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निधि अंतरण संबंधी बोगस ऑफर का शिकार न बने : भारतीय रिज़र्व बैंक की सलाह

28 मई 2010

निधि अंतरण संबंधी बोगस ऑफर का शिकार न बने : भारतीय रिज़र्व बैंक की सलाह

रिज़र्व बैंक ने 26 मई 2010 को सभी बैंकों को सूचित किया है कि वे ऐसे बोगस ऑफरों के संबंध में पूर्ण सावधानी बरतें और अत्यधिक सतर्क रहें जिनके लिए पुरस्कार राशि/इनाम राशि आदि के तथाकथित अंतरण के लिए लेनदेन प्रभारों आदि के रूप में भुगतान प्राप्त करने हेतु बैंक खाते खोले जाते है और/अथवा खातों में लेनदेन किया जाता हैं। रिज़र्व बैंक ने यह स्पष्ट किया है कि भारत में रहने वाला कोई भी व्यक्ति यदि भारत के बाहर से प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से इस प्रकार के भुगतानों के लिए किसी प्रकार के संग्रहण और लेनदेन करने/अंतरण करने में शामिल होता है तो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 काउल्लंघन करने के कारण उस पर कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही उन पर अपने ग्राहक को जानिए (केवायसी) मानदंडों /धन- शोधन निवारण (एएमएल) मानकों से संबंधित विनियमों का उल्लंघन करने के कारण भी कार्रवाई की जा सकती है।

रिज़र्व बैंक ने यह भी दोहराया है कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के अंतर्गत लॉटरी योजनाओं में सहभागी होने के लिए किसी भी प्रकार के विप्रेषण पर प्रतिबंध है। उक्त प्रतिबंध धनराशि वितरण योजना या पुरस्कार राशि/इनाम आदि प्राप्त करने के उद्देश्य से किये गये विप्रेषणों आदि जैसे विभिन्न नामों से प्रचलित लॉटरी जैसी योजनाओं में सहभागिता करने के लिए किये गये विप्रेषणों पर भी लागू हैं।

बैंकों को जारी अपने परिपत्र में रिज़र्व बैंक ने कहा है कि हाल ही में धोखेबाजों से सस्ती निधियों के संबंध में बोगस ऑफरों की वारदातें काफी बढ़ गई है। उक्त ऑफर पत्रों, ई-मेल, मोबाइल फोन, एसएमएस आदि द्वारा भेजे जा रहे हैं। धोखेबाजों की कार्यपद्धति का विवरण देते हुए रिज़र्व बैंक ने कहा है कि इस संबंध में सूचना रिज़र्व बैंक के फर्जी पत्र-शीर्षों (लेटर हेड) पर भेजी जा रही है और फंसाए जानेवाले लोगों को जानबूझकर बैंक के उच्च अधिकारियों/वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित किया हुआ दिखाया जा रहा है। काफा लोग इस प्रकार के लुभावने पेशकशों (ऑफरों) के शिकार बन चुके हैं और इस प्रक्रिया में उन्होंने काफी बड़ी धनराशि गंवायी हैं। इसके अलावा, रिज़र्व बैंक के ध्यान में यह भी लाया गया है कि धोखेबाज विभिन्न शीर्षों के तहत, जैसे प्रक्रिया शुल्क/लेनदेन शुल्क/कर निपटान प्रभार/अंतरण प्रभारों, क्लियरिंग शुल्कों आदि के रूप में भोले-भाले लोगों से पैसे की मांग करते हैं। धोखेबाज व्यक्तियों अथवा स्वामित्व प्रतिष्ठानों के नाम पर बैंकों की विभिन्न शाखाओं में लेनदेन प्रभार आदि की राशि प्राप्त करने के लिए कई खाते खोलते हैं। धोखेबाज अपने शिकारों को इन खातों में कुछ निश्चित धनराशि जमा कराने के लिए उनके पीछे पड़ते हैं। धनराशि जमा होते ही तत्काल निकाल ली जाती है और इसका शिकार व्यक्ति उलझन में पड़ जाता हैं।

रिज़र्व बैंक ने इससे पहले भी कई बार इस प्रकार की धोखाधड़ी वाली योजनाओं/ऑफरों के संबंध में प्रेस और इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से जनता को आगाह किया है। जनता को शिक्षित करने के लिए इस प्रकार के कई और अभियानों की योजना बनायी जा रही है। रिज़र्व बैंक ने बैंकों से अनुरोध किया है कि वे इस परिपत्र में निहित संदेश अपने संबंधित सहभागियों और ग्राहकों की जानकारी में लायें और इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करें।

जी. रधुराज
उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/1606

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