दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत दायर श्रेई इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लिमिटेड और श्रेई इक्विपमेंट फाइनेंस लिमिटेड के विरुद्ध कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया आरंभ करने के लिए आवेदन - आरबीआई - Reserve Bank of India
दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत दायर श्रेई इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लिमिटेड और श्रेई इक्विपमेंट फाइनेंस लिमिटेड के विरुद्ध कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया आरंभ करने के लिए आवेदन
8 अक्टूबर 2021 दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत दायर श्रेई इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लिमिटेड और श्रेई रिज़र्व बैंक ने आज (08 अक्टूबर, 2021) माननीय राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण के कोलकाता बेंच के समक्ष दिवाला और शोधन अक्षमता (वित्तीय सेवा प्रदाताओं की दिवाला और परिसमापन कार्यवाही और न्यायनिर्णयन प्राधिकरण को आवेदन) नियम, 2019 ("एफएसपी दिवाला नियम") के नियम 5 और 6 के साथ पठित दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी), 2016 की धारा 239 की उप-धारा (2) के खंड (जेड के) के साथ पठित धारा 227 के तहत श्रेई इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लिमिटेड और श्रेई इक्विपमेंट फाइनेंस लिमिटेड के विरुद्ध कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए आवेदन दायर किए हैं। एफएसपी दिवाला नियम के नियम 5 (बी) (i) के अनुसार, आवेदन दाखिल करने की तारीख से उसके स्वीकृति या अस्वीकृति तक एक अंतरिम अधिस्थगन शुरू होगा। नियम 5 (बी) के स्पष्टीकरण में प्रावधान है कि "अंतरिम अधिस्थगन" पर धारा 14 की उप-धाराओं (1), (2) और (3) के प्रावधानों का प्रभाव होगा। आईबीसी की धारा 14 की उप-धारा (1), (2) और (3) नीचे पुन: प्रस्तुत किया गया है: “(1) उप-धाराओं (2) और (3) के प्रावधानों के अधीन, दिवाला शुरू होने की तारीख को, न्यायनिर्णायक प्राधिकारी, आदेश द्वारा निम्नलिखित सभी को प्रतिबंधित करने के लिए अधिस्थगन की घोषणा करेगा, अर्थात्: (ए) किसी भी न्यायालय, न्यायाधिकरण, मध्यस्थता पैनल या अन्य प्राधिकरण में किसी भी निर्णय, डिक्री या आदेश के निष्पादन सहित कॉर्पोरेट देनदार के विरूद्ध मुकदमा दायर करना या लंबित मुकदमों या कार्यवाही को जारी रखना; (बी) कॉर्पोरेट देनदार द्वारा अपनी किसी भी संपत्ति या किसी विधिक अधिकार या इससे संबंधित लाभकारी हित को स्थानांतरित करना, भारग्रस्त करना, अलग करना या निपटाना; (सी) वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (2002 का 54) के तहत किसी भी कार्रवाई सहित अपनी संपत्ति के संबंध में कॉर्पोरेट देनदार द्वारा बनाए गए किसी भी प्रतिभूति हित को बंद, वसूली या लागू करने के लिए कोई कार्रवाई; (डी) एक मालिक या पट्टेदार द्वारा किसी भी संपत्ति की वसूली जहां ऐसी संपत्ति पर कॉर्पोरेट देनदार द्वारा कब्जा कर लिया गया है या कब्जे में है। (2) कॉर्पोरेट देनदार को आवश्यक वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति, जैसा कि निर्दिष्ट किया जा सकता है, अधिस्थगन अवधि के दौरान समाप्त या निलंबित या बाधित नहीं किया जाएगा। (3) निम्न पर उप-धारा (1) के प्रावधान लागू नहीं होंगे — (ए) ऐसा लेनदेन जो किसी वित्तीय विनियामक के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जा सकता है; (बी) कॉर्पोरेट देनदार को गारंटी के संविदा में एक प्रतिभू.” (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1009 |