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2013-14 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां

30 सितंबर 2013

2013-14 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां

वित्तीय वर्ष 2013-14 की पहली तिमाही (ति.1) अर्थात अप्रैल-जून 2013 के भारत के भुगतान संतुलन संबंधी प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हैं जिनको विवरण I और II में प्रस्तुत किया गया है। विवरण I में भुगतान संतुलन के आंकड़े बीपीएम6 प्रपत्र में प्रस्तुत किए गए हैं जबकि विवरण II में उन्हें पुराने प्रपत्र के अनुसार दर्शाया गया है।

अप्रैल-जून 2013 के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां

  • 2013-14 की पहली तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.9 प्रतिशत था। 2012-13 की पहली तिमाही में यह सकल घरेलू उत्पाद का 4.0 प्रतिशत था। आयात में वृद्धि होने और पण्य निर्यात में कुछ कमी होने के कारण 2013-14 की पहली तिमाही में व्यापार घाटा बढ़ गया।

  • यदि 2013-14 की पहली तिमाही में स्वर्ण आयात में पिछले वर्ष की समरूप तिमाही की तुलना में हुई वृद्धि को यदि कुल आयात में से घटा दिया जाए तो वर्तमान तिमाही में सीएडी की तुलना में सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात 3.2 प्रतिशत होगा।

  • भुगतान संतुलन के आधार पर, 2013-14 की पहली तिमाही में पण्यों का निर्यात 1.5 प्रतिशत घटकर 73.9 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया, जबकि 2012-13 की पहली तिमाही में पण्य निर्यात 4.8 प्रतिशत घटकर 75.0 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

  • इसके विपरीत, 2013-14 की पहली तिमाही में पण्यों का आयात 4.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 124.4 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जबकि 2012-13 की पहली तिमाही में यह 3.9 प्रतिशत की गिरावट के साथ 118.9 बिलियन अमरीकी डॉलर था। इस वृद्धि का प्राथमिक कारण तिमाही के पहले दो महीनों में स्वर्ण आयात में तेजी से हुई वृद्धि था।

  • 2013-14 की पहली तिमाही में पण्य व्यापार घाटा (भुगतान संतुलन के आधार पर) और बढ़कर 50.5 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जो कि एक वर्ष पहले 43.8 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

  • 2013-14 की पहली तिमाही में सेवाओं के निर्यात की वृद्धि घटकर 2.1 प्रतिशत (36.5 बिलियन अमरीकी डॉलर) रह गई, जो कि पिछले वर्ष की पहली तिमाही में 6.1 प्रतिशत (35.8 बिलियन अमरीकी डॉलर) थी। वहीं, सेवाओं के आयात में 5.5 प्रतिशत (19.7 बिलियन अमरीकी डॉलर) की कमी हुई जबकि पिछले वर्ष की समरूप तिमाही में इसमें 19.3 प्रतिशत (20.8 बिलियन अमरीकी डॉलर) की वृद्धि हुई थी। इसके परिणामस्वरूप, तिमाही के दौरान सेवाओं के कारण निवल प्राप्तियां 16.9 बिलियन अमरीकी डॉलर के साथ अधिक रहीं जबकि 2012-13 की समरूप अवधि में यह 15.0 बिलियन अमरीकी डॉलर थीं।

  • 2013-14 की पहली तिमाही में प्राथमिक आय के कारण निवल बहिर्वाह 4.8 बिलियन अमरीकी डॉलर था जो कि पिछली तिमाही (5.2 बिलियन अमरीकी डॉलर) के साथ ही 2012-13 की समरूप तिमाही (4.9 बिलियन अमरीकी डॉलर) से भी कम था।

  • निवल अदृश्य मदों (आय एवं सेवाएं) में धीमे सुधार के साथ में व्यापार घाटे के कारण 2013-14 की पहली तिमाही में चालू खाता घाटा बढ़कर 21.8 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जो कि 2012-13 की पहली तिमाही में 16.9 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

  • विदेशी संस्थागत निवेशकों के ऋण बहिर्वाह के कारण संविभाग निवेश के निवल बहिर्वाह के बावजूद, 2013-14 की पहली तिमाही में पूंजी और वित्तीय खाते (विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में परिवर्तनों को छोड़कर) के तहत निवल अंतर्वाह 25.2 प्रतिशत बढ़कर 20.5 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जो 2012-13 की पहली तिमाही में 16.4 बिलियन अमरीकी डॉलर था। यह वृद्धि मुख्य रूप से विदेशी संस्थागत निवेश तथा बैंकों द्वारा लिए गए ऋणों के कारण थी।

  • 2012-13 की पहली तिमाही में निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश बढ़कर 6.5 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया, जो कि 2012-13 की पहली तिमाही में 3.8 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि निवल संविभाग निवेश में 0.2 बिलियन अमरीकी डॉलर का मामूली बहिर्वाह हुआ जो 2012-13 की पहली तिमाही में 2.0 बिलियन अमरीकी डॉलर था। यह बहिर्वाह प्राथमिक रूप से विदेशी संस्थागत निवेश के ऋण के हिस्से के कारण था। अमरीकी फैडरल रिज़र्व के मात्रात्मक सुलभता को कम करने के संभावित संकेत के बाद अनिवार्यरूप से मई 2013 के तीसरे सप्ताह से संविभाग निवेश का बहिर्वाह हुआ।

  • 2013-14 की पहली तिमाही में बैंकों द्वारा विदेशों से लिया जाने वाला निवल उधार 57.5 प्रतिशत बढ़कर 4.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जो 2012-13 की पहली तिमाही में 3.0 बिलियन अमरीकी डॉलर था। 2013-14 की पहली तिमाही में निवल बाह्य वाणिज्यिक उधारियां 0.4 बिलियन अमरीकी डॉलर के जिस स्तर पर थीं और 2012-13 की पहली तिमाही में भी उनका यही स्तर था। 2013-14 की पहली तिमाही में व्यापारिक ऋणों की अधिक चुकौती के कारण 'व्यापार ऋण तथा अग्रिम' के तहत अंतर्वाह घटकर 2.5 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया जो कि 2012-13 की पहली तिमाही में 5.4 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

  • भुगतान संतुलन के आधार पर 2013-14 की पहली तिमाही में विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में 0.3 बिलियन अमरीकी डॉलर की गिरावट हुई जबकि 2012-13 की पहली तिमाही में इसमें 0.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई थी (सारणी 1)।

सारणी 1 : भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें

( बिलियन अमरीकी डॉलर)

 

अप्रैल-जून 2013 (प्रा.)

अप्रैल-जून 2012 (आ.शं.)

जनवरी-मार्च 2013 (प्रा.)

 

जमा

नामे

निवल

जमा

नामे

निवल

जमा

नामे

निवल

अ. चालू खाता (1+2+3+4)

131.0

152.7

-21.8

130.4

147.3

-16.9

142.0

160.1

-18.1

1. वस्तुएं

73.9

124.4

-50.5

75.0

118.9

-43.8

84.8

130.4

-45.6

जिनमें से :

 

 

 

 

 

 

 

 

 

पेट्रोलियम, तेल एवं चिकनाई

13.9

42.0

-28.1

13.3

39.4

-26.1

16.1

42.2

-26.1

2. सेवाएं

36.5

19.7

16.9

35.8

20.8

15.0

37.8

20.9

17.0

3. प्राथमिक आय

2.5

7.4

-4.8

2.1

7.0

-4.9

2.6

7.8

-5.2

4. गौण आय

18.0

1.3

16.7

17.5

0.7

16.8

16.8

1.0

15.8

आ. पूंजी खाता एवं वित्तीय खाता

135.0

114.2

20.8

109.5

93.7

15.9

133.9

116.1

17.8

जिसमें से:
आरक्षित निधि में परिवर्तन
{वृद्धि (-)/कमी (+)}

0.3

 

0.3

 

0.5

-0.5

 

2.7

-2.7

इ. भूल-चूक (-)(अ+आ)

0.9

 

0.9

1.1

 

1.1

0.3

 

0.3

प्रा. : प्राथमिक; आं.शं. : आंशिक रूप से संशोधित

नोट : पूर्णांकन के कारण उप घटकों का जोड़ समग्र जोड़ से भिन्न हो सकता है।

संगीता दास
निदेशक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/676

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