RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

Press Releases Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

81619297

प्रूडेंशियल को-आपरेटिव बैंक के जमाकर्ताओं को एक लाख रुपये तक मिलेंगे

 

9 दिसम्बर 2004

प्रूडेंशियल को-आपरेटिव बैंक के जमाकर्ताओं को एक लाख रुपये तक मिलेंगे

इस तथ्य को देखते हुए कि प्रूडेंशियल को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, सिकन्दराबाद (आंध्र प्रदेश) अब समर्थ (सौल्वेंट) नहीं रहा है, आंध्र प्रदेश सरकार के साथ गहन परामर्श करके बैंक में नये सिरे से प्राण पूंकने के सभी प्रयास असपल हो गये थे और लगातार बनी हुई अनिश्चितता से बैंक के जमाकर्ताओं को असुविधा का सामना करना पड़ रहा था, भारतीय रिज़र्व बैंक ने 7 दिसम्बर को बैंक को दिया गया अपना लाइसेन्स र िकरने का आदेश जारी किया। लाइसेन्स जारी करने के तुरंत बाद और रिज़र्व बैंक के अनुरोध पर राज्य सरकार ने बैंक के लिए 8 दिसम्बर को एक लिक्विडेटर नियुक्त किया। इससे सभी जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गांरंटी निगम (डीआइसीजीसी) से एक लाख रुपये तक के अपने दावे ले सकेंगे। लिक्विडेटर से अनुरोध किया गया है कि वह यथाशीघ्र जमाकर्ताओं के दावे निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम में भेजे। इस बात के पूरे प्रयास किये जायेंगे कि जमाकर्ताओं के दावों को निपटाने की औपचारिकताएं लगभग 90 दिन के भीतर पूरी कर ली जायें।

आपको याद होगा कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्रूडेंशियल को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, सिकन्दराबाद (आंध्र प्रदेश) में पिर से प्राण पूंकने के सभी विकल्पों की जांच कर लेने के बाद तथा जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने के उेश्यि से अंतिम उपाय करने के रूप में इस बैंक का लाइसेंस र िकरने का निर्णय लिया है। रिज़र्व बैंक ने 2002 में प्रूडेंशियल को-आपरेटिव बैंक की वित्तीय स्थिति को शोचनीय पाने के बाद बैंक को निदेशों के अंतर्गत रखा था और उसके परिचालन सीमित कर दिये थे। अलबत्ता, बैंक के सामने समस्याएं बनी रहीं। मार्च 2003 में आयी तीव्र चलनिधि समस्याओं से रिज़र्व बैंक को अपने निदेश कड़े करने और इसके निदेशक मंडल का अधिक्रमण करने पर मज़बूर होना पड़ा। हालात में कुछ सुधार के बावज़ूद बैंक की वित्तीय स्थिति में गिरावट जारी रही। बैंक को समर्थ बनाये रखने के संबंध में पुनर्निर्माण योजनाएं भी व्यावहारिक नहीं पायी गयीं। बैंक के अद्यतन निरीक्षण से यह बात सामने आयी कि इसकी जमाराशियां कम होती चली जा रही थीं क्योंकि इसकी चुकता पूंजी और प्रारक्षित निधियां निगेटिव में चल रही थीं। इसलिये बैंक को जारी रखना व्यावहारिक नहीं पाया गया। इसका लाइसेंस र िकरने और इसे परिसमापन (लिक्विडेशन) के अधीन रखने के साथ निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम के अनुसार प्रूडेंशियल को-आपरेटिव बैंक के जमाकर्ताओं को बीमावफ्त राशि अदा करने की प्रक्रिया अब तेजी से की जा सकेगी।

और किसी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता डॉ. दीपाली पंत जोशी, मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, हैदराबाद से सम्पर्क कर सकते हैं। उनसे निम्नलिखित के ज़रिये सम्पर्क किया जा सकता है:

डाक का पता : 6-1-56, सेक्रेट्रिएट मार्ग, सैपाबाद, हैदराबाद-500004.

टेलिपान नं. 040-23234875

पैक्स नं. 040-23244559

मोबाइल नं. 09849022318

ई-मेल पता र्: ्ााज्ीर्त्वज्ीहूरदेप्व@ींव.दीु.वह

प्रूडेंशियल को-आपरेटिव बैंक के लाइसेंस को र िकरने की जरूरत दर्शाने वाले ब्यौरों वाला औपचारिक आदेश रिज़र्व बैंक की वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध है।

पी.वी.सदानंदन

प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2004-2005/606

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?