बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 35ए के अंतर्गत निदेश - दि भूज मर्केन्टाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद (गुजरात) - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 35ए के अंतर्गत निदेश - दि भूज मर्केन्टाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद (गुजरात)
30 नवंबर 2012 बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 35ए भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (एएसीएस) की धारा 35ए के उप खण्ड (1) के अंतर्गत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए दि भूज मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद (गुजरात) को निश्चित निदेश दिए हैं जिनके द्वारा 2 अप्रैल 2012 को समाप्त कारोबार से उपर्युक्त बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित पूर्व अनुमोदन के बिना कोई ऋण तथा अग्रिम प्रदान नहीं करेगा या उनका नवीकरण नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, किसी देनदारी का वहन नहीं करेगा जिसमें निधियां उधार लेना और नए जमा स्वीकार करना शामिल है, किसी भी प्रकार का भुगतान नहीं करेगा या भुगतान करने के लिए सहमत नहीं होगा चाहे यह उसकी देनदारियों और दायित्वों अथवा किसी और कार्य के निपटान के लिए हो, कोई समझौता या किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं करेगा तथा 2 अप्रैल 2012 को आरबीआई के दिशानिर्देशों में अधिसूचित सीमा और तरीके को छोड़कर अपनी संपत्तियों या आस्तियों में से किसी की बिक्री, हस्तांतरण नहीं करेगा या किसी भी तरह से नहीं बेचेगा, बैंक को जमाखातों में ₹10000/- (रुपये दस हजार मात्र) तक की निकासी करने की अनुमति थी जिसे दिनांक 18 मई 2012 के उसी निर्देश के तहत बढ़ाकर ₹30000/- कर दिया गया। निर्देशों की वैधता को 21 सितंबर 2012 के निदेश के तहत 2 अप्रैल 2013 तक बढ़ा दिया गया है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 19 नवंबर 2012 के अपने निदेश के तहत दिनांक 2 अप्रैल 2012 के निदेश की मद (i) में संशोधन किया है तथा 18 मई 2012 के निदेश में संशोधन किया है, जिसमें बैंक को अनुमति दी गई है कि वह किसी भी नाम से प्रत्येक जमाकर्ता को ₹70000 (रुपये सत्तर हजार मात्र) (पहले से अनुमत रुपये 30000 सहित) तक की राशि निकालने की अनुमति दे बशर्तें कि कहीं भी ऐसा जमाकर्ता किसी भी तरीके अर्थात् एक उधारकर्ता या जमानती के रूप में बैंक के प्रति देनदारी रखता है, उस राशि को पहले संबंधित उधार खातों में समायोजित किया जा सकता है। 2 अप्रैल 2012 के निदेश की अन्य शर्तें वही हैं। 19 नवंबर 2012 के निदेश की एक प्रति रूचि लेने वाले सार्वजनिक सदस्यों के अनुमोदन हेतु बैंक के परिसर में लगा दी गई है। ये निर्देश 2 अप्रैल 2013 तक लागू रहेंगे और ये समीक्षा अधीन हैं। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/906 |