RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

Press Releases Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79807284

2011-12 की चौथी ति‍माही (जनवरी-मार्च) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गति‍वि‍धि‍यां

29 जून 2012

2011-12 की चौथी ति‍माही (जनवरी-मार्च) के दौरान
भारत के भुगतान संतुलन की गति‍वि‍धि‍यां

वि‍त्तीय वर्ष 2011-12 की चौथी ति‍माही अर्थात् जनवरी-मार्च के भारत के भुगतान संतुलन संबंधी प्रारंभि‍क आंकड़े अब उपलब्ध हो गए हैं। ये आंकड़े अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की भुगतान संतुलन नि‍यम पुस्ति‍का के छठे संस्करण में सि‍फारि‍श कि‍ए गए प्रारूप में वि‍वरण I में दि‍ए गए हैं। ये आंकड़े पुराने प्रारूप में भी वि‍वरण II में दि‍ए गए हैं।

2011-12 की चौथी ति‍माही अर्थात् जनवरी-मार्च के दौरान भुगतान संतुलन की मुख्य-मुख्य बातें

भारत के भुगतान संतुलन में तीसरी ति‍माही में जो दबाव देखा गया था वह 2011-12 की चौथी ति‍माही में भी जारी रहा जोकि‍ आयातों में भारी वृद्धि‍ के कारण था। पोर्टफोलि‍यो नि‍वेश तथा अनि‍वासी जमाराशि‍यों में उल्लेखनीय वृद्धि‍ के चलते पूंजी प्रवाह में सुधार हुआ, परंतु वे वि‍त्तीयन की जरूरतों को पूरा करने में ये प्रवाह पर्याप्त नहीं थे जि‍सके चलते वि‍देशी मुद्रा भंडार में गि‍रावट आई। चौथी ति‍माही में व्यापार घाटा 50 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 10.6 प्रति‍शत) से भी अधि‍क का रहा तथा चालू खाते का घाटा बढ़कर 21.7 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 4.5 प्रति‍शत) हो गया।

  • 2011-12 की चौथी ति‍माही के दौरान भुगतान संतुलन आधार पर वाणि‍ज्य वस्तु के नि‍र्यात (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि‍ दर 2010-11 की इसी ति‍माही के 46.9 प्रति‍शत से तेजी से घटकर 3.4 प्रति‍शत रह गयी।

  • 2011-12 की चौथी ति‍माही के दौरान आयातों में 22.6 प्रति‍शत की वृद्धि‍ हुई जबकि‍ पि‍छले वर्ष की इसी ति‍माही में 27.7 प्रति‍शत की वृद्धि‍ हुई थी।

  • आयात में वृद्धि‍ की दर की तुलना में नि‍र्यात में वृद्धि‍ की दर कम रहने से 2011-12 की चौथी ति‍माही के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 51.6 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर हो गया जबकि‍ 2010-11 की चौथी ति‍माही में यह 30.0 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर था।

  • 2011-12 की चौथी ति‍माही में सेवाओं के नि‍र्यात की वृद्धि‍ दर भी घटकर 21.1 प्रति‍शत रह गई जबकि‍ 2010-11 की चौथी ति‍माही में यह 72.0 प्रति‍शत थी।

  • वि‍नि‍मय दर में गि‍रावट के परि‍णामस्वरूप द्वि‍तीयक आय(नि‍जी अंतरण) की नि‍वल प्राप्ति‍यां उल्लेखनीय रूप से 24.0 प्रति‍शत (वर्ष-दर-वर्ष) बढ़कर 2011-12 की चौथी ति‍माही में 16.9 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर हो गई जबकि‍ 2010-11 की चौथी ति‍माही में यह 13.6 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर थी।

  • 2011-12 की चौथी ति‍माही में प्राथमि‍क आय लेखा (मुख्यत: नि‍वेश आय ) से 4.6 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर का नि‍वल बहि‍र्वाह हुआ जोकि‍ पि‍छले वर्ष की इसी ति‍माही के लगभग समान है।

  • परि‍णामस्वरूप, 2011-12 की चौथी ति‍माही में चालू खाते का घाटा बढ़कर 21.7 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर हो गया जोकि‍ जीडीपी का 4.5 प्रति‍शत है (2010-11 की चौथी ति‍माही में 6.3 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर अर्थात् जीडीपी का 1.3 प्रति‍शत)।

  • 2011-12 की चौथी ति‍माही में पूंजी तथा वि‍त्तीय लेखा (वि‍देशी मुद्रा भंडार में हुए परि‍वर्तनों को छोड़कर) में नि‍वल आधार पर 16.5 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर का उच्चतर अंतर्वाह हुआ जबकि‍ 2010-11 की चौथी ति‍माही में यह 9.1 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर था।

  • 2011-12 की चौथी ति‍माही में पूंजी के प्रवाह में उल्लेखनीय सुधार होने के बावजूद वि‍देशी मुद्रा भंडार में मुख्यत: चालू खाते की स्थि‍ति‍ में गि‍रावट आने के चलते 5.7 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर(मूल्यन को छोड़कर) की कमी आई जबकि‍ 2010-11 की चौथी ति‍माही में 2.0 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर की वृद्धि‍ हुई थी।

वि‍त्तीय वर्ष 2011-12 के भुगतान संतुलन की मुख्य-मुख्य बातें

  • 2011-12 के दौरान चालू खाते का घाटा 2010-11 के 46.0 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 2.7 प्रति‍शत) से बढ़कर 78.2 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 4.2 प्रति‍शत) हो गया जो मुख्यत: बाह्य मांग की स्थि‍ति‍ कमजोर रहने के कारण हुए उच्चतर व्यापार घाटे एवं पीओएल एवं स्वर्ण और चांदी के अपेक्षाकृत कम लोच वाले आयातों की स्थि‍ति‍ को दर्शाता है।

  • 2011-12 के दौरान पूंजी तथा वि‍त्तीय लेखा (रि‍ज़र्व में परि‍वर्तनों को छोड़कर) के अंतर्गत नि‍वल अंतर्वाह के 2010-11 के 62.0 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर की तुलना में उच्चतर अर्थात् 67.8 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर रहे। वर्ष के दौरान रि‍ज़र्व में 12.8 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर की गि‍रावट आई जबकि‍ 2010-11 में 13.1 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर की वृद्धि‍ हुई थी।

1. 2011-12 के जनवरी-मार्च (चौथी ति‍माही) का भुगतान संतुलन

2011-12 की चौथी ति‍माही और 2011-12 के संपूर्ण वर्ष के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें सारणी 1 में दी गई हैं।

सारणी 1 : भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें

(बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर)

 

चौथी ति‍माही
जनवरी-मार्च

संपूर्ण वर्ष
अप्रैल-मार्च

2011 (आं.स.)

2012 (प्रा.)

2010/11
(आं.सं.)

2011/12
(प्रा.)

1. वस्तुओं का नि‍र्यात

77.4

80.0

250.6

309.8

2. वस्तुओं का आयात

107.4

131.7

381.1

499.5

3. व्यापार शेष (1-2)

-30.0

-51.6

-130.4

-189.7

4. सेवाओं का नि‍र्यात

35.3

37.7

131.7

140.9

5. सेवाओं का आयात

20.7

20.0

83.0

76.9

6.नि‍वल सेवाएं (4-5)

14.6

17.7

48.7

64.0

7. वस्तुओं और सेवाओं का शेष (3+6)

-15.4

-34.0

-81.8

-125.7

8. प्राथमि‍क आय, नि‍वल (कर्मचारि‍यों को क्षति‍पूर्ति‍ और नि‍वेश आय)

-4.5

-4.6

-17.3

-16.0

9. द्वि‍तीयक आय, नि‍वल ( नि‍जी अंतरण )

13.6

16.9

53.1

63.5

10. नि‍वल आय (8+9)

9.1

12.3

35.8

47.5

11. चालू खाता शेष (7+10)

-6.3

-21.7

-46.0

-78.2

12. पूंजी और वि‍त्तीय लेखा शेष, नि‍वल
(वि‍.मु. भंडार में हुए परि‍वर्तन को छोड़कर )

9.1

16.5

62.0

67.8

13.वि‍.मु.भंडार में परि‍वर्तन (-) वृद्धि‍ /(+)कमी

-2.0

5.7

-13.1

12.8

14. भूल-चूक (11+12-13)

-0.8

-0.6

-3.0

-2.4

प्रा:प्रारंभि‍क, आं.सं.: आंशि‍क रूप से संशोधि‍त

वस्तुओं का व्यापार

  • 2011-12 की चौथी ति‍माही में बीओपी आधार पर वाणि‍ज्य वस्तुओं के नि‍र्यात की वृद्धि‍ दर (वर्ष-दर-वर्ष) तेजी से घटकर 3.4 प्रति‍शत हो गई जबकि‍ पि‍छले वर्ष की इसी ति‍माही में यह 46.9 प्रति‍शत थी।

  • आर्थि‍क कार्यकलापों में आई गि‍रावट तथा रुपये के मूल्य में ह्रास होने के बावजूद वाणि‍ज्य वस्तुओं के आयात की वृद्धि‍ दर 2010-11 की चौथी ति‍माही के 27.7 प्रति‍शत से मामूली घटकर 2011-12 की चौथी ति‍माही में 22.6 प्रति‍शत रह गयी जोकि‍ स्वर्ण तथा तेल की बेलोच वाली मांग को दर्शाती है। तेल तथा स्वर्ण से इतर खंडों के आयात में 15.4 प्रति‍शत की वृद्धि‍ हुई जोकि‍ पि‍छले वर्ष की चौथी ति‍माही के 26.1 प्रति‍शत से काफी कम है।

  • नि‍र्यात में वृद्धि‍ की दर की तुलना में आयात में वृद्धि‍ की दर तेज रहने से 2011-12 की चौथी ति‍माही में व्यापार घाटा बढ़कर 51.6 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 10.6 प्रति‍शत) हो गया जबकि‍ 2010-11 की चौथी ति‍माही में यह 30.0 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर था जोकि‍ 72 प्रति‍शत की वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि‍ है।

सारणी 2: चालू खाते (नि‍वल) की अलग-अलग मदें

(बि‍लि‍यन अम.डॉलर)

 

चौथी ति‍माही
जन.मार्च 2011

संपूर्ण वर्ष
अप्रैल-मार्च

2011
(आं.सं.)

2012
(प्रा.)

2010/11
(आं.सं.)

2011/12
(प्रा.)

1. वस्तुएं

-30.0

-51.6

-130.4

-189.7

2. सेवाएं

14.6

17.7

48.7

64.0

2.क. परि‍वहन

0.9

0.4

0.4

1.8

2.ख. यात्रा

1.3

2.2

4.2

4.7

2.ग. नि‍र्माण

-0.2

-0.1

-0.5

-0.2

2.घ. बीमा एवं पेंशन सेवाएं

0.3

0.3

0.5

1.1

2. ङ. वि‍त्तीय सेवाएं

-0.4

-0.4

-1.0

-2.0

2.च. बौद्धि‍क संपदा के उपयोग हेतु प्रभार

-0.5

-0.9

-2.2

-2.9

2.छ. दूरसंचार, कम्प्यूटर एवं सूचना सेवाएं

15.5

16.7

53.8

60.7

2.ज. नि‍जी, सांस्कृति‍क एवं मनोरंजन संबंधी सेवाएं

-0.1

0.05

-0.3

0.1

2.झ. सरकारी वस्तुएं तथा सेवाएं

-0.1

-0.2

-0.3

-0.3

2. ञ. अन्य कारोबारी सेवाएं

-0.9

-0.2

-3.9

-0.9

2.च. अन्य, अन्यत्र अपरि‍गणि‍त

-1.3

-0.2

-2.1

1.9

3. प्राथमि‍क आय

-4.5

-4.6

-17.3

-16.0

3.क. कर्मचारि‍यों को क्षति‍पूर्ति‍

-0.2

0.01

-0.9

0.5

3.ख. नि‍वेश आय

-4.3

-4.6

-16.4

-16.5

4. द्वि‍तीयक आय

13.6

16.9

53.1

63.5

4.क. नि‍जी अंतरण

13.1

16.4

51.5

61.5

4.ख. अन्य अंतरण

0.5

0.4

1.6

2.0

5. चालू खाता (1+2+3+4)

-6.3

-21.7

-46.0

-78.2

टि‍प्पणी: पूर्णांकन के कारण हो सकता है कि‍ उप-मदों का जोड़ कुल से मेल न खाए।
प्रा: प्रारंभि‍क आं.सं.: आंशि‍क रूप से संशोधि‍त

सेवा तथा आय प्रवाह

  • संदर्भगत ति‍माही के दौरान जहां सेवाओं से प्राप्ति‍यों की वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि‍ की दर घटकर 6.7 प्रति‍शत (2010-11 की चौथी ति‍माही में 27.4 प्रति‍शत) रह गई वहीं मुख्यत: वि‍त्तीय सेवाओं के भुगतानों में कमी आने के चलते सेवाओं के भुगतानों में 3.4 प्रति‍शत की गि‍रावट आई। सेवाओं का नि‍वल नि‍र्यात (2010-11 की चौथी ति‍माही के 14.6 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर से) बढ़कर 17.7 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर हो गया जि‍समें मुख्यत: सॉफ्टवेयर सेवाओं का योगदान था।

  • प्राथमि‍क आय लेखा के अंतर्गत ति‍माही के दौरान 4.6 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर का नि‍वल बहि‍र्वाह हुआ जो 2010-11 की चौथी ति‍माही से मामूली अधि‍क है। यह मुख्य रूप से वि‍देशी मुद्रा भंडार से कम आय होने तथा बाह्य ऋण के बढ़ने के कारण ब्याज के भुगतान में बढ़ोतरी होने के समग्र प्रभाव को दर्शाता है।

  • ति‍माही के दौरान द्वि‍तीयक आय(नि‍वल आधारपर) में मुख्यत: वि‍देश में रहने वाले भारतीयों द्वारा कि‍ए गए प्रेषणों के चलते 24.0 प्रति‍शत(2010-11 की चौथी ति‍माही में 8.1 प्रति‍शत) की तेज वृद्धि‍ हुई जो मुख्यत: रुपये के मूल्य में हुई गि‍रावट को दर्शाती है।

  • बड़े स्तर के व्यापार घाटे के कारण चौथी ति‍माही में चालू खाते का घाटा 2010-11 की चौथी ति‍माही के 6.3 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर से तेजी से बढ़कर 21.7 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर हो गया (सारणी 2)। इस स्तर पर चालू खाते का घाटा जीडीपी का 4.5 प्रति‍शत (अब तक का सबसे अधि‍क ) बनता है जबकि‍ एक वर्ष पूर्व यह 1.3 प्रति‍शत था।

पूंजी तथा वि‍त्तीय लेखा

  • पोर्टफोलि‍यो नि‍वेश तथा अनि‍वासी भारतीयों की जमाराशि‍यों के अंतर्गत अंतर्वाह में बेहतरी आने से 2011-12 की चौथी ति‍माही में नि‍वल वि‍त्तीय प्रवाह (रि‍ज़र्व आस्ति‍यों को छोड़कर) (पि‍छले वर्ष की चौथी ति‍माही में 9.1 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर से) बढ़कर 16.5 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर हो गया (सारणी 3)। यह बढ़ोतरी मुख्यत: अनि‍वासी रुपया जमारशि‍यों की ब्याज दरों को नि‍यंत्रण से मुक्त कि‍या जाना दर्शाती है।

  • जहां भारत में आने वाले नि‍वल एफडीआई अंतर्वाह मामूली बढ़कर 1.4 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर हो गया वहीं ऐसा प्रतीत होता है कि‍ जोखि‍म वि‍मुखता एवं वैश्वि‍क वि‍त्तीय बाजारों की डीलि‍वरेजिंग का वाणि‍ज्यि‍क उधार एवं व्यापार कर्ज की उपलब्धता पर काफी प्रभाव पड़ा है। ऋण के अंतर्गत ति‍माही के दौरान 0.03 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर का नि‍वल बहि‍र्वाह हुआ जबकि‍ 2010-11 की चौथी ति‍माही में 1.0 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर का नि‍वल अंतर्वाह हुआ था। यह मुख्यत: वि‍देश से लि‍ए गए उधार की चुकौती एवं बैंकों द्वारा वि‍देशी मुद्रा आस्ति‍यों को बढ़ाए जाने के रूप में प्रति‍बिंबि‍त हुआ। उसी प्रकार, संदर्भगत ति‍माही के दौरान अल्पावधि‍ व्यापार ऋण के अंतर्गत नि‍वल अंतर्वाह मामूली घटकर 0.2 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर हो गया जबकि‍ 2010-11 की चौथी ति‍माही में 2.7 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर का अंतर्वाह हुआ था।

  • चालू खाते का घाटा बढ़ने और पूंजी प्रवाहों में कमी आने से 2011-12 की ति‍4 के दौरान 5.7 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर का वि‍देशी मुद्रा भंडार का नि‍वल आहरण कि‍या गया जबकि‍ 2010-11 की ति‍ 4 में 2.0 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर का भंडार नि‍र्माण हुआ था।

सारणी 3: वि‍त्तीय खाते की अलग-अलग मदें

(बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर)

 

चौथी ति‍माही
जनवरी-मार्च

संपूर्ण वर्ष
अप्रैल- मार्च

2011
(आं.सं.)

2012
(प्रा.)

2010/11
(आं.सं.)

2011/12
(प्रा.)

1. प्रत्यक्ष नि‍वेश (नि‍वल)

1.1

1.4

9.4

22.1

1.क भारत में प्रत्यक्ष नि‍वेश

5.5

4.2

25.9

33.0

1.ख भारत द्वारा प्रत्यक्ष नि‍वेश

-4.4

-2.9

-16.5

-10.9

2. फोर्टफोलि‍यो नि‍वेश

-0.01

13.9

28.2

16.6

2.क भारत में पोर्टफोलि‍यो नि‍वेश

-0.03

14.1

29.4

16.8

2.ख भारत द्वारा पोर्टफोलि‍यो नि‍वेश

0.02

-0.2

-1.2

-0.2

3. अन्य नि‍वेश

8.1

1.4

24.4

29.2

3.क अन्य ईक्वि‍टी (एडीआर/जीडीआर)

0.2

0.03

2.0

0.6

3.ख मुद्रा और जमाराशि‍यां

2.0

4.6

3.8

12.1

जमाराशि‍यां लेने वाले नि‍गम, केन्द्रीय बैंक को छोड़कर (एनआरआई जमाराशि‍यां)

0.9

4.7

3.2

11.9

3.ग कर्ज़*

1.0

-0.03

18.6

16.8

3.ग i भारत को कर्ज़

0.7

-0.02

18.3

15.7

जमाराशि‍यां लेने वाले नि‍गम, केन्द्रीय बैंक को छोड़कर

-2.7

-2.6

1.2

4.1

सामान्य सरकार (बाह्य सहायता)

0.8

0.3

5.0

2.5

अन्य क्षेत्र (ईसीबी)

2.7

2.3

12.2

9.1

3.ग ii भारत द्वारा कर्ज़

0.3

-0.01

0.3

1.0

सामान्य सरकार (बाह्य सहायता)

-0.01

-0.04

-0.03

-0.2

अन्य क्षेत्र (ईसीबी)

0.3

0.0

0.3

1.2

3.घ व्यापार ऋण और अग्रि‍म

2.7

0.2

11.0

6.7

3.ङ अन्य खाता प्राप्य / देय - अन्य

2.2

-3.3

-11.1

-6.9

4.आरक्षि‍त आस्ति‍यां

-2.0

5.7

-13.1

12.8

वि‍त्तीय खाता (1+2+3+4)

7.1

22.4

48.9

80.7

टि‍प्पणी: पूर्णंाकन के  कारण हो सकता है उप घटकों का योग कुल से मेल न खाये।

प्रा.: प्रारंभि‍क ;  आ.सं.: आंशि‍क रूप से संशोशि‍त

* : बाह्य सहायता, ईसीबी, गैर एनआरआई  बैंकिंग पूंजी और अल्पकालि‍क व्यापार ऋण को शामि‍ल कि‍या गया है।

2. 2011-12 के अप्रैल-मार्च में भुगतान संतुलन

माल व्यापार

  • वि‍त्तीय वर्ष 2011-12 के दौरान जहां नि‍र्यात वृद्धि‍ तेजी से कम होकर 23.6 प्रति‍शत रह गयी (2010-11 में 37.5 प्रति‍शत) वहीं आयात में 31.1 प्रति‍शत वृद्धि‍ हुई जबकि‍ पि‍चले वर्ष यह वृद्धि‍ 26.7 प्रति‍शत थी जो कि‍ मुख्यत: पीओएल तथा सोने और चांदी का उच्च आयात दर्शाती है।

  • तेल और मूल्यवान धातुओं का आयात जि‍समें क्रमश: 46.9 और 49.4 प्रति‍शत वृद्धि‍ हुई थी, का वर्ष के दौरान कुल आयात में संयुक्त रूप से लगभग 45 प्रति‍शत योगदान था। उल्लेखनीय रूप से, कच्चे तेल के भारतीय बास्केट का अंतरराष्ट्रीय मूल्य 2010-11 के 85.1 अमरीकी डॉलर प्रति‍ बैरल से बढ़कर 2011-12 में 111.9 अमरीकी डॉलर प्रति‍ बैरल हो गया।

  • इसके कारण व्यापार घाटा 2010-11 के 130.4 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2011-12 में 189.7 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर हो गया।

  • सेवाओं के संबंध में, आयात में गि‍रावट और नि‍र्यात की मंद वृद्धि‍ के कारण नि‍वल अधि‍शेष में लगभग 32 प्रति‍शत की वृद्धि‍ हुई। अधि‍शेष का मुख्य कारण परि‍वहन, यात्रा, बीमा, वि‍त्तीय सेवाएं और "दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाएं " थीं (सारणी 2)।

प्राथमि‍क आय

  • नि‍वल संदर्भ में, लगभग पि‍छले वर्ष जैसे ही 16.5 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर के बहि‍र्वाह के साथ नि‍वेश आय घाटे की स्थि‍ति‍ में रही। किंतु कर्मचारि‍यों को मुआवजे में परि‍वर्तन हुआ और वर्ष के दौरान इसमें 0.5 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर का अल्प अधि‍शेष दर्ज हुआ।

गौण आय

  • गौण आय प्राप्ति‍यां, जि‍समें मुख्यत: नि‍जी अंतरण शामि‍ल होते हैं, 2011-12 के दौरान बढ़कर 66.1 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर हो गयीं जो कि‍ पि‍छले वर्ष 55.6 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर थीं जि‍सका एक कारण रुपये में मूल्यह्रास कहा जा सकता है।

चालू खाता शेष

  • वर्ष के दौरान, सीएडी समग्र के साथ ही जीडीपी के अनुपात के संदर्भ में भी अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। 2011-12 में सीएडी 78.2 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर था जो कि‍ जीडीपी का 4.2 प्रति‍शत था जबकि‍ पि‍छले वर्ष यह 46.0 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर था जो कि‍ जीडीपी का 2.7 प्रति‍शत था। सीएडी-जीडीपी अनुपात में वृद्धि‍ का कारण जीडीपी वृद्धि‍ की कम गति‍ और रुपये के मूल्यह्रास के कारण डॉलर के संदर्भ में इसमें संकुचन होना था।

पूंजी और वि‍त्तीय खाता

  • नि‍वल संदर्भ में, 2011-12  में एफडीआई अंतर्वाह और एनआरआई जमाराशि‍ क्रमश: 22.1 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर और 11.9 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर के साथ उच्च थी जबकि‍ संवि‍भागीय नि‍वल प्रवाह कम होकर 16.6 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर रह गया था।

  • पूंजी और वि‍त्तीय खाते के तहत नि‍वल अंतर्वाह (वि‍देशी मुद्रा भंडार में परि‍वर्तन छोड़कर) 2011-12 के दौरान 67.8 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर पर उच्चतर थे जो कि‍ पि‍छले वर्ष 62.0 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर थे।

  • वर्ष के दौरान, रि‍ज़र्व से 12.8 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर का नि‍वल आहरण हुआ जबकि‍ पि‍छले वर्ष इसमें 13.1 बि‍लि‍यन अमरीकी डॉलर की नि‍वल वृद्धि‍ हुई थी।

3. मार्च 2012 को समाप्त ति‍माही का बाह्य ऋण

मौजूदा प्रथा के अनुसार मार्च और जून को समाप्त ति‍माहि‍यों के लि‍ए बाह्य ऋण भारतीय रि‍जर्व बैंक  द्वारा संकलि‍त और जारी कि‍या जाता है जबकि‍ सि‍तंबर और दि‍संबर को समाप्त ति‍माहि‍यों के लि‍ए बाह्य ऋण वि‍त्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संकलि‍त और जारी कि‍या जाता है। तदनुसार, मार्च 2012 को समाप्त ति‍माही के लि‍ए बाह्य ऋण के आंकड़े भारतीय रि‍जर्व बैंक द्वारा जारी कि‍ए जा रहे हैं जो कि‍ www.rbi.org.in पर उपलब्ध हैं।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/2101

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?