डॉ. वाइ. वी. रेड्डी ने भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला - आरबीआई - Reserve Bank of India
डॉ. वाइ. वी. रेड्डी ने भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला
6 सितंबर 2003 डॉ. यागा वेणुगोपाल रेड्डी ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला। डॉ. रेड्डी पांच वर्ष की अवधि के लिए गवर्नर बने रहेंगे। वे रिज़र्व बैंक के इक्कीसवें गवर्नर होंगे। भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के रूप में नियुक्ति से पहले डॉ. रेड्डी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के बोड़ पर भारत के कार्यपालक निदेशक थे। भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1964 की बैच के अधिकारी डॉ. रेड्डी ने अपने कैरियर का अधिकांश समय राज्य और केंद्रीय, दोनों स्तरों पर वित्त और योजना के क्षेत्रों में बिताया। उन्होंने वित्त मंत्रालय में सचिव (बैंकिंग), वाणिज्य मंत्रालय में अपर सचिव, भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव और आंध्र प्रदेश सरकार में प्रधान सचिव के रूप में कार्य किया है। वे विश्व बैंक में परामर्शदाता भी थे और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के राजकोषीय कार्यों में परामर्शदाताओं के पैनल पर भी वे रह चुके हैं। विकासशील प्रक्रिया में उनके अनुभव में चीन, बहरीन, इथिओपिया और तंज़ानिया को सलाह देना शामिल है। भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के रूप में नियुक्ति से पहले डॉ. रेड्डी ने भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में छह वर्ष के लिए कार्य किया है। दिनांक 14 सितंबर 1996 को पांच वर्ष की अवधि के लिए उप गवर्नर के रूप में नियुक्ति के बाद उनकी कार्यावधि सितंबर 2001 से दो और वर्षों के लिए बढ़ायी गयी। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत के कार्यपालक निदेशक के रूप में अगस्त 2002 से नियुक्ति के बाद, अलबत्ता उन्होंने जुलाई 2002 में उप गवर्नर का कार्यभार छोड़ दिया। रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में डॉ. रेड्डी ने मौद्रिक नीति, विनिमय दर नीति, आंतरिक और बाह्य ऋण प्रबंधन, विदेशी मुद्रा आरक्षित निधियों का प्रबंधन और आर्थिक अनुसंधान संबंधी कार्य देखे। सरकार के साथ कार्य करते समय डॉ. रेड्डी को व्यापक अनुभव मिला और उन्होंने वित्तीय क्षेत्र सुधार; व्यापार वित्त, भुगतान संतुलन और विनिमय दर पर निगरानी रखना, बाह्य वाणिज्यिक उधार, केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध, क्षेत्रीय आयोजना और सार्वजनिक उद्यम सुधार जैसे क्षेत्रों में योगदान दिया। डॉ. रेड्डी, उल्लेखनीय नीतिगत परिवर्तनों और संस्था निर्माणों जैसे कार्यों से निकट से जुड़े रहे। वे दो उच्चस्तरीय समितियों के सदस्य सचिव रहे। इनमें से एक भुगतान संतुलन पर और दूसरी सार्वजनिक क्षेत्र पर अपनिवेश से संबंधित थी। डॉ. सी. रंगराजन, भारतीय रिज़र्व बैंक के भूतपूर्व गवर्नर इन दोनों समितियों के प्रमुख थे। डॉ. रेड्डी बाह्य ऋण सांख्यिकी पर भारतीय रिज़र्व बैंक के नीतिगत दल के सदस्य भी थे। डॉ. रेड्डी शैक्षिक क्षेत्र में प्रबल प्रतिबद्धता रखते हैं और वित्त, आयोजना और सार्वजनिक उद्यम से संबंधित क्षेत्रों में उनके बहुतसे प्रकाशन प्रकाशित हुए हैं। अपनी शैक्षिक रुचि के कारण वे थोड़े समय के लिए लंदन स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स एंड पोलिटिकल सायन्स, लंदन के इंटरनैशनल रिलेशन्स डिपार्टमेंट में विज़िटिंग फेलो रह चुके हैं। वे उस्मानिया विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ बिज़नेस मैनेजमेंट में पूर्णकालिक यूजीसी विज़िटिंग प्रोफेसर रहे हैं, भारतीय प्रशासनिक स्टाफ महाविद्यालय में पूर्णकालिक विज़िटिंग फैकल्टी रहे है तथा अभी भी वे हैदराबाद के सेंटर फॉर इकॉनामिक एण्ड सोशल स्टडीज़ में ऑनररी सीनियर फेलो हैं। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी: 2003-2004/327 |