भारतीय रिज़र्व बैंक ने यू.पी. सिविल सेक्रेटेरिएट प्राइमरी को-आपरेटिव बैंक लि., लखनऊ (उत्तर प्रदेश) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 35 (क) के अंतर्गत जारी निदेश की वैधता अवधि को बढ़ाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने यू.पी. सिविल सेक्रेटेरिएट प्राइमरी को-आपरेटिव बैंक लि., लखनऊ (उत्तर प्रदेश) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 35 (क) के अंतर्गत जारी निदेश की वैधता अवधि को बढ़ाया
26 मार्च 2020 भारतीय रिज़र्व बैंक ने यू.पी. सिविल सेक्रेटेरिएट प्राइमरी को-आपरेटिव बैंक लि., लखनऊ (उत्तर प्रदेश) पर भारतीय रिज़र्व बैंक (आर.बी.आई) ने यू. पी. सिविल सेक्रेटेरिएट प्राइमरी को-आपरेटिव बैंक लि., लखनऊ (उत्तर प्रदेश) को जारी निदेशों की वैधता अवधि को छः महीने बढ़ाकर 26 मार्च 2020 से 25 सितंबर 2020 तक कर दिया है जो समीक्षाधीन होगा। बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 (क) के अंतर्गत जारी 19 सितंबर 2018 के निदेश DCBS.CO.BSD-IV/D-1/12.28.029/2018-19 के तहत 25 सितंबर 2018 से निदेशाधीन है। उपर्युक्त निदेश को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उसकी वैधता अवधि को 25 मार्च 2020 तक बढ़ाया था, जिसे अब 19 मार्च 2020 के निदेश DoR.CO.AID/D-64/12.28.029/2019-20 के माध्यम से अगले छः महीने की अवधि अर्थात 26 मार्च 2020 से 25 सितंबर 2020 तक बढ़ाया गया है, जो कि समीक्षाधीन होगा। संदर्भाधीन निदेश की अन्य शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी। 19 मार्च 2020 के निदेश की प्रतिलिपि जनता के अवलोकनार्थ बैंक परिसर में प्रदर्शित की गई है। रिज़र्व बैंक द्वारा उक्त निदेश की वैधता अवधि का बढ़ाया जाने का तात्पर्य उक्त बैंक के वित्तीय स्थिति में सुधार या गिरावट से नहीं लगाया जाना चाहिए। रिज़र्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर निदेश में संशोधन करने पर विचार कर सकता है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/2125 |