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वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति

13 जून 2018

वर्ष 2017-18  की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) के दौरान
भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति

वित्तीय वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही अर्थात् जनवरी-मार्च के लिए भारत के भुगतान संतुलन (बीओपी) से संबंधित प्रारंभिक आंकड़े विवरण-। (बीपीएम6 फॉर्मेट) और ।। (पुराना फॉर्मेट) में प्रस्‍तुत किए गए हैं।

2017-18 की चौथी तिमाही के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की मुख्य विशेषताएं

  • भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही के 2.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 0.4 प्रतिशत) से बढ़कर 2017-18 की चौथी तिमाही में 13.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.9 प्रतिशत) हो गया किंतु यह पिछली तिमाही के 13.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 2.1 प्रतिशत) से थोड़ा कम रहा।

  • सीएडी में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर विस्तार मुख्य रूप से व्‍यापारिक निर्यात की तुलना में व्‍यापारिक आयात में अत्‍यधिक वृद्धि से आए उच्च व्‍यापारिक घाटे (41.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के कारण हुआ।  

  • निवल प्राप्तियां वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 8.8 प्रतिशत तक बढ़ गई जिनका मुख्य कारण सॉफ्टवेयर और अन्य कारोबार सेवाओं से निवल अर्जन में हुई वृद्धि थी।

  • निजी अंतरण प्राप्तियां, जो कि विदेशों में नौकरी करने वाले भारतीयों द्वारा किए जाने वाले धन प्रेषणों को दर्शाती हैं, बढ़कर 18.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई जो एक वर्ष पहले के स्तर से 15.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।

  • वित्तीय लेखा में, वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में निवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 6.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा जोकि वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही के 5.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।

  • ऋण और इक्विटी बाजारों में निवल खरीद में नरमी के कारण पोर्टफोलियो निवेश में पिछले वर्ष की चौथी तिमाही के 10.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अंतर्वाह की तुलना में वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल अंतर्वाह दर्ज किया गया।

  • अनिवासी जमाराशियों के कारण निवल प्राप्तियां एक वर्ष पहले के 2.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में 4.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई।

  • वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में, विदेशी मुद्रा भंडार में 13.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अभिवृद्धि हुई (बीओपी आधार पर) जबकि वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में यह 7.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की थी (सारणी 1)।

वर्ष 2017-18 के दौरान बीओपी

  • पूरे वर्ष के लिए, व्यापारिक घाटे के बढ़ने के कारण सीएडी वर्ष 2017-18 में जीडीपी का 1.9 प्रतिशत हो गया जो वर्ष 2016-17 में 0.6 प्रतिशत था।

  • भारत का व्यापारिक घाटा वर्ष 2016-17 के 112.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2017-18 में 160.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

  • निवल सेवा अर्जन और निजी अंतरण प्राप्तियों में वृद्धि के कारण निवल अदृश्य प्राप्तियां वर्ष 2017-18 में उच्चतर रही।

  • भारत में सकल एफडीआई अंतर्वाह वर्ष 2016-17 के 60.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2017-18 में 61.0 बिलियन हो गया।

  • निवल एफडीआई अंतर्वाह वर्ष 2016-17 के 35.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर वर्ष 2017-18 में 30.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

  • पोर्टफोलियो निवेश में एक वर्ष पहले के 7.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में वर्ष 2017-18 में 22.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल अंतर्वाह दर्ज किया गया।

  • वर्ष 2017-18 में, विदेशी मुद्रा भंडार में 43.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अभिवृद्धि हुई (बीओपी आधार पर)।

सारणी 1 : भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें
(बिलियन अमेरिकी डॉलर)
  जनवरी-मार्च 2018 प्रा. जनवरी-मार्च 2017 आं.सं. 2017-18 प्रा. 2016-17 आं.सं.
  जमा नामे निवल जमा नामे निवल जमा नामे निवल जमा नामे निवल
क. चालू खाता 156.7 169.7 -13.0 139.4 141.9 -2.6 592.4 641.0 -48.7 522.2 536.5 -14.4
1. माल 82.2 123.8 -41.6 77.4 107.1 -29.7 309.0 469.0 -160.0 280.1 392.6 -112.4
जिसमें से :                        
पीओएल 10.6 33.0 -22.4 9.0 25.6 -16.6 37.5 108.6 -71.1 31.5 87.0 -55.4
2. सेवा 51.6 31.4 20.2 41.8 23.3 18.5 195.1 117.5 77.6 164.2 95.9 68.3
3. प्राथमिक आय 4.8 12.6 -7.8 4.5 10.0 -5.6 18.9 47.5 -28.7 16.3 42.6 -26.3
4. द्वितीयक आय 18.1 1.9 16.2 15.7 1.5 14.2 69.4 6.9 62.5 61.5 5.5 56.0
ख. पूंजी लेखा और वित्तीय लेखा 171.5 159.7 11.8 145.1 142.1 3.0 643.6 595.9 47.8 551.9 537.1 14.8
जिसमें से :                        
मुद्रा भंडार में परिवर्तन
(वृद्धि (-)/कमी (+))
0.0 13.2 -13.2 0.0 7.3 -7.3 0.0 43.6 -43.6 0.0  21.6 -21.6
ग. भुल-चूक (-) (ए+बी) 1.3   1.3   0.5 -0.5 0.9   0.9   0.5 -0.5
प्रा : प्रारंभिक; आं.सं. : आंशिक रूप से संशोधित
नोट : पूर्णांकन के कारण उप घटकों का योग कुल योग से भिन्न हो सकता है।

जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/3265

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