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"एक खुली अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता के अंतर्गत मौद्रिक नीति, विदेशी मुद्रा बाज़ारों और प्रतिसूचना" विषय पर विकास अनुसंधान समूह का अध्ययन

3 सितंबर 2009

‘एक खुली अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता के अंतर्गत मौद्रिक नीति,
विदेशी मुद्रा बाज़ारों और प्रतिसूचना’ विषय पर विकास अनुसंधान समूह का अध्ययन

भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘एक खुली अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता के अंतर्गत मौद्रिक नीति, विदेशी मुद्रा बाज़ारों और प्रतिसूचना’ विषय पर विकास अनुसंधान समूह का अध्ययन जारी किया। यह अध्ययन प्रो. असीमा गोयल, इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान तथा रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्य (श्री अयप्पन नायर, सहायक महाप्रबंधक, वित्तीय बाज़ार विभाग और डॉ. अमरेश समंतराय, सहायक परामर्शदाता, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया है।

यह अध्ययन भारतीय विदेशी मुद्रा बाज़ारों में अपने हस्तक्षेप से उभर रही मौद्रिक नीति के लिए विकल्पों की जाँच करने का प्रयास करता है। भारत में विदेशी मुद्रा बाज़ारों और अपनी मौद्रिक नीति संस्थानों के वर्तमान व्यष्टि ढाँचे का संक्षिप्त सर्वेक्षण करने की शुरुआत करते हुए यह अध्ययन तेज़ गति से बढ़ रही उभरती बाज़रों में व्यापक अंतर सीमा प्रवाहों के साथ

इस अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष निम्नानुसार है :

  • एक अतिरिक्त नीति उपकरण के रूप में हस्तक्षेप को सहायता देते हुए हस्तक्षेप विनिमय के दोनों स्तर और इसके उतार-चढ़ाव को प्रभावित करते हैं।
  • व्यष्टि संरचना की चर-वस्तुओं के बीच निवल माँग अथवा आदेश प्रवाह विनिमय दर के स्तर को प्रभावित करते हैं जबकि व्यापारी आदेश प्रवाह और पण्यावर्त चर वस्तुएं और स्थिरता को प्रभावित करती है।
  • यद्यपि, हस्तक्षेप से पण्यावर्त में वृद्धि होती है, प्रत्याशित हस्तक्षेप यह प्रस्तावित करते हुए इसमें कमी लाता है कि यह भविष्य के हस्तक्षेप के बारे में सूचना प्रकट करने के लिए इष्टतम है। भविष्य की विनिमय दरें और हस्तक्षेप की प्रत्याशाएं स्थिर हो रही हैं और इसके प्रतिकूल नहीं हैं।
  • अनुमानित रणनीति बाज़ार व्यवहार और प्रतिदर्श व्युत्पनियाँ दोनों हस्तक्षेप का संकेत देती है और यह संकेत भारतीय संदर्भ में ब्याज दर परिवर्तनों की अपेक्षा विनिमय दरों पर अधिक सक्षम प्रभाव डाल सकता है।
  • बाज़ार हस्तक्षेप गतिविधि की प्रत्याशाओं का स्वरूप निर्धारित करते हैं और रणनीतिक रूप से इस पर कार्रवाई करते है। हस्तक्षेप के साथ व्यापरी पण्यावर्त में वृद्धि में रणनीतिक आंतर-दिवस अधिनिर्णय निहित हो सकता है जिसके द्वारा व्यापारियों और केंद्रीय बैंक के खर्च पर व्यापारी लाभ उठाते हैं।

[टिप्पणी: विकास अनुसंधान समूह (डीआरजी) का गठन वर्तमान अभिरूचि के विषयों पर मज़बूत विश्लेषणात्मक और अनुभवजन्य आधार के द्वारा समर्पित तीव्र और प्रभावी नीति-उन्मुख अनुसंधान करने के उद्देश्य से किया गया है। इन अध्ययनों में व्यक्त विचार इसके लेखकों के हैं और वे रिज़र्व बैंक के विचारों को नहीं दर्शाते हैं।

 जी. रधुराज
   उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/364

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