30 मार्च 2012 2011-12 की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर 2011) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां वित्तीय वर्ष 2011-12 की तीसरी तिमाही अर्थात् अक्तूबर-दिसंबर के भारत के भुगतान संतुलन संबंधी प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हो गए हैं। ये आंकड़े अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की भुगतान संतुलन नियम पुस्तिका के छठे संस्करण में सिफारिश किए गए प्रारूप में विवरण I के रूप में दिए गए हैं। ये आंकड़े पुराने प्रारूप में भी विवरण II के रूप में दिए गए हैं। 2011-12 की तीसरी तिमाही अर्थात् अक्तूबर-दिसंबर के दौरान भुगतान संतुलन की मुख्य-मुख्य बातें
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2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान व्यापार घाटे के बढ़ने एवं वित्तीय आवश्यकताओं की तुलना में पूंजी के अंतर्वाह में काफी कमी आने के चलते भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति काफी दबाव में रही जिसके कारण विदेशी मुद्रा भंडार से भारी मात्रा में राशि आहरित करनी पड़ी।
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2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान बीओपी आधार पर वणिक निर्यातों में 7.9 प्रतिशत की कम दर पर वृद्धि हुई जबकि 2010-11 की इसी तिमाही में 39.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
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2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान आयातों में 22.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 24.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
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2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान आयातों की तुलना में निर्यातों की वृद्धि दर में कमी आने के चलते व्यापार घाटा बढ़कर 47.7 बिलियन अमरीकी डॉलर का हो गया जबकि 2010-11 की तीसरी तिमाही में यह 31.4 बिलियन अमरीकी डॉलर का था।
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2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान प्रमुख रूप से कंम्प्यूटर सेवाओं के निर्यात में वृद्धि के चलते निवल सेवाओं के निर्यातों में 20.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि 2010-11 की तीसरी तिमाही में 47.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
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2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान निवल द्वितीयक आय (निजी अंतरण) प्राप्तियां 30.6 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) बढ़कर 17.5 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गईं जबकि 2010-11 की तीसरी तिमाही में यह राशि 13.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की थी।
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2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान प्राथमिक आय लेखा (मुख्यतः निवेश आय) में 4.5 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवल बहिर्वाह हुआ जोकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के लगभग बराबर है।
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इसके परिणामस्वरूप, 2011-12 की तीसरी तिमाही में चालू खाते का घाटा बढ़कर 19.6 बिलियन अमरीकी डॉलर (2010-11 की तीसरी तिमाही में 10.1 बिलियन अमरीकी डॉलर) का हो गया जो जीडीपी का 4.3 प्रतिशत बैठता है (2010-11 की तीसरी तिमाही में जीडीपी का 2.3 प्रतिशत)।
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2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान निवल आधार पर पूंजी तथा वित्तीय लेखा (विदेशी मुद्रा भंडार में हुए परिवर्तन को छोड़कर) में 8.2 बिलियन अमरीकी डॉलर का काफी कम अंतर्वाह हुआ जबकि 2010-11 की तीसरी तिमाही में यह राशि 14.0 बिलियन अमरीकी डॉलर की थी।
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इसके परिणामस्वरूप, 2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार से 12.8 बिलियन अमरीकी डॉलर की राशि आहरित की गई जबकि 2010-11 की इसी तिमाही में इसमें 4.0 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई थी।
2011-12 की अप्रैल-दिसंबर की अवधि के दौरान भुगतान संतुलन की मुख्य-मुख्य बातें
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अप्रैल-दिसंबर 2010 के 39.6 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 3.3 प्रतिशत) की तुलना में अप्रैल-दिसंबर 2011 के दौरान चालू खाते का घाटा बढ़कर 53.7 बिलियन अमरीकी डॉलर का हो गया जो मुख्यतः पीओएल एवं सोने और चांदी के आयातों के कारण हुए व्यापार घाटे को दर्शाता है।
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अप्रैल-दिसंबर 2011 के दौरान पूंजी तथा वित्तीय लेखा में (रिज़र्व आस्तियों में हुए परिवर्तनों को छोड़कर) निवल अंतर्वाह की राशि 47.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की रही जोकि अप्रैल-दिसंबर 2010 के 52.9 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में कम है।
-
अप्रैल-दिसंबर 2011 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार से 7.1 बिलियन अमरीकी डॉलर की राशि आहरित की गई जबकि अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान इसमें 11.0 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई थी।
1. 2011-12 की अक्तूबर-दिसंबर (तीसरी तिमाही) अवधि का भुगतान संतुलन 2011-12 की तीसरी तिमाही के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें सारणी 1 में दी गई हैं।
सारणी 1 : भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें |
(बिलियन अमरीकी डॉलर) |
|
अक्तू.-दिसं. 2011(प्रा.) |
अक्तू.-दिसं. 2010 (आं.सं.) |
अप्रै.-दिसं. 2011(प्रा.) |
अप्रै.-दिसं. 2010 (आं.सं.) |
1. वस्तुओं का निर्यात |
71.2 |
66.0 |
222.0 |
173.2 |
2. वस्तुओं का आयात |
118.8 |
97.4 |
354.3 |
273.6 |
3. व्यापार शेष (1-2) |
-47.7 |
-31.4 |
-132.3 |
-100.4 |
4. सेवाओं का निर्यात |
36.7 |
38.8 |
102.0 |
96.4 |
5. सेवाओं का आयात |
21.7 |
26.3 |
58.0 |
62.3 |
6.निवल सेवाएं (4-5) |
15.0 |
12.5 |
44.1 |
34.1 |
7. वस्तुओं और सेवाओं का शेष (3+6) |
-32.7 |
-18.9 |
-88.2 |
-66.3 |
8. प्राथमिक आय, निवल (कर्मचारियों को क्षतिपूर्ति और निवेश आय) |
-4.5 |
-4.6 |
-13.5 |
-12.8 |
9. द्वितीयक आय, निवल ( निजी अंतरण ) |
17.5 |
13.4 |
48.0 |
39.5 |
10. निवल आय (8+9) |
13.0 |
8.8 |
34.5 |
26.7 |
11. चालू खाता शेष (7+10) |
-19.6 |
-10.1 |
-53.7 |
-39.6 |
12. पूंजी और वित्तीय लेखा शेष, निवल (वि.मु. भंडार में हुए परिवर्तन को छोड़कर ) |
8.2 |
14.0 |
47.5 |
52.9 |
13.भंडारों में परिवर्तन (-)वृद्धि /(+)कमी |
12.8 |
-4.0 |
7.1 |
-11.0 |
14. भूल-चूक (11+12-13) |
-1.4 |
0.1 |
-0.9 |
-2.2 |
प्रा : प्रारंभिक, आं.सं. : आंशिक रूप से संशोधित |
वस्तुओं का व्यापार
-
2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान भारत के वणिक निर्यात में बीओपी आधार पर 7.9 प्रतिशत की कम दर पर वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि हुई जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 39.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान वणिक आयातों की वृद्धि दर 24.7 प्रतिशत से घटकर 22.0 प्रतिशत हो गई जो `तेल से इतर एवं सोने से इतर वस्तुओं' के आयातों में आई काफी गिरावट को दर्शाती है।
-
2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान व्यापार घाटा 2010-11 की तीसरी तिमाही के 31.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 51 प्रतिशत से भी अधिक बढ़कर 47.7 बिलियन अमरीकी डॉलर का हो गया जो निर्यातों की तुलना में आयातों में वृद्धि की दर अधिक रहने की वजह से था।
सारणी 2: चालू खाते की मदों के विस्तृत ब्यौरे |
(बिलियन अमरीकी डॉलर) |
|
अक्तू.-दिसं. 2011 (प्रा.) |
अक्तू.-दिसं. 2010 (आं.सं.) |
अप्रै.-दिसं. 2011 (प्रा.)
|
अप्रै.-दिसं. 2010 (आं.सं.) |
1. वस्तुएं |
-47.7 |
-31.4 |
-132.3 |
-100.4 |
2. सेवाएं |
15.0 |
12.5 |
44.1 |
34.1 |
2.क. परिवहन |
0.1 |
-0.3 |
1.2 |
-0.5 |
2.ख. यात्रा |
1.5 |
1.6 |
2.5 |
2.8 |
2.ग. निर्माण |
0.0 |
-0.1 |
-0.1 |
-0.3 |
2.घ. बीमा एवं पेंशन सेवाएं |
0.4 |
0.1 |
0.8 |
0.3 |
2. ङ. वित्तीय सेवाएं |
-0.5 |
-0.3 |
-1.5 |
-0.5 |
2.च. बौद्धिक संपदा के उपयोग हेतु प्रभार |
-0.8 |
-0.7 |
-2.0 |
-1.7 |
2.छ. दूरसंचार, कम्प्यूटर एवं सूचना सेवाएं |
15.8 |
14.4 |
44.0 |
38.3 |
2.ज. निजी, सांस्कृतिक एवं मनोरंज न संबंधी सेवाएं |
0.0 |
-0.2 |
0.1 |
-0.2 |
2.झ. सरकारी वस्तुएं तथा सेवाएं |
0.0 |
0.0 |
-0.1 |
-0.2 |
2. ञ. अन्य कारोबारी सेवाएं |
-1.0 |
-1.0 |
-2.9 |
-3.0 |
2.च. अन्य, अन्यत्र अपरिगणित |
-0.6 |
-1.0 |
2.2 |
-0.8 |
3. प्राथमिक आय |
-4.5 |
-4.6 |
-13.5 |
-12.8 |
3.क. कर्मचारियों को क्षतिपूर्ति |
0.0 |
-0.3 |
0.5 |
-0.7 |
3.ख. निवेश आय |
-4.5 |
-4.3 |
-13.9 |
-12.1 |
4. द्वितीयक आय |
17.5 |
13.4 |
48.0 |
39.5 |
4. क. निजी अंतरण |
16.9 |
13.0 |
46.3 |
38.4 |
4. ख. अन्य अंतरण |
0.6 |
0.4 |
1.6 |
1.2 |
5. चालू खाता (1+2+3+4) |
-19.6 |
-10.1 |
-53.7 |
-39.6 |
टिप्पणीः पूर्णांकन के कारण हो सकता है कि उप-मदों का जोड़ कुल से मेल न खाए। प्राः प्रारंभिक; आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित |
सेवाएं और आय प्रवाह
2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान सेवाओं से प्राप्तियां 5.4 प्रतिशत घटकर 36.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गईं जो 2010-11 की तीसरी तिमाही में 38.8 बिलियन अमरीकी डॉलर थीं। सेवाओं संबंधी भुगतान भी 17.5 प्रतिशत घटकर 21.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गये जबकि पिछले वर्ष की तदनुरूप तिमाही में ये 26.3 बिलियन अमरीकी डॉलर थे।
-
2011-12 की तीसरी तिमाही में निवल सेवा निर्यात अधिक अर्थात 15.0 बिलियन अमरीकी डॉलर थे जबकि पिछले वर्ष की तदनुरूप तिमाही में ये 12.5 बिलियन अमरीकी डॉलर थे। ये मुख्य रूप से निवल सॉफ्टवेयर निर्यात में सुधार को दर्शाते हैं।
-
2011-12 की तीसरी तिमाही में प्राथमिक आय के कारण 4.5 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवल बहिर्वाह मोटे तौर पर 2010-11 की तीसरी तिमाही के बराबर था। लेकिन, इस अवधि के दौरान (2010-11 की तीसरी तिमाही में 33.4 प्रतिशत) निवेश आय के कारण भुगतानों में 1.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि निवेश आय संबंधी प्राप्तियों में मुख्य रूप से कम कर प्राप्तियों के कारण 6.2 प्रतिशत (2010-11 की तीसरी तिमाही में 24.1 प्रतिशत की गिरावट) की कमी आई।
-
गौण आय (निवल आधार पर) जो मुख्य रूप से विदेशी भारतीयों के प्रेषणों को दर्शाती है, अधिक अर्थात 17.5 बिलियन अमरीकी डॉलर रही और इसमें तीसरी तिमाही में 30.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई जबकि 2010-11 की तीसरी तिमाही में इसमें 7.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
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व्यापक व्यापार घाटे को दर्शाते हुए, तीसरी तिमाही में चालू खाता घाटा बढ़कर 19.6 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जबकि 2011-12 की दूसरी तिमाही में यह 18.4 बिलियन अमरीकी डॉलर और 2010-11 की तीसरी तिमाही में 10.1 बिलियन अमरीकी डॉलर था। इस स्तर पर, 2011-12 की तीसरी तिमाही में चालू खाता घाटा जीडीपी का 4.3 प्रतिशत था जबकि 2010-11 की तीसरी तिमाही में यह 2.3 प्रतिशत था।
पूंजी और वित्तीय खाता
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2011-12 की तीसरी तिमाही में निवल वित्तीय अंतर्वाह (आरक्षित आस्तियों को छोड़कर) घटकर 8.2 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (पिछले वर्ष की तीसरी तिमाही में यह 14.0 बिलियन अमरीकी डॉलर था)। ऐसा मुख्य रूप से 2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान निवल पोर्टफोलियो अंतर्वाहों में गिरावट के कारण हुआ (सारणी 3)।
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2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान भारत के प्रति निवल एफडीआई अंतर्वाह (आवक एफडीआई से घटाया जावक एफडीआई) बढ़कर 4.5 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गये जबकि 2010-11 की तीसरी तिमाही में ये 1.2 बिलियन अमरीकी डॉलर थे।
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2011-12 की तीसरी तिमाही में भारत का दिये गये निवल कर्ज़ के अंतर्गत 5.9 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवल बहिर्वाह हुआ जबकि 2010-11 की तीसरी तिमाही में 9.7 बिलियन अमरीकी डॉलर का अंतर्वाह रहा, ऐसा मुख्य रूप से विदेशी उधारों की निवल चुकौती और जमाराशियां लेने वाले निगमों (गैर एनआरआई बैंकिंग पूंजी) के द्वारा उनकी विदेशी मुद्रा आस्तियों में वृद्धि के कारण हुआ।
सारणी 3: वित्तीय खाते की अलग-अलग मदें |
(बिलियन अमरीकी डॉलर) |
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अक्तू.-दिसं. 2011 (प्रा.) |
अक्तू.-दिसं. 2010 (आं.सं.) |
अप्रैल-दिसं. 2011 (प्रा.) |
अप्रैल-दिसं. 2010 (आं.सं) |
1. प्रत्यक्ष निवेश (निवल) |
4.5 |
1.2 |
16.2 |
8.2 |
1. क भारत में प्रत्यक्ष निवेश |
6.4 |
6.1 |
26.7 |
20.4 |
1. ख भारत द्वारा प्रत्यक्ष निवेश |
-1.9 |
-4.9 |
-10.5 |
-12.1 |
2. फोर्टफोलियो निवेश |
1.8 |
6.1 |
2.7 |
28.3 |
2. क भारत में पोर्टफोलियो निवेश |
1.9 |
7.2 |
2.7 |
29.5 |
2. ख भारत द्वारा पोर्टफोलियो निवेश |
0.1 |
-1.1 |
-0.1 |
-1.2 |
3. अन्य निवेश |
1.8 |
6.6 |
28.5 |
16.3 |
3. क अन्य ईक्विटी (एडीआर/जीडीआर) |
0.1 |
0.2 |
0.6 |
1.8 |
3. ख मुद्रा और जमाराशियां |
3.2 |
0.3 |
7.1 |
1.8 |
जमाराशियां लेने वाले निगम, केन्द्रीय बैंक को छोड़कर (एनआरआई जमाराशियां) |
3.3 |
0.2 |
7.3 |
2.3 |
3. ग कर्ज़* |
-5.9 |
9.7 |
18.8 |
17.7 |
3. ग i भारत को कर्ज़ |
-6.4 |
9.3 |
17.7 |
17.7 |
जमाराशियां लेने वाले निगम, केन्द्रीय बैंक को छोड़कर |
-8.7 |
4.6 |
6.7 |
3.9 |
सामान्य सरकार (बाह्य सहायता) |
1.4 |
1.2 |
2.1 |
4.2 |
अन्य क्षेत्र (ईसीबी) |
0.9 |
3.5 |
8.8 |
9.5 |
3.ग ii भारत द्वारा कर्ज़ |
0.5 |
0.3 |
1.2 |
0.0 |
सामान्य सरकार (बाह्य सहायता) |
0.0 |
0.0 |
0.0 |
0.0 |
अन्य क्षेत्र (ईसीबी) |
0.5 |
0.3 |
1.2 |
0.0 |
3.घ व्यापार ऋण और अग्रिम |
-0.1 |
1.3 |
5.8 |
8.3 |
3. ङ अन्य खाते प्राप्य / देय - अन्य |
4.5 |
-4.9 |
-3.8 |
-13.3 |
4. आरक्षित आस्तियां |
12.8 |
-4.0 |
7.1 |
-11.0 |
वित्तीय खाता (1+2+3+4) |
20.9 |
9.9 |
54.5 |
41.8 |
टिप्पणीः उप घटकों का कुल पूर्णांकन के कारण हो सकता है कुल से मेल न खाये। |
प्रा.: प्रारंभिक ; आ.सं.: आंशिक रूप से संशोशित |
* : बाह्य सहायता, ईसीबी, गैर एनआरआई बैंकिंग पूंजी और अल्पकालिक व्यापार ऋण को शामिल किया गया है। |
अल्पकालिक व्यापार ऋण के अंतर्गत निवल अंतर्वाह 2011-12 की तीसरी तिमाही में ऋणात्मक होकर 0.1 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गये जबकि 2010-11 की तीसरी तिमाही में 1.3 बिलियन अमरीकी डॉलर के अंतर्वाह रहे थे।
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2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा आरक्षित निधियों का निवल आहरण 12.8 बिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा तक किया गया जबकि 2011-12 की तीसरी तिमाही में 4.0 बिलियन अमरीकी डॉलर की आरक्षित निधियों में वृद्धि हुई। सांकेतिक अर्थ में, (अर्थात मूल्यन परिवर्तनों सहित), विदेशी मुद्रा आरक्षित निधियां तिमाही के दौरान 14.8 बिलियन अमरीकी डॉलर घट गईं जिससे अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं की तुलना में अमरीकी डॉलर के मूल्य में वृद्धि का पता चलता है।
2. 2011-12 के अप्रैल-दिसंबर में भुगतान संतुलन माल व्यापार
अप्रैल-दिसंबर 2011-12 के दौरान 222.0 बिलियन अमरीकी डॉलर के निर्यात से 28.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई जबकि अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान यह 33.7 प्रतिशत थी। अप्रैल-दिसंबर 2011-12 के दौरान 354.3 बिलियन अमरीकी डॉलर के आयात से इसमें 29.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान यह 26.4 प्रतिशत थी इससे पीओएल और सोना तथा चांदी के उच्चतर आयात का पता चलता है।
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इसके पश्चात, अप्रैल-दिसंबर 2011 के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 132.3 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान 100.4 बिलियन अमरीकी डॉलर)।
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अप्रैल-दिसंबर 2011-12 के दौरान कच्चे तेल के भारतीय बास्केट का अंतरराष्ट्रीय मूल्य 38.6 प्रतिशत बढ़कर प्रति बैरल 110.7 अमरीकी डॉलर हो गया जबकि 2010-11 की तदनुरूप अवधि के दौरान यह प्रति बैरल 79.4 अमरीकी डॉलर था।
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अप्रैल-दिसंबर 2011 के दौरान सेवाओं का निर्यात मामूली रूप से कम होकर 5.9 प्रतिशत हो गया जबकि अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान यह 41.6 प्रतिशत था। सेवाओं के निर्यात में 6.9 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान इसमें 54.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी (सारणी 2)।
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अप्रैल-दिसंबर 2011 के दौरान कंप्यूटर सेवाओं की प्राप्तियां 13.9 प्रतिशत बढ़कर 45.0 बिलियन अमरीकी डॉलर जबकि अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान ये 39.5 बिलियन अमरीकी डॉलर थी।
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निवल आधार पर, सेवा संबंधी प्राप्तियां पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि के 34.1 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल-दिसंबर 2011 के दौरान में 44.1 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गई।
प्राथमिक आय
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प्राथमिक आय में मुख्य रूप से कर्मचारियों को प्रतिपूर्ति और निवेश आय शामिल है। अप्रैल-दिसंबर 2011 के दौरान निवेश आय प्राप्तियां 3.0 प्रतिशत कम होकर 6.0 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गईं जबकि एक वर्ष पहले की इसी अवधि के दौरान की ये 6.2 बिलियन अमरीकी डॉलर थी। अप्रैल-दिसंबर 2011 के दौरान निवेश आय भुगतान बढ़कर 19.9 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गए जबकि एक वर्ष पहले ये 18.3 बिलियन अमरीकी डॉलर थे, जिससे 8.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई ।
गौण आय
गौण आय प्राप्तियां, जिसमें मुख्यत: निजी अंतरण शामिल होते हैं, अप्रैल-दिसंबर 2011 के दौरान 20.5 प्रतिशत वृद्धि के साथ 49.7 बिलियन अमरीकी डॉलर थी जबकि अप्रैल-दिसंबर 2010 के दौरान ये 41.3 बिलियन अमरीकी डॉलर थी।
चालू खाता शेष
पूंजी और वित्तीय खाता
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पूंजी और वित्तीय खाते के अंतर्गत निवल अंतर्वाह (विदेशी मुद्रा भंडार आस्तियों में परिवर्तन छोड़कर) अप्रैल-दिसंबर 2011 में 47.5 बिलियन अमरिकी डॉलर के साथ कम थे क्योंकि एक वर्ष पूर्व की इसी अवधि में यह 52.9 बिलियन अमरिकी डॉलर थे।
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2011-12 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान भंडार में 7.1 बिलियन अमरिकी डॉलर का निवल आहरण (बीओपी आधार पर) हुआ जिसका मुख्य कारण चालू खाते का घाटा बढ़ना था जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में इसमें 11.0 बिलियन अमरिकी डॉलर की वृद्धि हुई थी।
3. दिसंबर 2011 को समाप्त तिमाही का बाह्य ऋण मौजूदा प्रथा के अनुसार मार्च और जून को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा संकलित और जारी किया जाता है जबकि सितंबर और दिसंबर को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संकलित और जारी किया जाता है। तदनुसार, दिसंबर 2011 को समाप्त तिमाही के लिए बाह्य ऋण के आंकड़े वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी किए जा रहे हैं जो कि http://finmin.nic.in पर उपलब्ध हैं। अजीत प्रसाद सहायक महाप्रबंधक प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1564 |