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अमेरिकी डॉलर और यूरो के लिए रिज़र्व बैंक की संदर्भ दर

‘इंटरेस्ट रेट मॉडलिंग एण्ड फोरकास्टिंग इन इंडिया’पर डीआरजी अध्ययन

20 नवंबर 2003

भारतीय रिज़र्व बैंक के विकास अनुसंधान समूह (डीआरजी) ने ‘इंटरेस्ट रेट मॉडलिंग एण्ड फोरकास्टिंग इन इंडिया’ नाम का एक अध्ययन प्रकाशित किया है। यह डीआरजी अध्ययन द्राृंखला में 24वां अध्ययन है। इस अध्ययन के लेखक दिल्ली स्कूल ऑफ इकानामिक्स की डॉ. पम्मी दुआ और रिज़र्व बैंक के आर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग की श्रीमती नीशिता राजे और डॉ. सत्यानन्द साहू हैं। डीआरजी अध्ययन द्राृंखला में नीति उन्मुख अध्ययन पर ज़ोर दिया जाता है। ये अध्ययन व्यावसायिक अर्थशास्त्रियों और मौजूदा रुचि के विषयों पर नीति निर्धारकों के बीच सृजनात्मक चर्चा करने की दृष्टि से व्यापक परिचालन के लिए जारी किये जाते हैं। इन अध्ययनों में व्यक्त विचार लेखकों के होते हैं और ये रिज़र्व बैंक के विचार नहीं दर्शाते।

सुधार अवधि के बाद के समय में वित्तीय बाज़ारों में क्रमिक रूप से नियमों को हटाये जाने, विशेष रूप से मौद्रिक नीति की कुशलतापूर्वक पहुंच को सुनिश्चित करने के संदर्भ के रूप में ब्याज दर को एक प्रमुख वित्तीय चल दर के रूप में माना जाता है जो उपभोक्ताओं, व्यापारियों, वित्तीय संस्थाओं, व्यावसायिक निवेशकों और नीति निर्धारकों के निर्णयों को प्रभावित करती है। ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव के अर्थव्यवस्था के कारोबारी चक्र पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ते हैं और ये आर्थिक नीति में वित्तीय गतिविधियों और परिवर्तनों को समझने के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं। इसलिए ब्याज दरों पर समय रहते पूर्वानुमान करने से वित्तीय बाज़ार सहभागियों और नीति निर्धारकों को बहुमूल्य जानकारी मिल जाती है।

इस पृष्ठभूमि में इस अध्ययन में यह प्रयास किया गया है कि अल्पावधि और दीर्घावधि दरों, कॉल-मनी दर, 15-91 दिवसीय खज़ाना बिल दरों तथा एक वर्ष, पांच वर्ष और दस वर्ष की (अवशिष्ट) अवधियों वाली सरकारी प्रतिभूतियों पर ब्याज दरों के पूर्वानुमान के लिए मॉडल विकसित किये जाएं। प्रत्येक ब्याज दर के लिए समान रूप से चलायमान (यूनिवेरिएट) और साथ ही साथ बहुविधि चलायमान (मल्टीवेरिएट) प्रतिमानों (मॉडलों) का मूल्यांकन किया गया था। यादृच्छिक चल-दर (रैंडम वॉक) (या प्रारंभिक (नेव)/naive) मॉडल को प्रत्येक मॉडल की निष्पादकता के पूर्वानुमान का मूल्यांकन करने के लिए बेंच-मार्क के रूप में इस्तेमाल किया गया था।

इस अध्ययन में अप्रैल 1997 से दिसंबर 2001 की अवधि के लिए साप्ताहिक (सेंकंडरी बाज़ार) डेटा का इस्तेमाल करते हुए वैकल्पिक प्रतिमानों (अल्टरनेट मॉडलों) की निष्पादकता के पूर्वानुमान की तुलना की गयी है। इन मॉडलों की जांच जनवरी 2002 से सितंबर 2002 के बीच नमूने के अतिरिक्त (आउट-ऑफ-सैंपल) शुद्धता के लिए की जाती है। इस अध्ययन का विशेष लक्षण बाएसीएन वैक्टर ऑटोरिग्रेसिव (बीवीएआर) मॉडलों पर व्यावहारिक एक्सरसाइज़ है। यह नोट किया जाए कि बीवीएआर मॉडल अलग-अलग परिवर्ती (वैरिएबल) के बीच और साथ ही साथ किसी विशेष परिवर्ती (वैरिएबल) के खण्डों (लैग्स) के बीच संबंधों पर पूर्व विश्वास (प्रतिबंध) लगाता है। चूंकि वे स्वतंत्र अड़चनों की अतिमानकीकरण (ओवरपैरामैट्रिज़ेशन) अथवा डिग्री से अप्रभावित रहते हैं। अत: इन मॉडलों को आमतौर पर पूर्वानुमान के लिए सामान्य वीएआर मॉडल की तुलना मे श्रेष्ठ समझा जाता है।

अध्ययन से पता चलता है कि बहुविधि चलायमान प्रतिमान (मल्टिवेरिएट मॉडल) आमतौर पर नेव और एकसमान चलायमान प्रतिमानों (यूनिवेरिएट मॉडलों) की तुलना में लंबी अवधियों के लिए बेहतर प्रदर्शन दिखाते हैं। चूंकि इस तर की अवधियों पर परिवर्तियों (वैरिएबल्स) पर अभिक्रिया (इंटरेक्शन) तथा निर्भरता बढ़ जाती है। मल्टिवेरिएट मॉडलों की श्रेणी में बीवीएआर मॉडल, कॉल मनी रेट (लंबी अवधि के पूर्वानुमान के लिए) और एक वर्षीय सरकारी प्रतिभूति दर (अल्प तथा लंबी अवधि के लिए) के पूर्वानुमान के लिए अच्छी तरह से काम करते हैं। वीएआर (स्तरों पर) खज़ाना बिल दरों और साथ ही साथ दस वर्षीय सरकारी प्रतिभूति दर के लिए अल्प तथा लंबी अवधि के लिए बेहतर काम करता है हालांकि दोनों ही मामलों में बीवीएआर मॉडलों का निष्पादन भी संतोषजनक है। इस संदर्भ में यह नोट करना महत्त्वपूर्ण है कि पहले वाले मॉडल को ढील देने से बयेसियन मॉडल सहकारकों पर सीमित प्रतिबंधों के साथ वीएआर माडल के पास पहुंच जाता है। दूसरी ओर, वैक्टर एरर करेक्शन मॉडल पांच वर्षीय सरकारी प्रतिभूति दर के लिए अल्पावधि तथा दीर्घावधि पूर्वानुमान क्षितिजों के लिए बेहतर परिणाम दर्शाता है। एआरएमए-जीएआरसीएच (ARMA-GARCH) मॉडल कॉल-मनी दर के लिए अल्पावधि पूर्वानुमान के लिए बेहतर परिणाम देता है।

कुल मिलाकर, अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि बीवीएआर मॉडलों की पूर्वानुमान निष्पादकता अधिकांश ब्याज दरों के लिए संतोषजनक है। अध्ययन द्वारा दी गयी वैकल्पिक (अल्टरनेटिव) ब्याज दरों के पूर्वानुमान के लिए ढांचे को नीति विषयक विचार-विमर्श के लिए निविष्टि के रूप में इस्तेमाल में लाया जा सकता है। यह अध्ययन भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट

http//www.rbi.org.in पर भी उपलब्ध है।

अल्पना किल्लावाला
महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2003-2004/645

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