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बैंक उधार और ऋण की गुणवत्ता : भारत की स्थिति

14 दिसंबर 2016

बैंक उधार और ऋण की गुणवत्ता : भारत की स्थिति

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला के अंतर्गत ‘बैंक उधार और ऋण की गुणवत्ता : भारत की स्थिति’ शीर्षक से वर्किंग पेपर अपलोड किया। पल्लवी चौहान तथा लेओनार्डो गैम्बकोर्टा इस पेपर के सहलेखक हैं।

इस अध्ययन में भारतीय बैंकों के गैर–निष्पादन आस्तियों (एन.पी.एल.) का एक चक्र के दौरान व्यवहार का विश्लेषण किया गया है। इस में पता चला है कि ऋण में एक प्रतिशत इकाई वृद्धि का संबंध लम्बी अवधि में 4.3 प्रतिशत के कुल अग्रिम (एन.पी.एल. अनुपात) पर एन.पी.एल. की वृद्धि से है जो विस्तारवादी चरणों के दौरान और बढ़ जाती है। इसके अलावा, ब्याज दर परिवेश तथा अर्थव्यवस्था के समग्र विकास के प्रति बैंकों के एन.पी.एल अनुपात संवेदनशील पाए गए हैं। प्रबंधन तथा प्रशासनिक संरचनाओं के बीच के अंतरों के बावजूद सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के बैंकों के मामले में ऋण विकास के प्रति एक चक्रपक्षीय जोखिम है जो निजी बैंकों में ब्याज दर तथा व्यापार चक्र स्थितियों के प्रति अधिक प्रतिक्रियात्मक हैं।

* रिज़र्व बैंक ने आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों की प्रगति में अनुसंधान प्रस्तुत करते हैं और अभिमत प्राप्त करने और चर्चा के लिए इन्हें प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के होते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं होते हैं। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्‍वरूप का ध्यान रखा जाए।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/1526

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