डीआरजी अध्ययन सं. 45: मुद्रास्फीति का प्रारंभिक स्तर - अवधारणा और मापन - आरबीआई - Reserve Bank of India
डीआरजी अध्ययन सं. 45: मुद्रास्फीति का प्रारंभिक स्तर - अवधारणा और मापन
24 मई 2021 डीआरजी अध्ययन सं. 45: भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर डीआरजी अध्ययन* जारी किया है जिसका शीर्षक है – “मुद्रास्फीति का प्रारंभिक (थ्रेशोल्ड) स्तर - अवधारणा और मापन" जारी किया। उक्त अध्ययन के सह-लेखक प्रोफेसर रवींद्र एच. ढोलकिया, डॉ. जय चंदर, श्रीमती. इप्सिता पाधी और श्री भानु प्रताप हैं। अध्ययन प्रारंभिक मुद्रास्फीति की अवधारणा की जांच करता है और इसे मुद्रास्फीति की दीर्घकालिक संतुलन दर के रूप में परिभाषित करता है जो मूल्यों की प्रासंगिक सीमा के भीतर स्थिर अवस्था वृद्धि को अधिकतम करता है। अध्ययन के अनुभवजन्य निष्कर्ष मोटे तौर पर उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में उच्च प्रारंभिक मुद्रास्फीति और उच्च विकास की पुष्टि करते हैं। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/265 *: मजबूत विश्लेषणात्मक और अनुभवजन्य आधार के सहयोग से वर्तमान रुचि के विषयों पर तीव्र और प्रभावी नीतिगत अनुसंधान करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग में विकास अनुसंधान समूह (डीआरजी) का गठन किया है। डीआरजी अध्ययन भारतीय रिज़र्व बैंक के बाहर के विशेषज्ञों तथा बैंक के अंदर अनुसंधान प्रतिभा के पूल के बीच सहयोगात्मक प्रयासों का परिणाम है। व्यावसायिक अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं के बीच रचनात्मक चर्चा करने की दृष्टि से इन अध्ययनों को व्यापक प्रचलन हेतु जारी किया जाता है। डीआरजी अध्ययन भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर ही जारी किए जाते हैं और इनकी कोई मुद्रित प्रतियां उपलब्ध नहीं होंगी। |