2 प्रतिशत) तथा अर्ध-शहरी केंद्रों (34.2 प्रतिशत) का क्रम आता है। यह प्रकाशन भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (

www.rbi.org.in ) पर तिमाही प्रकाशनों के अंतर्गत उप्ालब्ध है।

पी. वी. सदानंदन
सहायक प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी :2001-2002/21

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