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विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

यह वक्तव्य (i) वित्तीय बाज़ार (ii) विनियमन (iii) भुगतान प्रणाली और फिनटेक से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपाय निर्धारित करता है।

I. वित्तीय बाज़ार

1. विदेशी मुद्रा जोखिमों से हेजिंग के लिए विनियामक ढांचे की समीक्षा

विदेशी मुद्रा जोखिमों की हेजिंग को नियंत्रित करने वाले विनियामक ढांचे की सिद्धांत-आधारित व्यवस्था में प्रवेश करने की दृष्टि से वर्ष 2020 में व्यापक समीक्षा की गई थी। बाज़ार सहभागियों से प्राप्त फीडबैक और तब से प्राप्त अनुभव के आधार पर, सभी प्रकार के लेनदेन - ओवर- दि -काउंटर (ओटीसी) और एक्सचेंज ट्रेडेड – संबंधी निदेशों को एक मास्टर निदेश के अंतर्गत समेकित करके विनियामक ढांचे को और अधिक व्यापक बनाया गया है। परिचालन दक्षता बढ़ाने और विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव तक पहुंच को आसान बनाने के लिए ढांचे को भी संशोधित किया गया है, विशेषकर छोटे एक्स्पोज़र वाले उपयोगकर्ताओं के लिए। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि आवश्यक जोखिम प्रबंधन विशेषज्ञता वाले ग्राहकों के एक व्यापक समूह को अपने जोखिम को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने की सुविधा दी जाए। मास्टर निदेश अलग से जारी किया जाएगा।

II. विनियमन

2. संबद्ध (कनेक्टेड) उधार के लिए रूपरेखा

संबद्ध उधार या ऐसे व्यक्तियों को उधार जो ऋणदाता के निर्णय को नियंत्रित करने या प्रभावित करने की स्थिति में हैं, यदि ऋणदाता ऐसे उधारकर्ताओं के साथ एक दूरी का संबंध बनाए नहीं रखता है तो यह चिंता का विषय हो सकता है। इस तरह के उधार में नैतिक खतरे के मुद्दे शामिल हो सकते हैं जिससे मूल्य निर्धारण और ऋण प्रबंधन में समझौता हो सकता है। इस मुद्दे पर मौजूदा दिशानिर्देशों का दायरा सीमित है और ये सभी विनियमित संस्थाओं पर समान रूप से लागू नहीं होते हैं। तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक की सभी विनियमित संस्थाओं के लिए संबद्ध ऋण पर एक एकीकृत विनियामक ढांचा लाने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में एक मसौदा परिपत्र जनता की टिप्पणियों के लिए जारी किया जाएगा।

3. ऋण उत्पादों के वेब-एकत्रीकरण के लिए विनियामक ढांचा

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 10 अगस्त 2022 की अपनी प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से डिजिटल ऋण पर कार्य समूह (अध्यक्ष: श्री जयंत कुमार दाश) की ऋण उत्पादों के वेब- एकत्रीकरण के लिए एक विनियामक ढांचा (डब्ल्यूएएलपी) लाए जाने की सिफारिश को स्वीकार कर लिया था। डब्ल्यूएएलपी में एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफ़ॉर्म पर कई ऋणदाताओं से ऋण प्रस्तावों का एकत्रीकरण शामिल है जो उधारकर्ताओं को उपलब्ध ऋणदाताओं में से किसी एक से ऋण प्राप्त करने हेतु सर्वोत्तम उपलब्ध विकल्प की तुलना करने और चुनने में सक्षम बनाता है।

कार्य समूह की सिफारिश के आधार पर, ऋण सेवा प्रदाताओं (एलएसपी) द्वारा दी जाने वाली ऐसी ऋण एकत्रीकरण सेवाओं को एक व्यापक विनियामक ढांचे के अंतर्गत लाने का निर्णय लिया गया है। यह ढांचा डब्ल्यूएएलपी के परिचालन में पारदर्शिता बढ़ाने, ग्राहक केंद्रितता बढ़ाने और उधारकर्ताओं को सूचित विकल्प चुनने में सक्षम बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा। विस्तृत दिशानिर्देश अलग से जारी किये जायेंगे।

III. भुगतान प्रणाली और फिनटेक

4. निर्दिष्ट श्रेणियों के लिए यूपीआई लेनदेन सीमा बढ़ाना

एकीकृत भुगतान इंटरफेस या यूपीआई की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। यूपीआई के लिए, पूंजी बाज़ार (एएमसी, ब्रोकिंग, म्यूचुअल फंड इत्यादि), संग्रहण (क्रेडिट कार्ड भुगतान, ऋण पुनर्भुगतान, ईएमआई), बीमा आदि जैसी कुछ श्रेणियों, जहां लेन-देन की सीमा ₹2 लाख है, को छोड़कर, लेनदेन की सीमा ₹1 लाख तक सीमित है। दिसंबर 2021 में, रिटेल डायरेक्ट योजना और आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए यूपीआई भुगतान की लेनदेन सीमा बढ़ाकर ₹5 लाख कर दी गई थी।

चिकित्सा और शैक्षिक सेवाओं के लिए यूपीआई के उपयोग को प्रोत्साहित करने हेतु, अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों को भुगतान की सीमा ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख प्रति लेनदेन करने का प्रस्ताव है। शीघ्र ही अलग से निर्देश जारी किये जायेंगे।

5. आवर्ती ऑनलाइन लेनदेन के लिए ई-अधिदेश - निर्दिष्ट श्रेणियों के लिए सीमा में वृद्धि

ग्राहक सुविधा के साथ डिजिटल लेनदेन की सुरक्षा और संरक्षा को संतुलित करने हेतु आवर्ती लेनदेन के लिए ई-अधिदेश के प्रसंस्करण का ढांचा अगस्त 2019 में जारी किया गया था। प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक (एएफए) के बिना ई-अधिदेश के निष्पादन की सीमा वर्तमान में ₹15,000/- है (अंतिम बार जून 2022 में अद्यतन किया गया)।

वर्तमान में पंजीकृत ई-अधिदेशों की संख्या 8.5 करोड़ है, जो प्रति माह लगभग ₹2800 करोड़ के लेनदेन का प्रसंस्करण करते हैं। यह प्रणाली स्थिर हो गई है, लेकिन म्यूचुअल फंड सब्सक्रिप्शन, बीमा प्रीमियम का भुगतान और क्रेडिट कार्ड बिल भुगतान जैसी श्रेणियों में, जहां लेनदेन की मात्रा ₹15,000 से अधिक है, इसे कम अपनाए जाने के कारण, सीमा बढ़ाने की आवश्यकता व्यक्त की गई है।

अतः, निम्नलिखित श्रेणियों, अर्थात म्यूचुअल फंड सब्सक्रिप्शन, बीमा प्रीमियम का भुगतान और क्रेडिट कार्ड बिलों के भुगतान के लिए ₹1 लाख तक के लेनदेन के लिए एएफए की आवश्यकता से छूट देने का प्रस्ताव है। अन्य मौजूदा आवश्यकताएं जैसे लेनदेन से पहले और बाद की अधिसूचनाएं, उपयोगकर्ता के लिए ऑप्ट-आउट सुविधा आदि इन लेनदेन पर लागू रहेंगी। संशोधित परिपत्र शीघ्र ही जारी किया जाएगा।

6. भारत में वित्तीय क्षेत्र के लिए क्लाउड सुविधा की स्थापना

बैंक और वित्तीय संस्थाएँ डेटा की लगातार बढ़ती मात्रा का रखरखाव करते हैं। उनमें से कई इस उद्देश्य के लिए विभिन्न सार्वजनिक और निजी क्लाउड सुविधाओं का उपयोग कर रहे हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक भारत में वित्तीय क्षेत्र के लिए क्लाउड सुविधा स्थापित करने पर कार्य कर रहा है। प्रस्तावित सुविधा वित्तीय क्षेत्र के डेटा की सुरक्षा, अखंडता और गोपनीयता को बढ़ाएगी। इससे मापनीयता (स्केलेबिलिटी) और व्यवसाय निरंतरता की सुविधा प्राप्त होने की भी आशा है। क्लाउड सुविधा की स्थापना और शुरुआत में संचालन भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी और संबद्ध सेवाएं (आईएफटीएएस) द्वारा किया जाएगा। बाद में, क्लाउड सुविधा को वित्तीय क्षेत्र के सहभागियों के स्वामित्व वाली एक अलग इकाई में अंतरित कर दिया जाएगा। इस क्लाउड सुविधा को मध्यम अवधि में सुविचारित तरीके से शुरू करने का इरादा है।

7. फिनटेक रिपॉजिटरी की स्थापना

एक आघात-सह फिनटेक क्षेत्र सुनिश्चित करने और सर्वोत्तम परिपाटी को बढ़ावा देने के लिए, विनियामकों और हितधारकों को फिनटेक संस्थाओं के बारे में उनकी गतिविधियों की प्रकृति सहित प्रासंगिक और सामयिक जानकारी रखने की आवश्यकता है। आज, फिनटेक डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/मशीन लर्निंग (एआई/एमएल) इत्यादि जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर रहे हैं। इस क्षेत्र को उचित समर्थन प्रदान करने के उद्देश्य से फिनटेक पारिस्थितिकी तंत्र की गतिविधियों की बेहतर समझ के लिए, फिनटेक के बारे में उनकी गतिविधियों, उत्पादों, प्रौद्योगिकी स्टैक, वित्तीय जानकारी आदि को शामिल करने वाली आवश्यक जानकारी प्राप्त करने के लिए एक रिपोजिटरी स्थापित करने का प्रस्ताव है। फिनटेक को स्वेच्छा से रिपॉजिटरी को प्रासंगिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा जो उचित नीति दृष्टिकोण डिजाइन करने में सहायता करेगा। रिपॉजिटरी की स्थापना रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब द्वारा अप्रैल 2024 या उससे पहले की जाएगी। इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश अलग से जारी किये जाएंगे।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1439

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