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करेंसी नोटों को स्टेपल न करें - रिज़र्व बैंक की बैंकों और जनता से अपील

करेंसी नोटों को स्टेपल न करें - रिज़र्व बैंक की
बैंकों और जनता से अपील

25 फरवरी 2003

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों के लिए यह अनिवार्य किया है कि वे करेंसी नोट पैकेटों को स्टेपल करना बंद कर दें। रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 35ए के अधीन बैंकों को जनहित में एक निदेश जारी किया है। यह निदेश जनसाधारण को स्वच्छ और अच्छे नोट देने का प्रयास करता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकों और जनसाधारण को स्टेपलरहित नये नोटों की आपूर्ति करता आ रहा है। अलबत्ता, बैंक ने यह पाया कि जनसाधारण को ये नोट जारी करने से पहले बैंक इन नये नोटों को स्टेपल करते थे। साथ ही, बैंक पुनः जारी करने योग्य नोट पैकेटों पर मजबूत मोटे स्टील वायरों के एकाधिक स्टेपल लगाने की प्रणाली भी अपना रहे थे। इन एकाधिक स्टेपलों को निकालने के लिए जनता काफी दिक्कतें महसूस कर रही थी। इन स्टेपलों से लोगों के चोटग्रस्त होने के साथ-साथ नोटों का भी नुक्सान होता था। बैंक जनता से इस तरह के क्षतिग्रस्त नोट स्वीकार नहीं करते थे। इस तरह अच्छे नोटों को नुक्सान पहुंचाने में नोट स्टेपल करना प्रमुख कारण पाया गया।

भारतीय रिज़र्व बैंक और सरकार के पास नोटों को स्टेपल करने के विरुद्ध बहुत-सी शिकायतें प्राप्त हो रही थीं। बैंक द्वारा किये गये अध्ययन में यह पाया गया कि अन्य किसी भी देश में नोट पैकेट को स्टेपल करने की प्रणाली नहीं अपनायी जाती। भारतीय रिज़र्व बैंक 1998 से बैंकों को सूचित करता आ रहा है कि वे नोट पैकेटों को स्टेपल न करें। बैंकों द्वारा नोट पैकेटों को स्टेपल किये जाने पर प्रतिबंध लगाने संबंधी निदेश नवम्बर 2002 में जारी किया गया।

रिज़र्व बैंक द्वारा उठाये गये इस कदम का जनता ने व्यापक रूप से स्वागत किया है।

रिजॅर्व बैंक के कार्यालयों में बैंक की शाखाओं, सरकारी विभागों आदि से प्राप्त नोटों पर पूरी ओटोमेटिक प्रोसेसिंग मशीनों में क्लोज्ड़ सर्किट टेलीविज़न द्वारा प्रदान किये गये अत्यंत कड़े सुरक्षा वातावरण में प्रोसेस किया जाता है।

अल्पना किल्लावाला
महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2002-2003/891

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