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2010-11 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2010) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां तथा पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2010) के आंशिक रूप से संशोधित आंकड़े

31 दिसंबर 2010

2010-11 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2010) के दौरान भारत के
भुगतान संतुलन की गतिविधियां तथा पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2010)
के आंशिक रूप से संशोधित आंकड़े

वित्तीय वर्ष 2010-11 के भारत के भुगतान संतुलन (बीओपी) संबंधी दूसरी तिमाही (ति.2) अर्थात जुलाई-सितंबर 2010 के प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हो गए हैं। भुगतान संतुलन संबंधी वित्तीय वर्ष की पहली छमाही अर्थात अप्रैल-सितंबर 2010 के आंकड़ों का संकलन करने के लिए इन प्रारंभिक आंकड़ों तथा पहली तिमाही (ति.1) अर्थात अप्रैल-जून 2010 के संशोधित आंकड़ों को हिसाब में लिया गया है। पिछले दो वर्षों के आंकड़ों में संशोधन भी किया गया है। इन आंकड़ों का विस्तृत विवरण भुगतान संतुलन के प्रस्तुतीकरण के मानक प्रारूप विवरण I तथा विवरण II में दिया गया है।

2010-11 के जुलाई-सितंबर (ति2) के दौरान भुगतान संतुलन संबंधी मुख्य-मुख्य बातें

  1. बीओपी आधार पर, 2010-11 की दूसरी तिमाही के दौरान निर्यात में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 25.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि 2009-10 की तदनुरूप अवधि में 19.1 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
  2. उसी प्रकार, तिमाही के दौरान बीओपी आधार पर आयात में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 22.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 21.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
  3. आयातों की तुलना में निर्यातों में उच्चतर वृद्धि के बावजूद राशि के रूप में व्यापार घाटा बढ़कर 35.4 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जबकि पिछले वर्ष की तदनुरूप तिमाही में यह राशि 29.6 बिलियन अमरीकी डालर थी।
  4. वर्ष-दर-वर्ष आधार पर सेवाओं से प्राप्तियों में 39.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई जिसमें यात्रा, परिवहन, सॉफ्टवेयर, कारोबार तथा वित्तीय सेवाओं का योगदान था। पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि में सेवाओं से प्राप्त राशियों में 26.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
  5. सेवा संबंधी भुगतान पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि के 13.7 बिलियन अमरीकी डालर से 40.7 प्रतिशत बढ़कर 19.3 बिलियन अमरीकी डालर हो गया।
  6. निजी अंतरण प्राप्तियां तिमाही के दौरान 5.0 प्रतिशत घटकर 13.5 बिलियन अमरीकी डालर हो गई।
  7. परिणामस्वरूप, निवल अदृश्य मद प्राप्तियां 3.9 प्रतिशत घटकर 19.6 बिलियन अमरीकी डालर हो गई।
  8. अदृश्य मद अधिशेष की राशि के कम रहने के साथ-साथ व्यापार घाटा उच्चतर रहने के कारण चालू खाते के घाटे में वृद्धि हुई।
  9. अवधि के दौरान पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि की तुलना में पूंजी खाते के अधिशेष में वृद्धि हुई जो मुख्यत: पोर्टफोलियो निवेश, अल्पावधि कर्ज एवं बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) की वजह से थी। दूसरी तिमाही के दौरान पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि की तुलना में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के अंतर्गत निवल अंतर्वाह में उल्लेखनीय गिरावट आयी।
  10. चालू खाते के घाटे की तुलना में पूंजी खाते का अधिशेष अधिक रहने के कारण समग्र शेष राशि 3.3 बिलियन अमरीकी डालर पर अधिशेष में थी, जिसके चलते 2010-11 की दूसरी तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में इतनी ही राशि की वृद्धि हुई।

2010-11 के अप्रैल-सितंबर(छ.1) के दौरान भुगतान संतुलन की मुख्य-मुख्य बातें

  1. अप्रैल-सितंबर 2010 के दौरान चालू खाते के घाटे मे वृद्धि हुई जो निवल अदृश्य मदों के अधिशेष में गिरावट के साथ-साथ व्यापार घाटे के उच्चतर स्तर पर रहने को दर्शाता है।
  2. निवल विदेशी निवेशों के मोटे तौर पर समान स्तर पर बने रहने के बावजूद निवल पूंजी अंतर्वाह में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हुई जो अल्पावधि व्यापार कर्ज तथा बाह्य वाणिज्यिक उधारियों की वजह से थी।
  3. निवल पूंजी अंतर्वाह में उल्लेखनीय वृद्धि के बावजूद अप्रैल-सितंबर 2010 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में कम वृद्धि हुई जो अप्रैल-सितंबर 2009 की तुलना में चालू खाते का घाटा दुगुने से भी अधिक हो जाने की वजह से थी।

1. 2010-11 के जुलाई-सितंबर (ति.2) के दौरान भुगतान संतुलन

2010-11 की दूसरी तिमाही (ति.2) के दौरान भुगतान संतुलन की प्रमुख मदों की जानकारी सारणी 1 में नीचे दी गई है।

सारणी 1: भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें

(बिलियन अमरीकी डालर)

मद

अप्रैल-जून

जुलाई-सितंबर

2009-10
(आंस)

2010-11
(आंस)

2009-10
(आंस)

2010-11
(प्रा)

1

2

3

4

5

1. निर्यात

39.2

56.3

43.4

54.3

2. आयात

65.4

87.8

73.0

89.6

3. व्यापार शेष (1-2)

-26.3

-31.6

-29.6

-35.4

4. अदृश्य मदें, निवल

22.1

19.4

20.4

19.6

5. चालू खाता शेष (3+4)

-4.2

-12.1

-9.2

-15.8

6. पूंजी खाता शेष*

4.3

15.9

18.6

19.0

7. विदेशी मुद्रा भंडार में परिवर्तन#
(-वृद्धि दर्शाता है;+ कमी दर्शाता है)

-0.1

-3.7

-9.4

-3.3

*: भूल-चूक सहित   #: बीओपी आधार पर (अर्थात मूल्यन को छोड़कर)  
प्रा.:प्रारंभिक    आंस: आंशिक रूप से संशोधित

  1. बीओपी आधार पर 2010-11 की दूसरी तिमाही के दौरान वर्ष-दर-वर्ष आधार पर भारत के वणिक निर्यात में 25.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही के दौरान 19.1 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
  2. बीओपी आधार पर भारत के वणिक आयात में 22.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि पिछले वर्ष 21.3 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।
  3. आयातों की तुलना में निर्यातों में उच्चतर वृद्धि के बावजूद मूल्य के रूप में 2010-11 की दूसरी तिमाही के दौरान व्यापार घाटा 35.4 बिलियन अमरीकी डालर पर उच्चतर रहा जबकि 2009-10 की दूसरी तिमाही के दौरान का व्यापार घाटा 29.6 बिलियन अमरीकी डालर था।
  4. अदृश्य मद प्राप्तियों में 12.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई (पिछले वर्ष में 13.7 प्रतिशत की गिरावट के मुकाबले) जो मुख्यत: सेवाओं के निर्यातों की वजह से थी। 
  5. सेवाओं के निर्यातों में 39.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई (एक वर्ष पूर्व 26.3 प्रतिशत की गिरावट के मुकाबले) जो सॉफ्टवेयर, कारोबार तथा वित्तीय सेवाओं जैसी विविध सेवाओं के साथ-साथ यात्रा तथा परिवहन में हुई वृद्धि की वजह से थी।
  6. तिमाही के दौरान निजी अंतरण प्राप्तियों में 5.0 प्रतिशत की गिरावट आई (एक वर्ष पूर्व की 3.6 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले) जिसके कारण यह राशि घटकर 13.5 बिलियन अमरीकी डालर हो गई। 
  7. तिमाही के दौरान निवेश आय प्राप्तियों में 62.0 प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट (एक वर्ष पूर्व 17.9 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले) आयी जो मुख्यत: विदेशों में ब्याज दरों के कम स्तर पर बनी रहने की वजह से थी।
  8. अदृश्य मद भुगतानों में 28.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई (एक वर्ष पूर्व की मामूली वृद्धि के मुकाबले) जो मुख्यत: यात्रा, परिवहन, कारोबार तथा वित्तीय सेवाओं के अंतर्गत उच्चतर भुगतान किए जाने की वजह से थी।

सारणी 2: अदृश्य मदों की सकल प्राप्तियां और भुगतान

(बिलियन अमरीकी डॉलर)

मद

अदृश्य मदों की प्राप्तियां

अदृश्य मदों के भुगतान

 

अप्रैल- जून

जुलाई-सितंबर

अप्रैल- जून

जुलाई-सितंबर

 

2009-10 (आं.सं.)

2010-11 (प्रा)

2009-10 (आं.सं.)

2010-11 (प्रा)

2009-10 (आं.सं.)

2010-11 (प्रा.)

2009-10 (आं.सं.)

2010-11 (प्रा.)

1

2

3

4

5

6

7

8

9

क. सेवाएं (1 से 5)

22.4

25.9

21.4

29.8

11.0

17.0

13.7

19.3

1.यात्रा

2.3

3.0

2.7

3.4

2.0

2.3

2.4

2.8

2.परिवहन

2.5

3.1

2.6

3.3

2.8

3.1

2.2

3.5

3.बीमा

0.4

0.4

0.4

0.4

0.3

0.3

0.3

0.4

4.सरकार, जो अन्यत्र शामिल नहीं

0.1

0.1

0.1

0.1

0.1

0.1

0.1

0.2

5.विविध

17.1

19.3

15.6

22.6

5.7

11.1

8.7

12.4

जिसमें से :

 

 

 

 

 

 

 

 

सॉफ्टवेयर 

11.0

12.7

11.2

12.8

0.4

0.6

0.4

0.6

सॉफ्टवेयर से इतर

6.1

6.6

4.4

9.8

5.3

10.5

8.3

11.8

ख. अंतरण

13.3

13.8

14.4

13.7

0.5

0.7

0.6

0.7

निजी

13.3

13.7

14.2

13.5

0.4

0.6

0.5

0.5

सरकारी

0.0

0.1

0.2

0.1

0.1

0.1

0.1

0.1

आय

3.0

2.9

4.8

2.0

5.2

5.5

5.8

5.9

निवेश आय

2.7

2.6

4.5

1.7

4.8

5.0

5.5

5.5

कर्मचारियों का मुआवजा

0.2

0.2

0.2

0.2

0.4

0.5

0.3

0.4

अदृश्य मदें (क+ख+ग)

38.7

42.5

40.5

45.4

16.6

23.1

20.1

25.8

प्रा : प्रारंभिक।    आं.सं. :आंशिक रूप से संशोधित।

  1. अदृश्य मद भुगतान में वृद्धि प्राप्तियों की तुलना में अधिक होने के कारण निवल अदृश्य मदों (अदृश्य मद प्राप्तियों  से अदृश्य मद भुगतान घटाकर) ने तिमाही के दौरान 3.9 प्रतिशत की थोड़ी गिरावट दर्शाई और वे 19.6 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गए (2009-10 की ति2 के दौरान 20.4 बिलियन अमरीकी डॉलर)।
  2. उच्च व्यापार घाटे के साथ अदृश्य मद अधिशेष की कम मात्रा से चालू खाते में वृद्धि हुई जो 15.8 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (एक वर्ष पूर्व 9.2 बिलियन अमरीकी डॉलर)।
  3. एफआइआइ निवेशों के तहत भारी अंतर्वाहों के साथ ही अल्पावधि ऋण और बाह्य वाणिज्यिक उधारों के तहत अंतर्वाहों की निरंतरता से 2010-11 की ति2 के दौरान 20.5 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवल पूंजी खाता अधिदेश हुआ जबकि 2009-10 की ति2 के दौरान यह 19.3 बिलियन अमरीकी डॉलर था।
  4. भारत को अल्पावधि व्यापार ऋण ने तिमाही के दौरान 2.6 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवल अंतर्वाह दर्ज किया (पिछली तिमाही के दौरान के 1.2 बिलियन अमरीकी डॉलर के निवल अंतर्वाह की तुलना में) जो मजबूत देशी आर्थिक गतिविधियों संबंधी आयात में वृद्धि के अनुरूप था।
  5. तिमाही के दौरान निवल ईसीबी 3.7 बिलियन अमरीकी डॉलर पर काफी अधिक थे (पिछले वर्ष के 1.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में) जिसका मुख्य कारण भारत को वाणिज्यिक उधार का अधिक संवितरण था।
  6. बैंकिंग पूंजी ने तिमाही के दौरान 3.2 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवल बहिर्वाह दर्ज किया (पिछले वर्ष के 4.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में) जिसका मुख्य कारण वाणिज्य बैंकों की विदेशी आस्तियों का निर्माण था।
  7. निवल एफडीआइ प्रवाह (निवल आवक एफडीआइ से निवल जावक एफडीआइ घटाकर) तिमाही के दौरान 2.5 बिलियन अमरीकी डॉलर थे (2009-10 की ति2 के स्तर का तिहाई) जिसका मुख्य कारण तिमाही के दौरान कम निवल आवक एफडीआइ था।
  8. भारत को एफडीआइ में गिरावट का मुख्य कारण निमार्ण, स्थावर संपदा, कारोबारी और वित्तीय सेवाओं के तहत कम एफडीआइ अंतर्वाह था। देशवार, मॉरीशस और सिंगापुर से एफडीआइ में काफी गिरावट आई थी।
  9. संविभागीय निवेश के तहत निवल अंतर्वाह तिमाही के दौरान लगभग दोगुने होकर 19.2 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गए (पिछले वर्ष की इसी तिमाही के दौरान 9.7 बिलियन अमरीकी डॉलर), जिसका मुख्य कारण भारतीय शेयर बाजार में आकर्षक प्रतिलाभ के आधार पर एफआइआइ के तहत भारी अंतर्वाह था ( सारणी 3)।
  10. उच्च निवल पूंजी अंतर्वाह के बावजूद, बीओपी आधार पर विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि (मूल्यन छोड़कर) 2010-11 की ति2 के दौरान 3.3 बिलियन अमरीकी डॉलर पर कम थी (2009-10 की ति2 के दौरान की 9.4 बिलियन अमरीकी डॉलर) जिसका कारण चालू खाते का व्यापक घाटा था। सामान्य संदर्भ में (अर्थात मूल्यन परिवर्तन सहित), विदेशी मुद्रा भंडार तिमाही के दौरान 17.2 बिलियन अमरीकी डॉलर बढ़ गया जो तिमाही के दौरान मुख्य अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं के प्रति अमरीकी डॉलर का मूल्यह्रास दर्शाता है (विदेशी मुद्रा भंडार में घट-बढ़ के स्रोत पर प्रेस प्रकाशनी अलग से जारी की जा रही है)।

सारणी 3: निवल पूंजी प्रवाह

(बिलियन अमरीकी डॉलर)

मद

अप्रैल- जून

जुलाई-सितंबर

2009-10 (आं.सं.)

2010-11 (आं.सं.)

2009-10 (आं.सं.)

2010-11 (प्रा.)

1

2

3

4

5

1. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश

4.8

2.8

7.5

2.5

 आवक एफडीआइ

8.9

5.9

10.9

6.7

 जावक एफडीआइ

-4.1

-3.1

-3.4

-4.2

2. पोर्टफालियो निवेश

8.3

4.6

9.7

19.2

 जिसमें से :        

 एफआइआइ

8.2

3.5

7.0

18.8

एडीआर/ जीडीआर

0.0

1.1

2.7

0.5

3. बाह्य सहायता

0.3

2.4

0.7

0.6

4. बाह्य वाणिज्यिक उधार

-0.5

2.3

1.2

3.7

5. अनिवासी भारतीय जमाराशियां

1.8

1.1

1.0

1.0

6. एनआरआइ जमाओं को छोड़कर बैंकिंग पूंजी

-5.2

2.9

3.4

-4.2

7. अल्पकालिक व्यापार ऋण

-1.3

4.2

1.2

2.6

8. रुपया ऋण सेवा

0.0

0.0

0.0

0.0

अन्य पूंजी

-4.6

-4.1

-5.4

-4.9

कुल (1 से 9)

3.7

16.2

19.3

20.5

प्रा : प्रारंभिक।    आं.सं. :आंशिक रूप से संशोधित।

2. 2010-11 के अप्रैल-सितंबर (एच 1) का भुगतान संतुलन

  1. भुगतान संतुलन आधार पर, अप्रैल-सितंबर 2010 के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 66.9 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (अप्रैल-सितंबर 2009 के दौरान 55.9 बिलियन अमरीकी डॉलर) जिसका मुख्य कारण मजबूत देशी आर्थिक निष्पादन के अनुरूप आयातों में काफी वृद्धि था।
  2. किंतु, अप्रैल-सितंबर 2010 के दौरान निवल अदृश्य मद अधिशेष 39.1 बिलियन अमरीकी डॉलर पर कम थे (पिछले वर्ष 42.5 बिलियन अमरीकी डॉलर) जिसका अनिवार्य कारण सेवाओं की लगभग सभी श्रेणियों के आधार पर उच्च अदृश्य मद भुगतान था।
  3. उच्च व्यापार घाटा और कम निवल अदृश्य मद अधिशेष के कारण अप्रैल-सितंबर 2010 के दौरान चालू खाते का घाटा बढ़कर 27.9 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (पिछले वर्ष 13.3 बिलियन अमरीकी डॉलर)।  
  4. अप्रैल-सितंबर 2010 के दौरान निवल पूंजी अंतर्वाहों में काफी वृद्धि हुई जिसका मुख्य कारण एफआइआइ अंतर्वाह, अल्पावधि व्यापार ऋण और ईसीबी था। इन अंतर्वाहों में व्यापक वृद्धि भारत में निवल अंतर्वाह में कमी से काफी कुछ संतुलित हो गई।
  5. निवल पूंजी अंतर्वाहों में भारी वृद्धि के बावजूद, अप्रैल-सितंबर 2010 के दौरान भंडार में वृद्धि कम हुई जिसका मुख्य कारण अप्रैल-सितंबर 2009 की तुलना में चालू खाते का घाटा दोगुने से अधिक बढ़ना था।

सारणी 4:भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें

(बिलियन अमरीकी डॉलर)

मद

अप्रैल-मार्च

अप्रैल-सितंबर

2008-09
(सं.)

2009-10
(आं.सं.)

2009-10
(आं.सं.)

2010-11
(प्रा.)

1

2

3

4

5

1.निर्यात

189.0

182.2

82.6

110.5

2.आयात

308.5

300.6

138.4

177.5

3.व्यापार शेष(1-2)

-119.5

-118.4

-55.9

-66.9

4. अदृश्य मदें, निवल

91.6

80.0

42.5

39.1

5.चालू खाता शेष(3+4)

-27.9

-38.4

-13.3

-27.9

6.पूंजी खाता शेष*

7.8

51.8

22.9

34.9

7.आरक्षित निधी में परिवर्तन#
(- चिहन वृद्धि दर्शाता है;+ चिहन गिरावट दर्शाता है)

20.1

-13.4

-9.5

-7.0

*:भूल-चूक सहित  # :भुगतान संतुलन आधार पर (मूल्यांकन को छोड़कर)
प्रा.:प्रारंभिक     आं.सं.: आंशिक संशोधित   सं.: संशोधित

3. सितंबर 2010 को समाप्त तिमाही के लिए बाह्य ऋण

वर्तमान प्रथा के अनुसार, मार्च तथा जून को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण रिज़र्व बैंक द्वारा संकलित एवं जारी किया जाता है, जबकि सितंबर और दिसंबर को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संकलित तथा जारी किया जाता है। तदनुसार, सितंबर 2010 को समाप्त तिमाही के लिए बाह्य ऋण के आंकड़े वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी किए जा रहे हैं। इसे http://finmin.nic.in पर भी देखा जा सकता है।

आर.आर.सिन्हा
उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2010-2011/931

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