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2011-12 की  दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2011) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां तथा पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2011) के आंशिक रूप से संशोधित आंकड़े

30 दिसंबर 2011

2011-12 की  दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2011) के दौरान भारत के
भुगतान संतुलन की गतिविधियां तथा पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2011)
के आंशिक रूप से संशोधित आंकड़े

वित्तीय वर्ष 2011-12 की दूसरी तिमाही (ति2) अर्थात् जुलाई-सितंबर 2011 के भारत के भुगतान संतुलन के प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हो गए हैं। चालू वित्तीय वर्ष की पहली छमाही अर्थात् अप्रैल-सितंबर 2011 के भुगतान संतुलन के आंकड़ों का संकलन करते समय इन प्रारंभिक आंकड़ों एवं पहली तिमाही (ति1) अर्थात् अप्रैल-जून 2011 के आंशिक रूप से संशोधित आंकड़ों को हिसाब में लिया गया है। इन आंकड़ों के ब्यौरे भुगतान संतुलन के प्रस्तुतीकरण हेतु आईएमएफ  द्वारा निर्धारित संशोधित फार्मेट बीपीएम6 में दिये गये हैं। यही आंकड़े विवरण I और विवरण II में भी दिये गये हैं।

वर्ष 2011-12 के जुलाई-सितंबर (दूसरी तिमाही) के दौरान की भुगतान संतुलन की मुख्य-मुख्य बातें

  • 2011-12 की दूसरी तिमाही के दौरान बीओपी आधार पर वणिक निर्यात में 47.2 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि हुई जबकि 2010-11 की इसी तिमाही में 20.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

  • इसी तरह तिमाही के दौरान आयातों में 35.4 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि हुई जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 21.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

  • आयातों की तुलना में निर्यातों में उच्चतर वृद्धि होने के बावजूद व्यापार घाटा बढ़कर 43.9 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही का व्यापार घाटा 37.0 बिलियन अमरीकी डॉलर का था।

  • सॉफ्टवेयर, यात्रा तथा परिवहन की स्थिति में बेहतरी के चलते सेवा संबंधी प्राप्तियों में 9.3 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि हुई। परंतु, सेवा संबंधी भुगतान पिछले वर्ष की इसी तिमाही के 19.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में इस तिमाही में 3.9 प्रतिशत घटकर 18.5 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया।

  • प्राथमिक आय संबंधी (निवेश आय) खाते में निरंतर बहिर्वाह परिलक्षित होने के बावजूद निवल द्वितीयक आय (निजी अंतरण) संबंधी प्राप्तियां काफी अच्छी अर्थात् 16.2 बिलियन अमरीकी डॉलर रहीं।

  • इसके परिणामस्वरूप, 2011-12 की दूसरी तिमाही में चालू खाते के घाटे की राशि 16.9 बिलियन अमरीकी डॉलर रही।

  • मुख्य रूप से पोर्टफोलियो निवेश में बहिर्वाह होने के कारण 2011-12 की दूसरी तिमाही में वित्तीय लेखा अधिशेष की राशि में गिरावट आई।

  • इस प्रकार, 2011-12 की दूसरी तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में मामूली (0.3 बिलियन अमरीकी डॉलर) वृद्धि हुई (मूल्यन को छोड़कर)।

2011-12 के अप्रैल-सितंबर (पहली छमाही) के दौरान की भुगतान संतुलन संबंधी मुख्य-मुख्य बातें

  • अप्रैल-सितंबर 2011 के दौरान चालू खाते के घाटे की राशि बढ़कर 32.4 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गई जो मुख्य रूप से उच्चतर व्यापार घाटे की स्थिति को दर्शाती है।

  • मुख्य रूप से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश संबंधी अंतर्वाहों एवं ऋण में उछाल आने के कारण वित्तीय लेखा संबंधी अधिशेष में सुधार हुआ।

  • वित्तीय लेखा अधिशेष में सुधार होने के बावजूद अप्रैल-सितंबर 2011 में रिज़र्व में वृद्धि कम रही जो मुख्यतः अप्रैल-सितंबर 2010 के दौरान चालू खाते के घाटे में बढ़ोतरी होने के कारण थी।

1. जुलाई-सितंबर 2011-12 (ति2)के दौरान भुगतान संतुलन

2011-12 की दूसरी तिमाही के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदों के ब्योरे सारणी 1 में दिये गये हैं।

सारणी 1: भारत  के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें

(बिलियन अमरीकी डॉलर)

 

जुलाई-सितंबर  2011 (प्रा.)

जुलाई-सितंबर  2010 (आं.सं.)

अप्रैल-सितंबर 2011 (प्रा.)

अप्रैल-सितंबर 2010 (आं.सं.)

 

निर्यात

आयात

निवल

निर्यात

आयात

निवल

निर्यात

आयात

निवल

निर्यात

आयात

निवल

क. चालू खाता (1+2+3+4)

130.4

147.3

-16.9

98.6

115.5

-16.9

256.1

288.9

-32.7

196.8

226.3

-29.5

1. वस्तुएं

76.6

120.5

-43.9

52.0

89.0

-37.0

151.0

236.7

-85.6

107.2

176.2

-69.0

2.सेवाएं

34.0

18.5

15.5

31.1

19.2

11.9

67.3

36.4

30.9

57.5

35.9

21.6

3. प्राथमिक आय

3.0

7.7

-4.7

2.0

6.8

-4.8

5.5

14.5

-9.0

4.8

13.1

-8.2

4. द्वितीयक आय

16.8

0.6

16.2

13.5

0.5

13.0

32.3

1.3

31.0

27.2

1.1

26.1

ख. पूँजी खाता

0.4

0.2

0.2

0.1

0.1

-

0.5

0.5

-

0.2

0.3

-0.1

ग.  वित्तीय खाता

115.6

97.7

17.9

112.4

94.1

18.3

243.9

208.7

35.3

207.5

175.6

31.9

घ. भूल-चूक (क+ख-ग)

 

1.2

- 1.2

 

1.4

- 1.4

 

2.5

- 2.5

 

2.3

- 2.3

बीपीएम6 में सुझाव दिये गये अनुसार रिज़र्व आस्तियों में हुए पविर्तनों को वित्तीय लेखा के अंतर्गत शामिल किया गया है।
टिप्पणीः पूर्णांकन के कारण हो सकता है कि उप-मदों का जोड़ कुल से मेल न खाए।
प्रा : प्राथमिक      आं.सं. : आंशिक रूप से संशोधित

 

वस्तुओं का व्यापार

  • 2011-12 की दूसरी तिमाही में भुगतान संतुलन आधार पर भारत के वणिक निर्यात में 47.2 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि हुई जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में इसमें 20.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

  • वणिक आयातों में भुगतान संतुलन आधार पर 35.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि पिछले वर्ष इसमें 21.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

  • आयातों की तुलना में निर्यातों में उच्चतर वृद्धि होने के बावजूद 2011-12 की दूसरी तिमाही में राशि के रूप में व्यापार घाटा उच्चतर अर्थात् 43.9 बिलियन अमरीकी डॉलर का रहा जबकि 2010-11 दूसरी तिमाही में व्यापार घाटा 37.0 बिलियन अमरीकी डॉलर का था।

सेवाएं तथा आय संबंधी प्रवाह

2010-11 की दूसरी तिमाही में 2010-11 की इसी तिमाही की तुलना में सेवा संबंधी प्राप्तियों में गिरावट आयी जबकि संबंधित तिमाही की तुलना में सेवा संबंधी भुगतानों में लगभग 3.9 प्रतिशत की गिरावट आयी। तथापि सेवा संबंधी प्राप्तियां तथा भुगतान पिछली तिमाही की तुलना में अधिक थे। प्राथमिक आय के संबंध में निवल बहिर्वाह होने के कारण निवल द्वितीयक आय में हुई वृद्धि में 2011-12 की दूसरी तिमाही में मामूली गिरावट आई (सारणी 2)।

सारणी 2: चालू खाते के मदों के विस्तृत ब्यौरे

(बिलियन अमरीकी डॉलर)

 

अप्रैल-जून  2011 (आं.सं.)

अप्रैल-जून  2010 (आं.सं.)

जुलाई-सितंबर  2011 (प्रा.)

जुलाई-सितंबर  2010 (आं.सं.)

1. वस्तुएं

-41.7

-32.0

-43.9

-37.0

2. सेवाएं

15.4

9.7

15.5

11.9

2.क. परिवहन

0.3

0.0

0.7

-0.3

2.ख. यात्रा

0.6

0.6

1.1

0.6

2.ग. निर्माण

0.05

-0.2

-0.2

0

2.घ. बीमा एवं पेंशन सेवाएं

0.3

0.1

0.2

0.1

2. ङ. वित्तीय सेवाएं

-0.5

-0.2

-0.7

-0.1

2.च. बौद्धिक संपदा के उपयोग हेतु प्रभार

-0.6

-0.5

-0.6

-0.5

2.छ. दूरसंचार, कम्प्यूटर एवं सूचना सेवाएं

15.1

11.9

15.0

12.1

2.ज. निजी, सांस्कृतिक एवं मनोरंजन संबंधी सेवाएं

0

0

0

0

2.झ. सरकारी वस्तुएं तथा सेवाएं

-0.1

-0.0

0

-0.1

2. ञ. अन्य कारोबारी सेवाएं

-1.0

-1.0

-1.0

-1.0

2.च. अन्य, अन्यत्र अपरिगणित

1.2

-0.9

1.0

1.1

3.  प्राथमिक आय

-4.4

-3.5

-4.7

-4.8

3.क. कर्मचारियों को क्षतिपूर्ति

0.2

-0.3

0.2

-0.2

3.ख. निवेश आय

-4.5

-3.2

-4.9

-4.6

4. द्वितीयक आय

14.8

13.1

16.2

13.0

4.क. निजी अंतरण

14.3

12.7

15.7

12.6

4.ख. अन्य अंतरण

0.5

0.4

0.5

0.4

5. चालू खाता (1+2+3+4)

-15.8

-12.6

-16.9

-16.9

टिप्पणीः पूर्णांकन के कारण हो सकता है कि उप-मदों का जोड़ कुल से मेल न खाए।
प्राःप्राथमिक      आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित

  • 2011-12 की दूसरी तिमाही में 9.3 प्रतिशत के सेवा निर्यात में वृद्धि मुख्य रूप से सॉफ्टवेयर, यात्रा और परिवहन के कारण थी लेकिन जो 2010-11 की दूसरी तिमाही के 45.9 प्रतिशत की तुलना में काफी अधिक कम थी। 

  • 2011-12 की दूसरी तिमाही में 4.7 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवल बर्हिवाह मुख्य आय  के कारण था जो 2010-11 की दूसरी तिमाही के लगभग समान था। निवेश आय के कारण प्राप्तियों में 34.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि तदनुरूपी तिमाही में इसमें 62.0 प्रतिशत की गिरावट आई थी, निवेश आय भुगतान में मुख्य रूप से उच्च ब्याज भुगतानों के कारण 14.0 प्रतिशत (2010-11की दूसरी तिमाही में 15.4 प्रतिशत) की वृद्धि हुई।

  • गौण आय (निवल आधार पर), जो मुख्य रूप से विदेशी भारतीयों के प्रेषणों को दर्शाती है,   अधिक अर्थात 16.2 बिलियन अमरीकी डॉलर पर अधिक बनी रही और इसमें 2010-11 की दूसरी तिमाही के 5.7 प्रतिशत की गिरावट की तुलना में दूसरी तिमाही के दौरान 24.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 

  • परिणाम स्वरूप, चालू खाता घाटा 2011-12 की दूसरी तिमाही में  बढ़कर 16.9 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जबकि पिछली तिमाही में यह 15.8 बिलियन अमरीकी डॉलर तथा 2010-11 की दूसरी तिमाही में 16.9 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

पूंजी खाता

  • पूंजी खाता, जिसमें मुख्य रूप से आधिकारिक अंतरण शामिल है, में निवल आधार पर 244 मिलियन अमरीकी डॉलर का अंतर्वाह दिखा जबकि 2010-11 की तदनुरूपी तिमाही में यह नगण्य था।

वित्तीय खाता

2011-12 की दूसरी तिमाही के दौरान वित्तीय खाते के अंतर्गत निवल अंतर्वाह मुख्य रूप से एफआईआई बर्हिवाह के कारण थे (सारणी 3)।  कम इक्विटी अंतर्वाहों के कारण ऋण प्रवाहों की तरफ स्पष्ट अंतरण हुआ जिसने 2011-12 की दूसरी तिमाही के दौरान चालू खाते घाटे के बड़े भाग का वित्तपोषण किया।

सारणी 3 : वित्तीय खाते की अलग-अलग मदें

(बिलियन अमरीकी डॉलर)

 

अप्रैल-जून 2011 (आंसं.)

अप्रैल-जून 2010 (आंसं.)

जुलाई-सितंबर 2011 (प्रा.)

जुलाई-सितंबर 2010 (आंसं)

1 प्रत्यक्ष निवेश (निवल)

7.9

3.5

4.4

3.6

1.क.  भारत में प्रत्यक्ष निवेश 

13.3

6.7

7.3

7.5

1.ख.  भारत द्वारा प्रत्यक्ष निवेश 

-5.4

-3.3

-2.9

-3.9

1. पोर्टफोलियो निवेश

2.3

3.5

-1.4

18.7

2.क.  भारत में प्रत्यक्ष निवेश 

2.5

3.5

-1.6

18.8

2.ख.  भारत द्वारा प्रत्यक्ष निवेश 

-0.2

0

0.2

-0.1

2. अन्य निवेश

12.6

10.4

15.2

-0.7

3.क.  अन्य इक्विटी (एडीआर/जीडीआर)

0.3

1.1

0.2

0.5

3.ख.  मुद्रा और जमाराशियां

1.2

1.1

2.8

0.4

केंद्रीय बैंक को छोड़कर जमाराशियां  लेने वाले निगम : (अनिवासी भारतीय जमाराशियां)

1.2

1.1

2.8

1.0

3.ग ऋण *

15.5

7.6

11.3

0.4

3.ग.i भारत को ऋण

15.5

7.7

10.6

0.7

केंद्रीय बैंक को छोड़कर जमाराशियां  लेने वाले निगम

11.5

2.9

3.9

-3.6

सामान्य सरकार (बाह्य सहायता)

0.4

2.5

0.3

0.6

अन्य क्षेत्र (ईसीबी)

3.6

2.3

6.4

3.7

3.ग.ii. भारत द्वारा ऋण

- 0.01

-0.01

0.6

-0.3

सामान्य सरकार (बाह्य सहायता)

0

0

0

0

अन्य क्षेत्र (ईसीबी)

0.02

-0.01

0.6

-0.3

3.घ. व्यापार ऋण और अग्रिम

3.1

4.3

2.9

2.6

3.ङ. अन्य खातों पर प्राप्य /देय - अन्य

-7.4

-3.7

-1.9

-4.6

4. आरक्षित आस्तियां

-5.4

-3.7

-0.3

-3.2

वित्तीय खाता (1+2+3+4)

17.4

13.6

17.9

18.3

टिप्पणी : उप घटकों का कुल हो सकता है पूर्णांकण के कारण योग से मेल न खाये। 
प्रा. : प्रारंभिक ;  आं.सा :  आंशिक रूप से संशोधित
* : बाह्य सहायता, ईसीबी, गैर अनिवासी भारतीय बैंकिंग पूंजी और अल्पकालिक व्यापार ऋण शामिल है।

  • 2011-12 की दूसरी तिमाही के दौरान निवल वित्तीय अंतर्वाह 17.9 बिलियन अमरीकी डॉलर पर कम रहे (पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान 18.3 बिलियन अमरीकी डॉलर)। ऐसा मुख्य रूप से 2010-11 की दूसरी तिमाही के 18.7 बिलियन अमरीकी डॉलर के अंतर्वाहों के विपरीत  2011-12 की दूसरी तिमाही के 1.4 बिलियन अमरीकी डॉलर के निवल पोर्टफोलियो बहिर्वाह के कारण था।

  • 2011-12 की दूसरी तिमाही के दौरान भारत की ओर निवल एफडीआई अंतर्वाह (बहिर्वाह एफडीआई को आवक एफडीआई से घटाया) बढ़कर 4.4 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गए।  

  • 2010-11 की दूसरी तिमाही के 3.6 बिलियन अमरीकी डॉलर के बहिर्वाह की तुलना में बैंकों द्वारा लिए गए निवल ऋण 2011-12 की दूसरी तिमाही में 3.9 बिलियन अमरीकी डॉलर रहे जो मुख्य रूप से विदेशी उधारों में वृद्धि के कारण थे। 

  • गैर सरकारी और गैर बैंकिंग सेक्टर द्वारा (निवल ईसीबी) लिया गया निवल ऋण 2010-11 की दूसरी तिमाही के 3.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में अधिक अर्थात 6.4 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

  • अल्पकालिक व्यापार ऋण के अंतर्गत निवल अंतर्वाह 2011-12 की दूसरी तिमाही में मामूली रूप से बढ़कर 2.9 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गये जबकि 2010-11 की दूसरी तिमाही में ये 2.6 बिलियन अमरीकी डॉलर थे।

  • 2011-12 की दूसरी तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में (बीओपी आधार पर) 0.3 बिलियन अमरीकी डॉलर की निवल वृद्धि हुई। तिमाही के दौरान  बकाया विदेशी मुद्रा भंडार (मूल्यन परिवर्तन सहित) 4.2 बिलियन अमरीकी डॉलर घटा, जो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं की तुलना में अमरीकी डॉलर की मूल्य वृद्धि को दर्शाता है।

2.   2011-12  के अप्रैल-सितंबर (दूसरी छमाही) में भुगतान संतुलन

वस्तुओं का व्यापार

  • अप्रैल-सितंबर 2011 के दौरान 40.8 प्रतिशत की निर्यात वृद्धि 34.3 प्रतिशत के आयात की तुलना में अधिक थी। डीजीसीआईएण्डएस द्वारा अब तक जारी पण्य-वार निर्यात के आंकड़ों से पता चलता है कि निर्यात मुख्य रूप से अभियांत्रिकी वस्तुओं और पेट्रोलियम उत्पाद जैसी मदों में अधिकता के कारण  प्रेरित लगता है। फिर भी, व्यापार घाटा (बीओपी आधार पर) अप्रैल-सितंबर 2010 के 69.0 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल-सितंबर 2011 के दौरान 85.6 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। ऐसा मुख्य रूप से 2011-12 की पहली छमाही के दौरान आयातित वस्तुओं अर्थात तेल और स्वर्ण तथा चांदी  के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में काफी अधिक वृद्धि के कारण था। 

  • कच्चे तेल के भारतीय बास्केट के मूल्य 2010-11 की पहली छमाही की तुलना में 2011-12 की पहली छमाही के दौरान 45.4 प्रतिशत बढ़े जबकि इसी अवधि के दौरान सोने के मूल्य 32.3 प्रतिशत बढ़े।

  • अप्रैल-सितंबर 2010 के  31.8 प्रतिशत की तुलना में सेवा निर्यात में वृद्धि अप्रैल-सितंबर 2011 के दौरान कम हो कर 17.0 प्रतिशत हो गई, जबकि सेवाओं के आयात में वृद्धि 47.2 प्रतिशत के विपरीत काफी अधिक कम अर्थात 1.2 प्रतिशत हो गई (सारणी 2)।

  • 2011-12 के दौरान कंप्यूटर सेवाओं से प्राप्तियां 30.8 बिलियन अमरीकी डॉलर थी जबकि अप्रैल-सितंबर 2010 के दौरान ये 24.8 बिलियन अमरीकी डॉलर थीं।

  • निवल आधार पर, अप्रैल -सितंबर 2011 में सेवाओं का अधिशेष एक वर्ष पहले की  तदनुरूपी अवधि के दौरान के 21.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में बढ़कर 30.9 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।

प्राथमिक आय

  • प्राथमिक  आय में मुख्य रूप से कर्मचारियों को दिया जाने वाला मुआवजा और निवेश आय आती है। निवेश आय प्राप्तियां  2011-12 की पहली छमाही के दौरान 3.8 प्रतिशत घटकर 4.2 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गईं। 2011-12 की पहली छमाही के दौरान निवेश आय भुगतान 13.6 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (एक वर्ष पहले यह 12.2 बिलियन था)।

गौण आय

  • गौण आय प्राप्तियां, जिनमें प्रमुख रूप से निजी अंतरण होते हैं,  2011-12 की पहली छमाही के दौरान बढ़कर 32.3 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गयीं (एक वर्ष पहले 27.2 बिलियन अमरीकी डॉलर)।

चालू खाता शेष

  • 2011-12 की पहली छमाही के दौरान चालू खाते के घाटे का  पूर्ण आकर बढ़कर 32.4 बिलियन अमरीकी डॉलर  हो गया, जिससे व्यापार घाटे में वृद्धि हुई और सेवाओं के निर्यात की वृद्धि में भी कमी आई। तथापि, जीडीपी के प्रतिशत के रूप में, चालू खाते घाटे  का अनुपात पिछले वर्ष की  पहली छमाही के 3.7 प्रतिशत से मामूली रूप से कम होकर 3.6 प्रतिशत हो गया।

  • वित्तीय खाते के अंतर्गत सकल अंतर्वाह और बहिर्वाह दोनों ही पिछले वर्ष की तदनुरूपी अवधि की तुलना में 2011-12 की पहली छमाही में उच्च रहे।

  • निवल संदर्भ में, वित्तीय अंतर्वाह 2010-11 की पहली छमाही के 31.9 बिलियन की तुलना में 2011-12 की पहली छमाही में मामूली रूप से बढ़कर 35.3 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गए।

  • 2011-12 की पहली छमाही के दौरान 9.3 बिलियन अमरीकी डॉलर (निवल) के अन्य पूंजीगत बहिर्वाहों में मुख्य रूप से अन्य प्राप्य राशियां/ देय राशियां  शामिल हैं जिनमें निर्यात में कमी - बेशी, विदेश में धारित निवल निधियां, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के अंतर्गत शेयरों के निर्गमों के विचाराधीन  प्राप्त अग्रिम और विविध पूंजी सम्मिलित  है। पिछले वर्ष की तदनुरूपी अवधि में यह राशि 8.4 बिलियन अमरीकी डॉलर थी।

  • 2011-12 की पहली छमाही के दौरान आरक्षित निधियों में निवल वृद्धि (बीओपी आधार पर) पिछले वर्ष की पहली छमाही की तुलना में काफी कम थी जिसका प्रमुख कारण चालू खाते के घाटे का बढ़ना था।

3. सितंबर 2011 को समाप्त तिमाही का बाह्य ऋण

विद्यमान प्रथा के अनुसार, मार्च और जून को समाप्त होने वाली तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा संकलित और जारी किया जाता है, जबकि सितंबर और दिसंबर को समाप्त होने वाली  तिमाहियों के बाह्य ऋण को वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संकलित और जारी किया जाता है। तदनुसार, सितंबर 2011 को समाप्त होने वाली तिमाही से संबंधित आंकड़ों को  वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी किया जा रहा है। इससे संबंधित जानकारी वेबसाइट: http://finmin.nic.in  पर भी प्राप्त की जा सकती है।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1038

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