अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों में बैंकिंग पहल - आरबीआई - Reserve Bank of India
अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों में बैंकिंग पहल
20 फरवरी 2006
अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों में बैंकिंग पहल
भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर डॉ. वाइ.वी.रेड्डी और तीन उप गवर्नरों, अर्थात् डॉ. राकेश मोहन, श्रीमती श्यामला गोपीनाथ और श्रीमती उषा थोरात ने कार्यपालक निदेशक श्री वी.एस. दास के साथ 17 फरवरी 2006 को मुख्य सचिव श्री डी.एस. नेगी की अगुआई में संघशासित क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पोर्ट ब्लेअर में एक बैठक आयोजित की। विचारविमर्श के दौरान अध्यक्ष, अंडमान और निकोबार चेम्बर ऑफ कॉमर्स, अध्यक्ष जिला परिषद, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और संघशासित क्षेत्र के सभी बैंकों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। बैठक पोर्ट ब्लेअर में आयोजित की गयी। बैठक में प्रशासन और बैंकेग प्रणाली द्वारा त्सुनामी के बाद की गयी पहलों, साथ ही वित्तीय क्षेत्र से संबंधित अन्य मामलों की समीक्षा की गयी।
इस विचार-विमर्श का एक महत्वपूर्ण नतीजा यह निकला कि बैंक-विशिष्ट दृष्टिकोण अपनाने वाले त्सुनामी प्रभावित उधारकर्ताओं को राहत उपायों का त्वरित वियोजन करने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त कार्य दल का गठन किया जाए, जिसमें विकास आयुक्त, सचिव (वित्त) और भारतीय रिज़र्व बैंक, नाबार्ड, अंडमान और निकोबार राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड, भारतीय स्टेट बैंक और संबंधित बैंकों के प्रतिनिधियों का समावेश होगा।
यह भी निर्णय लिया गया कि निकोबार जिले में प्रेषण सुविधाओं में सुधार लाने के लिए जितनी जल्दी संभव हो, विशेष रूप से कार निकोबार और कैम्पबेल में बैंकों द्वारा अधिक करेंसी चेस्ट खोले जायें।
द्वीपसमूहों में साक्षरता का उच्च स्तर और बैंक नेटवर्क की व्याप्ति को देखते हुए यह प्रतीत होता है कि बैंकिंग प्रणाली को द्वीपसमूहों में शत-प्रतिशत वित्तीय समावेशन की कोशिश करनी चाहिए।
आपको याद होगा कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने पोर्ट ब्लेअर में अपने केंद्रीय निदेशक बोर्ड की पहली बैठक 16 फरवरी 2006 को आयोजित की थी।
अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2005-2006/1057