एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव - आरबीआई - Reserve Bank of India
एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव
हाल की अवधि के दौरान, भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 5 जनवरी 2024 के ए.पी. (डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 13 के आलोक में एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव (ईटीसीडी) बाज़ार में सहभागिता के बारे में कतिपय चिंताएं व्यक्त की गई हैं। यह ध्यातव्य है कि भारतीय रुपया (आईएनआर) से जुड़े ईटीसीडी में सहभागिता के लिए विनियामक ढांचा, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 के प्रावधानों और उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों द्वारा निर्देशित होता है, जिसके अंतर्गत यह अनिवार्य है कि आईएनआर से जुड़े मुद्रा डेरिवेटिव संविदा - दोनों ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) और एक्सचेंज ट्रेडेड - को केवल विदेशी विनिमय दर जोखिमों के एक्स्पोज़र की हेजिंग के उद्देश्य से अनुमति दी जाए। 18 फरवरी 2020 को संशोधित दिनांक 3 मई 2000 के विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदा) विनियमन, 2000 (दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. FEMA.25/RB-2000) में इस विनियामक ढांचे को दोहराया गया है, जिसमें कहा गया है कि कोई व्यक्ति केवल संविदागत एक्सपोज़र की हेजिंग के उद्देश्य से आईएनआर से जुड़ी ईटीसीडी संविदा को निष्पादित कर सकता है। कारोबार करने में आसानी के उद्देश्य से, भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 20 जून 2014 के ए.पी. (डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 147 द्वारा ईटीसीडी के उपयोगकर्ताओं को अंतर्निहित एक्स्पोज़र को साबित करने के लिए दस्तावेजी साक्ष्य प्रदान किए बिना प्रति एक्सचेंज 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक की पोजीशन लेने की अनुमति दी गई थी लेकिन एक्सपोज़र की आवश्यकता से कोई छूट नहीं दी गई थी। तदनुसार, उपयोगकर्ताओं से अपेक्षित है कि वे अंतर्निहित एक्सपोज़र की आवश्यकता का अनुपालन सुनिश्चित करें। प्रति एक्सचेंज 10 मिलियन अमेरिकी डालर की सीमा को बाद में संशोधित किया गया और वर्तमान में सभी एक्सचेंजों में संयुक्त रूप से 100 मिलियन अमेरिकी डालर की एकल सीमा है। दिनांक 08 दिसंबर 2023 को विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य में की गई घोषणा के अनुसार, सिद्धांत-आधारित व्यवस्था की शुरुआत करने की दृष्टि से, 2020 में विदेशी मुद्रा जोखिमों की हेजिंग को नियंत्रित करने वाले विनियामक ढांचे की व्यापक समीक्षा की गई थी। इस व्यापक समीक्षा, सार्वजनिक परामर्श, बाजार सहभागियों से प्राप्त फीडबैक और तब से प्राप्त अनुभव के आधार पर, सभी प्रकार के लेनदेन - ओटीसी और एक्सचेंज ट्रेडेड – से संबंधित विनियामक रूपरेखा को एक ही मास्टर निदेश में शामिल कर इसे और अधिक व्यापक बनाया गया है ताकि परिचालनगत दक्षता को बढ़ाया जा सके और विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव तक पहुंच को आसान बनाया जा सके। दिनांक 05 जनवरी 2024 का ए.पी. (डीआईआर सिरीज़) परिपत्र संख्या 13, मास्टर निदेश निर्धारित करता है और बिना किसी बदलाव के आईएनआर से जुड़े ईटीसीडी में सहभागिता के लिए विनियामक ढांचे को पुनः प्रस्तुत करता है। अब तक की तरह, वैध अंतर्निहित संविदागत एक्सपोज़र वाले प्रतिभागी अंतर्निहित एक्सपोज़र के दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए बिना 100 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा तक आईएनआर से जुड़े ईटीसीडी को निष्पादित करना जारी रख सकते हैं। अतः इस बात पर ज़ोर दिया जाता है कि ईटीडीसी से संबंधित विनियामक ढांचा पिछले कुछ वर्षों से एक समान रही है और भारतीय रिज़र्व बैंक के नीतिगत दृष्टिकोण में कोई बदलाव नहीं हुआ है। दिनांक 05 जनवरी 2024 के ए.पी. (डीआईआर सिरीज़ ) परिपत्र संख्या 13 में यह उल्लेख किया गया था कि ये व्यापक और समेकित निदेश 05 अप्रैल 2024 से लागू होंगे। प्राप्त फीडबैक और हालिया गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि ये निदेश शुक्रवार, 3 मई 2024 से लागू होंगे।
(योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/32
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