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अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा ऋण – मार्च 2024 (वार्षिक बीएसआर-1)

आज, भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) द्वारा ऋण पर आधारभूत सांख्यिकीय विवरणी– मार्च 2024’[1] शीर्षक से अपना वेब प्रकाशन, भारतीय अर्थव्यवस्था पर डेटाबेस (डीबीआईई) पोर्टल[2] (https://dbie.rbi.org.in Homepage > Publications) पर जारी किया। यह प्रकाशन वार्षिक 'आधारभूत सांख्यिकीय विवरणी (बीएसआर) - 1' प्रणाली के अंतर्गत अनुसूचित बैंकों {क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) सहित} द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के आधार पर भारत में बैंक ऋण की विभिन्न विशेषताओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जो खाते के प्रकार, संगठन, व्यवसाय/गतिविधि और उधारकर्ता की श्रेणी, ऋण के उपयोग के स्थान का जिला और जनसंख्या समूह[3], ब्याज दर, ऋण सीमा और बकाया राशि के बारे में सूचना एकत्र करता है।   

मुख्य बातें:

  • वर्ष 2023-24 के दौरान बैंक ऋण संवृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) में, विलय[4] (विलय प्रभाव सहित 19.1 प्रतिशत) के बाद 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछले वित्त वर्ष में 15.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
  • ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी क्षेत्रों में बैंक शाखाओं ने 2022-23 की तुलना में समान या उच्चतर ऋण संवृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) दर्ज की, जबकि महानगरीय शाखाओं की संवृद्धि में कुछ नरमी देखी गई; हालांकि, सभी जनसंख्या समूहों और बैंक समूहों ने दोहरे अंकों की ऋण संवृद्धि बनाए रखी।
  • मार्च 2024 में कुल बैंक ऋण में घरेलू क्षेत्र के व्यक्तियों की हिस्सेदारी 47.4 प्रतिशत थी, और अन्य परिवारों (जैसे, स्वामित्व वाली संस्थाएं, हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ), साझेदारी फर्म) की हिस्सेदारी 10.4 प्रतिशत थी।
  • बैंकिंग प्रणाली में महिला उधारकर्ताओं की हिस्सेदारी धीरे-धीरे बढ़ रही है: मार्च 2024 में ऋण खातों में उनकी हिस्सेदारी 33.6 प्रतिशत और व्यक्तियों को दिए गए बैंक ऋण की राशि में 23.4 प्रतिशत थी।
  • 2023-24 के दौरान, सभी प्रमुख गतिविधियों में बैंक ऋण में दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की गई।
  • कुल बैंक ऋण में व्यक्तिगत ऋण की हिस्सेदारी, जो लगातार बढ़ रही है, मार्च 2024 में 30.4 प्रतिशत हो गई, जबकि उद्योग की यही हिस्सेदारी घटकर 23.2 प्रतिशत हो गई।
  • निजी क्षेत्र के बैंकों ने लगातार तीसरे वर्ष 15 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की - एससीबी द्वारा प्रदत्त कुल ऋण में उनकी हिस्सेदारी मार्च 2024 में 40.6 प्रतिशत हो गई, जो पांच वर्ष पहले 33.4 प्रतिशत और दस वर्ष पहले 19.4 प्रतिशत थी; सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की यही हिस्सेदारी दस वर्ष पहले 73.2 प्रतिशत से घटकर 51.8 प्रतिशत हो गई।
  • लघु वित्त बैंकों द्वारा ऋण देने में तीव्र वृद्धि के परिणामस्वरूप एससीबी द्वारा कुल ऋण में उनकी हिस्सेदारी पांच वर्ष पूर्व के 0.6 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2024 में 1.4 प्रतिशत हो गई।
  • ब्याज दरों में सामान्य वृद्धि के साथ, कुल बैंक ऋणों में 9 प्रतिशत से अधिक ब्याज दर वाले ऋणों की हिस्सेदारी मार्च 2024 में बढ़कर 57.8 प्रतिशत हो गई, जबकि एक वर्ष पहले यह हिस्सेदारी 56.1 प्रतिशत और दो वर्ष पहले 31.4 प्रतिशत थी।

अजीत प्रसाद      
उप महाप्रबंधक (संचार)

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/439

 

[1]मार्च 2023 के लिए एससीबी (आरआरबी सहित) द्वारा ऋण पर पिछले वार्षिक बीएसआर-1 श्रृंखला के परिणाम 30 जून 2023 को आरबीआई की वेबसाइट पर जारी किए गए थे; एससीबी (आरआरबी के अलावा) के लिए त्रैमासिक बीएसआर-1 के कुल परिणाम दिसंबर 2014 से नियमित रूप से जारी किए जा रहे हैं। तदनुसार, वार्षिक बीएसआर-1 मार्च 2024 के साथ मार्च 2024 के लिए त्रैमासिक प्रकाशन भी जारी किया जाता है (वेब-लिंक:- https://dbie.rbi.org.in >होमपेज> प्रकाशन>मूल सांख्यिकीय रिटर्न (बीएसआर)-1 - (तिमाही) - अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का बकाया ऋण)।

[2]  मार्च 2024 के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार के लिए पाक्षिक फॉर्म-ए रिटर्न (आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 42(2) के तहत एकत्रित) पर आधारित बैंकिंग समुच्चय पहले हमारी वेबसाइट (https://website.rbi.org.in/hi/web/rbi >होम>सांख्यिकी>जारी आंकड़े>पाक्षिक>भारत में अनुसूचित बैंक की स्थिति का विवरण) पर प्रकाशित किए गए थे और मार्च 2024 के लिए बैंक ऋण के क्षेत्रीय अभिनियोजन पर समग्र स्तर का मासिक डेटा, जो चुनिंदा प्रमुख बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए थे, भी वेबसाइट (होम>सांख्यिकी>डेटा रिलीज>मासिक>बैंक ऋण के क्षेत्रीय परिनियोजन पर डेटा) पर जारी किए गए थे।

[3]  बीएसआर के लिए प्रयुक्त जनसंख्या समूह मानदंड 2011 की जनगणना के अनुसार, संबंधित राजस्व केन्द्र की जनसंख्या के आकार पर आधारित है, जहां एससीबी की शाखाएं संचालित हो रही हैं और उन्हें इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है: क) 'ग्रामीण' (10,000 से कम जनसंख्या), ख) 'अर्ध-शहरी' (10,000 से 1 लाख से कम जनसंख्या), ग) 'शहरी' (1 लाख से 10 लाख से कम जनसंख्या), घ) 'महानगरीय' (10 लाख और उससे अधिक जनसंख्या)।   

[4] 1 जुलाई, 2023 से किसी गैर-बैंक का किसी बैंक में विलय का प्रभाव।

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