बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35ए के अंतर्गत निदेश– दि सुरी फ्रेन्ड्स यूनियन कॉ-ओपरेटिव बैंक लिमिटेड, बीरभूम, पश्चिम बंगाल - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35ए के अंतर्गत निदेश– दि सुरी फ्रेन्ड्स यूनियन कॉ-ओपरेटिव बैंक लिमिटेड, बीरभूम, पश्चिम बंगाल
9 मई 2014 बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35ए के अंतर्गत निदेश– दि सुरी फ्रेन्ड्स यूनियन कॉ-ओपरेटिव बैंक लिमिटेड, बीरभूम, पश्चिम बंगाल आमजनता की सूचना के लिए एतदद्वारा अधिसूचित किया जाता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए दि सुरी फ्रेन्ड्स यूनियन कॉ-ओपरेटिव बैंक लिमिटेड, बीरभूम, पश्चिम बंगाल को कुछ निदेश जारी किए हैं जिनके तहत उपर्युक्त बैंक 7 अप्रैल 2014 को कारोबार की समाप्ति से भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्व लिखित अनुमोदन प्राप्त किए बिना ऋण या अग्रिम प्रदान या या उसका नवीकरण नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, निधि उधार देने और नई जमाराशियां स्वीकार करने सहित कोई देयता वहन नहीं करेगा, अपनी देयताओं और बाध्यताओं को पूरा करने में किसी प्रकार का भुगतान नहीं करेगा या भुगतान करने के लिए सहमत होगा या अन्यथा रूप से कोई समझौता या करार नहीं करेगा तथा 28 मार्च 2014 के भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों, जिसकी एक प्रति आमजनता के अवलोकनार्थ बैंक परिसर में लगाई गई है, को छोड़कर अपनी किसी भी प्रकार की संपत्ति या परिसंपत्ति की बिक्री, अंतरण या अन्यथा रूप से निपटान नहीं करेगा। विशेषरूप से प्रत्येक बचत बैंक/चालू खाता या किसी अन्य प्रकार के जमा खाते की कुल शेषराशि में से ₹ 1,000/- (एक हजार रुपए मात्र) से अधिक निकालने की अनुमति नहीं होगी, ऐसा भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों में निर्धारित शर्तों के अधीन है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपर्युक्त निदेश जारी करने का अर्थ यह नहीं लिया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। बैंक अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक कुछ प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कारोबार जारी रखेगा। रिज़र्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर इन निदेशों में संशोधन करने पर विचार कर सकता है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/2179 |