2005-06 में भुगतान संतुलन (बोओपी) संबंधी गतिविधियां - आरबीआई - Reserve Bank of India
2005-06 में भुगतान संतुलन (बोओपी) संबंधी गतिविधियां
30 जून 2006
2005-06 में भुगतान संतुलन (बोओपी) संबंधी गतिविधियां
चौथी तिमाही (अर्थात् जनवरी-मार्च 2006) के लिए संकलित आरंभिक आंकड़े पहली तीन तिमाहियों (अर्थात् अप्रैल-जून, जुलाई-सितंबर और अक्तूबर-दिसंबर 2005) के आंशिक रूप से संशोधित आंकड़ों के साथ अप्रैल-मार्च 2005-06 की अवधि के लिए भुगतान संतुलन की स्थिति का मूल्यांकन उपलब्ध कराते हैं। भुगतान संतुलन संबंधी आंकड़ों के पूर्ण ब्यौरे संलग्न विवरण में प्रस्तुतीकरण के मानक फार्मेट में दिए गए हैं।
जनवरी-मार्च 2006
2005-06 की चौथी तिमाही के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें सारणी 1 में प्रस्तुत की गई हैं।
सारणी 1 : भारत का भुगतान संतुलन : जनवरी-मार्च 2006 | |||||
(मिलियन अमेरिकी डालर) | |||||
मद | अप्रैल-जून | जुलाई-सितंबर | अक्तूबर-दिसंबर | जनवरी-मार्च | जनवरी-मार्च |
| 2005आं.सं. | 2005आं.सं. | 2005आं.सं. | 2006 प्रां. | 2005आंसं. |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 |
निर्यात | 24,150 | 24,060 | 26,400 | 30,170 | 24,547 |
आयात | 37,754 | 38,692 | 38,237 | 41,651 | 34,676 |
व्यापार संतुलन | -13,604 | -14,632 | -11,837 | -11,481 | -10,129 |
अदृश्य मदें, निवल | 10,048 | 9,587 | 8,011 | 13,296 | 10,656 |
चालू खाता शेष | -3,556 | -5,045 | -3,826 | 1,815 | 527 |
पूंजी खाता* | 4,803 | 10,301 | -846 | 11,406 | 12,102 |
आरक्षित निधियों में परिवर्तन# (- चिन्ह वृद्धि दर्शाता है) | -1,247 | -5,256 | 4,672 | -13,221 | -12,629 |
*: भूल चूक सहित #: मूल्यन परिवर्तन को छोड़कर, भुगतान संतुलन के आधार पर |
| ||||
प्रा: प्रारंभिक आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित |
- भुगतान संतुलन आधार पर भारत के वणिक माल निर्यात में चौथी तिमाही के एक वर्ष पहले (20.7 प्रतिशत) की तुलना में सुदृढ़ (22.9 प्रतिशत की) वृद्धि हुई जो अधिक व्यापक आधार वाली निर्यात वृद्धि के कारण संभव हो सकी। वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय (डीजीसीआइ एंड एस) के अनुसार निर्यात में माह-वार उतार-चढ़ाव के आंकड़े चार्ट 1 में दिए गए हैं।
- आयात भुगतान की चौथी तिमाही में मामूली वृद्धि देखी गई (20.1 प्रतिशत की वृद्धि) जो मुख्यत: उच्च आधार वर्ष के प्रभाव को दर्शाता है क्योंकि 2004-05 की तदनुरूपी तिमाही में आयात में 59.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
- डीजीसीआइएंडएस द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जहाँ तेल आयात में जनवरी-मार्च 2005 में 43.6 प्रतिशत से जनवरी-मार्च 2006 में 48.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं तेल से इतर आयात में गत वर्ष की तदनुरूपी अवधि में 59.7 प्रतिशत की वृद्धि के सम्मुख 4.6 प्रतिशत की कमी दिखी।
- पर्यटन से आय, व्यवसाय और पेशेवर सेवाओं, सॉफ्टवेयर सेवाओं और विप्रेषणों में वृद्धि की गति बनाए रखते हुए, अदृश्य मदों की प्राप्तियों में 22.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- अदृश्य मद संबंधी भुगतान 20.6 प्रतिशत बढ़ा जो भारत से बाहर जाने वाले पर्यटकों की निरंतर वृद्धि, परिवहन और बीमा की मदों में बढ़ते भुगतान को दर्शाता है।
- व्यापार घाटे में मामूली वृद्धि के साथ अदृश्य मदों में सुदृढ़ वृद्धि का परिणाम 2004-05 की तदनुरूपी तिमाही में 0.5 बिलियन अमरीकी डालर के सम्मुख चौथी तिमाही में 1.8 बिलियम अमरीकी डालर का अधिशेष था।
- संक्षेप में, जनवरी-मार्च 2006 के दौरान चालू खाते में अधिशेष मुख्यतया निम्न कारणों से था :
- गत वर्ष की तदनुरूपी अवधि की तुलना में जनवरी-मार्च 2006 के दौरान अदृश्य मदों में तीव्र वृद्धि, जिसमें साफ्टवेयर (40.7 प्रतिशत) और निजी अंतरण (16.9 प्रतिशत) सबसे आगे थे।
- आयातों की वृद्धि में जनवरी-मार्च 2005 के दौरान 59.1 प्रतिशत से जनवरी-मार्च 2006 में 20.1 प्रतिशत की कमी हुई।
- निर्यातों की वृद्धि में जनवरी-मार्च 2005 के दौरान 20.7 प्रतिशत से जनवरी-मार्च 2006 में 22.9 प्रतिशत का सुधार हुआ।
- पूंजी खाते के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधारों, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, संविभाग निवेश और अप्रवासी भारतीय जमाओं के अंतर्गत निवल प्रवाहों में सुदृढ़ वृद्धि दिखी।
- विदेशी मुद्रा भंडार (मूल्यन को छोड़कर) में पिछले वर्ष की तदनुरूपी तिमाही में 12.6 बिलियन अमरीकी डालर की तुलना में 13.2 बिलियन अमरीकी डालर की वृद्धि हुई।
2005-06 (अप्रैल-मार्च)
2005-06 की भुगतान संतुलन की स्थिति पहली तीन तिमाहियों के लिए आंशिक संशोधित आंकड़ों तथा चौथी तिमाही के आरंभिक आंकड़ों के आधार पर निर्धारित की गई है। जैसाकि पहले उल्लेख किया गया है, विस्तृत आंकड़े विवरण ॅ 1 और 2 में प्रस्तुत किए गए हैं और मुख्य मदें सारणी 2 में दी गई हैं।
सारणी 2 : भारत का भुगतान संतुलन: 2005-06 (अप्रैल-मार्च) | ||
(मिलियन अमरीकी डालर) | ||
मदें | 2005-06प्रा. | 2004-05आं.सं. |
1 | 2 | 3 |
निर्यात | 104,780 | 82,150 |
आयात | 156,334 | 118,779 |
व्यापार संतुलन | -51,554 | -36,629 |
अदृश्य मदें, निवल | 40,942 | 31,229 |
चालू खाता शेष | -10,612 | -5,400 |
पूंजी खाता* | 25,664 | 31,559 |
आरक्षित निधियों में परिवर्तन# | -15,052 | -26,159 |
(- चिन्ह वृद्धि दर्शाता है) |
|
|
*: भूल चूक सहित. #: मूल्यन परिवर्तन को छोड़कर, भुगतान संतुलन के आधार पर. प्रा: प्रारंभिक. आं.सं: आंशिक रूप से संशोधित. |
- उच्च निर्यात वृद्धि स्तर को बनाए रखते हुए भुगतान संतुलन आधार पर व्यापारिक माल निर्यात में 2005-06 के दौरान 27.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई (2004-05 में 23.9 प्रतिशत)। डीजीसीआइएंडएस डाटा के अनुसार पण्यवार अलग-अलग आंकड़ों से पता चलता है कि इस वृद्धि में विनिर्माण निर्यात आगे थे जिसमें परिवहन इक्विपमेंट, मशीनरी और संयंत्र ऊनी धागे, कपड़े, रेडीमेड परिधान, मूल रसायन तथा फार्मास्यूटिकल और पेट्रोलियम उत्पाद मुख्य प्रेरकों के रूप में उभरे।
- इसी प्रकार, वणिक आयात भुगतानों ने 2005-06 में उच्च वृद्धि (31.6 प्रतिशत) बनाए रखी।
- डीजीसीआइएंडएस डाटा के अनुसार 2005-06 में पेट्रोलियम, तेल और लुब्रीकेंट (पीओएल) आयात (47.3 प्रतिशत) में वृद्धि ने अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के मूल्यों में सीधी बढ़त दर्शायी। अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के भारतीय समूह का औसत मूल्य (दुबई और ब्रेन्ट किस्म का मिश्रण) 2004-05 के 38.9 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 2005-06 में प्रति बैरल 55.4 अमरीकी डॉलर हो गया (चार्ट 2)।
- तेल से इतर आयात भुगतानों की 20.5 प्रतिशत की वृद्धि लगातार बनी रही, यद्यपि वह 2004-05 की उच्च वृद्धि (41.8 प्रतिशत) से कुछ कम थी। तेल से इतर आयातों के मुख्य घटक प्राथमिक रूप से निर्यातों से संबंधित मदें और पूंजीगत माल थे जो घरेलू औद्योगिक कार्यों में वृद्धि से प्रतिबिंबित हुए।
- भुगतान संतुलन आधार पर, भारी आयात भुगतानों के कारण व्यापार घाटे में 2004-05 के 36.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 2005-06 में 51.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई (चार्ट 3)।
- जहां अदृश्य मदों की प्राप्तियां 27.3 प्रतिशत बढ़ी, वहीं अदृश्य मदों के भुगतानों ने 24.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जिससे 2004-05 के 31.2 बिलियन अमरीकी डालर की तुलना में 40.9 बिलियन अमरीकी डॉलर का उच्च अदृश्य मदों संबंधी अधिशेष बन गया (सारणी 3)।
सारणी 3: अदृश्य मदों की सकल प्राप्तियां और भुगतान : 2005-06 | ||||
|
|
| (मिलियन अमरीकी डालर) | |
मदें | अदृश्य प्राप्तियां | अदृश्य भुगतान | ||
| 2005-06प्रा. | 2004-05आं.सं. | 2005-06प्रा. | 2004-05आं.सं. |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
I. सेवाएं | 60,610 | 46,031 | 38,345 | 31,832 |
यात्रा | 7,789 | 6,495 | 6,421 | 5,510 |
परिवहन | 6,277 | 4,798 | 7,394 | 4,539 |
बीमा | 1,042 | 909 | 985 | 722 |
सरकारी, अन्यत्र न शामिल किए गए | 305 | 328 | 480 | 261 |
विविध | 45,197 | 33,501 | 23,065 | 20,800 |
उसमें से: साफ्टवेयर | 23,600 | 17,200 | 1,338 | 674 |
II. अंतरण | 25,220 | 21,276 | 944 | 432 |
III. आय (व+वव) | 5,651 | 4,547 | 11,250 | 8,361 |
(i) निवेश आय | 5,477 | 4,431 | 10,504 | 7,100 |
(ii) कर्मचारियों का वेतन आदि | 174 | 116 | 746 | 1,261 |
कुल (I+II+III) | 91,481 | 71,854 | 50,539 | 40,625 |
प्रा: प्रारंभिक. आं.सं: आंशिक रूप से संशोधित. |
- अदृश्य मदों की प्राप्तियों के मुख्य घटक साफ्टवेयर निर्यात और निजी अंतरण तथा मुख्य रूप से विदेशों में काम कर रहे भारतीयों द्वारा भेजे गए विप्रेषण हैं (चार्ट 4)।
- अदृश्य भुगतानों में वृद्धि मुख्य रूप से आइ एमडी ब्याज भुगतानों के एक बारगी प्रभाव, परिवहन सेवाओं और अन्य कारोबार तथा तकनीक से संबंधित सेवाओं के कारण निवेश आय से संबंधित भुगतानों में वृद्धि के चलते थी।
- बड़े व्यापार घाटे (51.6 बिलियन अमरीकी डालर) के बावजूद, 40.9 बिलियन अमरीकी डालर के निवल अदृश्य अधिशेष ने 2005-06 में 10.6 बिलियन अमरीकी डालर के चालू खाते के घाटे को रोकने में मदद की (चार्ट 5)।
- चालू खाते में, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, पोर्टफोलियो निवेश और अप्रवासी जमाओं के अंतर्गत निवल प्रवाह ने 2005-06 में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की, जबकि बाहरी सहायता और बाह्य वाणिज्यिक उधारों सहित अन्य पूंजी प्रवाहों में मामूली वृद्धि दिखी (सारणी 4)।
सारणी 4: 2005-06 के दौरान निवल पूंजी प्रवाह | ||
(मिलियन अमरीकी डालर) | ||
घटक | 2005-06प्रा. | 2004-05आं.सं. |
1 | 2 | 3 |
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश | 5,733 | 3,240 |
संविभाग निवेश | 12,489 | 8,907 |
बाह्य सहायता | 1,438 | 1,923 |
बाह्य वाणिज्यिक उधार | 1,591 | 5,040 |
अनिवासी भारतीय जमाराशियां | 2,789 | -964 |
अन्य बैंकिंग पूंजी* | -1,416 | 4,838 |
अल्पावधि ऋण | 1,708 | 3,792 |
अन्य | 361 | 4,251 |
कुल | 24,693 | 31,027 |
* इसमें अनवासी भारतीय जमाराशियों के सिवाय, भारतीय बैंकों की विदेशी आस्तियां, बैंकों की विदेशी देयताएं तथा रिज़र्व बैंक में विदेशी केंद्रीय बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के रखे गए शेषों में उतार-चढ़ाव शामिल हैं। प्रा: प्रारंभिक. आं.सं: आंशिक रूप से संशोधित. |
- सुदृढ़ आर्थिक गतिविधि और कंपनी क्षेत्र, जिसके अंतर्वाह विनिर्माण, कारोबार और कंप्यूटर सेवाओं में लगाए गए, की बढ़ती शक्ति के कारण एक आकर्षक निवेश स्थल के रूप में भारत के प्रति बढ़ती रूचि के फलस्वरूप भारत में निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआइ) में तेजी आई।
- विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) के अंतर्वाह 2005-06 में उत्साहजनक रहे, जिसने पिछले दो वर्षों से जारी उच्च एफआइआइ अंतर्वाह के दौर को और आगे बढ़ाया। पिछली कई तिमाहियों में कंपनियों की आय में सुदृढ़ वृद्धि और उच्च वृद्धि का दौर के जारी रहने की प्रत्याशाओं ने भारतीय बाज़ार में विदेशी संस्थागत निवेशकों की रुचि बनाए रखी।
- एडीआर/जीडीआर उत्साहजनक रहे क्योंकि तेज स्टाक बाजार ने कंपनियों को विदेश में इक्विटी जारी करने के अवसर प्रदान किए।
- पिछले वर्ष एनआरआइ जमाओं में निवल बहिर्वाहों से उल्लेखनीय परिवर्तन दिखा।
- 2005-06 (2004-05 में 26.2 बिलियन अमरीकी डालर) के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार (मूल्यन को छोड़कर) में निवल वृद्धि 15.1 बिलियन अमरीकी डालर (मूल्यन को छोड़कर) थी (चार्ट 6)।
- मार्च 2006 के अंत में बकाया विदेशी मुद्रा भंडार 151.6 बिलियन अमरीकी डालर था जिससे भारत उभरते बाजार में विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाला पांचवां सबसे बड़ा और विश्व में छठा सबसे बड़ा देश हो गया।
2005-06 की तिमाही और वार्षिक आंकड़ों के ब्यौरे प्रस्तुति के मानक फार्मेट में संलग्न विवरण 1 और 2 में दिए गए हैं।
2005-06 की पहली तीन तिमाहियों में भुगतान संतुलन (बीओपी) के आंकड़ों में आंशिक संशोधन
30 सितंबर 2004 को घोषित संशोधित नीति के अनुसार 2005-06 की पहली, दूसरी और तीसरी तिमाही के आंकड़े संशोधित किए जाने हैं। तदनुसार भुगतान संतुलन के आंकड़े रिपोर्ट करने वाली विभिन्न कंपनियों द्वारा दी गई संशोधित सूचना के आधार पर संशोधित कर दिए गए हैं। संशोधित आंकड़े विवरण 1 और 2 प्रस्तुत किए गए हैं।
बी.वी.राठोड
प्रेस प्रकाशनी : 2005-2006/ 1708