सभी मूल्यवर्ग के सिक्के वैध मुद्रा है - भारतीय रिज़र्व बैंक - आरबीआई - Reserve Bank of India
सभी मूल्यवर्ग के सिक्के वैध मुद्रा है - भारतीय रिज़र्व बैंक
16 सितंबर 2004
सभी मूल्यवर्ग के सिक्के वैध मुद्रा है - भारतीय रिज़र्व बैंक
भारतीय रिज़र्व बैंक को ऐसी रिपोर्ट तथा शिकायतें भी मिली है कि दुकानदार, व्यापारी, परिवहन उपक्रम तथा सरकारी विभाग आदि 25 पैसे तथा 50 पैसों के सिक्के स्वीकार नहीं करते हैं। जिनका कारण यह बताया जाता है कि ये वैध चलन नहीं है तथा बैंकों की शाखाओं में ये सिक्के नहीं लिये जाते हैं।
अतः जनहित में यह स्पष्ट किया जाता है कि 25 पैसे तथा 50 पैसे मूल्यवर्ग के सिक्कों सहित सभी सिक्के वैध मुद्रा है और आगे भी रहेंगे। अतएव, इन सिक्कों को लेने से किसी को भी इन्कार करना सही नहीं है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने सभी वाणिज्य बैंकों को सूचित किया है कि बैंक नोटों के विनिमय में इन सिक्कों को मुक्त रूप से स्वीकार करें। भारतीय रिज़र्व बैंक के सभी कार्यालयों में भी इन सिक्कों को बैंक नोटों में विनिमय जारी रहेगा। जनता ऐसी किसी भी अफवाह पर विश्वास न करें कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 25 पैसे और 50 पैसे मूल्यवर्ग के सिक्के चलन से निकाल दिये गये हैं। 25 पैसे और 50 पैसे मूल्यवर्ग के सिक्के वैध मुद्रा है और आगे भी रहेंगे।
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16 सप्टेंबर 2004
सर्व प्रकारची (मूल्यवर्गाची) नाणी ही
कायदेशीर चलन आहेत - भारतीय रिझर्व्ह बँक
रिझर्व्ह बँकेकडे आलेल्या विविध बातम्या, रिपोर्ट व तक्रारींवरून असे निदर्शनास आले आहे की, दुकानदार,व्यापारी, परिवहन उपक्रम, सरकारी खाती या ठिकाणी 25 पैसे व 50 पैशांची नाणी स्वीकारली जात नाही. कारण सांगितले जाते की हे आता कायदेशीर चलन नाही किंवा बँकांच्या शाखा ती आता स्वीकारत नाहीत.
या द्वारे जनतेच्या फायद्यासाठी असे स्पष्ट करण्यात येत आहे की 25 पैसे व 50 पैसे ही नाणी चलनात आहेत व पुढेही राहतील. त्यामुळे ही नाणी कोणीही न स्वीकारणे हे योग्य नाही. रिझर्व्ह बँकेने सार्वजनिक बँक शाखांना ही नाणी घेऊन त्याबद्दल नोटा देण्याचे निर्देश दिले आहेत. रिझर्व्ह बँक सुद्धा अशी सर्व प्रकारची नाणी घेऊन ती नोटांमध्ये बदलून देते.
जनतेच्या अशा कोणत्याही अफवांवर विश्वास ठेऊ नये की भारतीय रिझर्व्ह बँक द्वारा 25 पैसे व 50 पैशांची नाणी चलनातून काढून घेण्यात आली आहेत. 25 व 50 पैशांची नाणी ही कायदेशीर चलन आहेत व यापुढेही राहतील.
पी. वी. सदानंदन
प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2004-2005/307