बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35ए के अंतर्गत निदेश - दि भूज मर्केंटाईल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद (गुजरात) - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35ए के अंतर्गत निदेश - दि भूज मर्केंटाईल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद (गुजरात)
22 मई 2012 बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35ए भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35ए की उप धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए दि भूज मर्केंटाईल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद (गुजरात) को कतिपय निदेश जारी किए गए हैं, जिससे 2 अप्रैल 2012 को कारोबार की समाप्ति से, उपर्युक्त बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित रूप में पूर्व अनुमति लिए बिना, भारतीय रिज़र्व बैंक के 2 अप्रैल 2012 के निदेशों में अधिसूचित सीमा और रीति को छोड़कर, कोई भी ऋण और अग्रिम मंजूर नहीं करेगा या उसका नवीकरण नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, निधियाँ उधार लेने और नई जमाराशियाँ स्वीकार करने सहित अपने ऊपर कोई भी देयता नहीं लेगा, कोई भुगतान नहीं करेगा और न ही भुगतान करने के लिए सहमत होगा भले ही, भुगतान उसकी देनदारियों और दायित्वों की चुकौती से या अन्यथा संबंधित क्यों न हो, कोई समझौता या इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं करेगा और अपनी किसी भी संपत्ति या आस्ति को न तो बेचेगा, न अंतरित करेगा या अन्यथा रीति से उसका निपटान करेगा। बैंक को उसमें दिए गए शर्तों के अधीन ₹10,000/- की राशि तक जमा खाता में आहरण की अनुमति दी गई थी। 2 अप्रैल 2012 के निदेशों के आंशिक संशोधन में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 18 मई 2012 के अपने निर्देशन के अंतर्गत प्रत्येक जमाकर्ता को किसी भी नाम से जाने जानेवाले प्रत्येक बचत अथवा चालू खाता अथवा किसी अन्य जमा खाता में कुल शेष के ₹30,000/- (रुपये तीस हज़ार मात्र) (पहले से ही अनुमत ₹10,000/- सहित) से अधिक की राशि आहरित करने की अनुमति न दी जाए के बैंक के निदेशक की मद (i) को संशोधित किया। संशोधन में यह शर्त रखी गई कि जब भी ऐसे जमाकर्ता की किसी भी प्रकार से बैंक की देयताएं हैं अर्थात् उधारकर्ता अथवा जामिन के रूप में उक्त राशि को पहले संबंधित उधार खाता का समायोजन किया जाए। 18 मई 2012 के निदेश की प्रतिलिपि हित रखनेवाले जनता के सदस्यों के अवलोकनार्थ बैंक परिसर में प्रदर्शित की गई है। उक्त निर्देश 2 अप्रैल 2012 को कारोबार की समाप्ति से छह महीनों की अवधि के लिए लागू रहेंगे और यह समीक्षा के अधीन होंगे। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1852 |