बाह्य वाणिज्यिक नीति संशोधित :समस्त लागत सीमा बढ़ाई गई; रुपया व्यय के लिए प्राप्त बाह्य वाणिज्यिक उधार तत्काल लाया जाए - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक नीति संशोधित :समस्त लागत सीमा बढ़ाई गई; रुपया व्यय के लिए प्राप्त बाह्य वाणिज्यिक उधार तत्काल लाया जाए
23 नवंबर 2011 बाह्य वाणिज्यिक नीति संशोधित :समस्त लागत सीमा बढ़ाई गई; वैश्विक वित्तीय बाज़ार में गतिविधियों और वर्तमान समष्टि आर्थिक स्थितियों के समीक्षा के उपरांत भारत सरकार के परामर्श से यह निर्णय लिया गया है कि बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति के कतिपय पहलुओं को निम्न प्रकार संशोधित किया जाए: (i) समस्त लागत सीमा में बढ़ोत्तरी बाह्य वाणिज्यिक उधार के लिए समस्त लागत को निम्न प्रकार संशोधित किया गया है
(ii) बाह्य वाणिज्यिक की आय को सुरक्षित रखना भारत में रुपया व्यय जैसेकि पूँजीगत वस्तुओं की स्थानीय रूप से प्राप्ति, स्व-सहायता समूहों अथवा माइक्रो ऋण के लिए अगला ऋण, स्पेक्ट्रम आबंटन आदि के भुगतान हेतु विदेशी में प्राप्त किए गए बाह्य वाणिज्यिक उधार की आय को भारत में प्राथमिक व्यापारी श्रेणी I बैंकों के पास रुपया खाते में जमा करने के लिए तत्काल लाया जाए। दूसरे शब्दों में केवल विदेशी मुद्रा व्यय के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधारों की आय को लंबित उपयोग के लिए विदेश में ही रोका जा सकता है। तथापि, जैसाकि अब तक होता रहा है, रुपया निधियों को पूँजी बाजारों, भू-संपदा अथवा अंतर-कंपनी उधारों में निवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति में ये संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे तथा समस्त लागत सीमा में बढ़ोतरी अगले संशोधन के अधीन 31 मार्च 2012 तक लागू रहेगी। विस्तृत अनुदेश 23 नवंबर 2011 के ए.पी.(डीआइआर श्रृंखला) परिपत्र सं.51 और 52 के अनुसार जारी कर दिए गए हैं। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/816 |