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विदेशी प्रत्यक्ष निवेश कंपनियों का वित्त, 2022-23

    आज, भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2,272 कंपनियों, जिन्होंने 2020-21 से 2022-23 तक तीन लेखा वर्षों के लिए भारतीय लेखा मानक (इंड-एएस) प्रारूप में रिपोर्ट किया, के लेखापरीक्षित वार्षिक लेखा के आधार पर वर्ष 2022-23 के दौरान भारत में गैर-सरकारी गैर-वित्तीय (एनजीएनएफ) विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) कंपनियों के वित्तीय कार्यनिष्पादन से संबंधित आंकड़े1 (https://cimsdbie.rbi.org.in/DBIE/#/dbie/reports/Statistics/Corporate%20Sector/Finances%20of%20FDI%20Companies) जारी किए। उनका आर्थिक क्षेत्र वर्गीकरण कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के एमजीटी-7 फॉर्म (https://www.mca.gov.in/MinistryV2/companyformsdownload.html) में रिपोर्ट की गई प्रमुख कारोबारी गतिविधि पर आधारित है, जो इन आंकड़ों का प्राथमिक स्रोत है।

    इन कंपनियों की चुकता पूंजी (पीयूसी) ₹ 5,44,014 करोड़ थी, जो भारतीय प्रत्यक्ष निवेश कंपनियों की विदेशी देयताओं और आस्तियों संबंधी भारतीय रिज़र्व बैंक की वार्षिक गणना के 2022-23 दौर में रिपोर्ट की गई एफडीआई कंपनियों के कुल पीयूसी का 56.9 प्रतिशत था।

मुख्य बातें

  • लगभग आधी नमूना कंपनियों को सिंगापुर, मॉरीशस और संयुक्त राज्य अमेरिका से प्रत्यक्ष निवेश प्राप्त हुआ; जापान, नीदरलैंड और यूनाइटेड किंगडम अन्य प्रमुख एफडीआई स्रोत देश थे। नमूना कंपनियों का एक बड़ा हिस्सा विनिर्माण, तथा सूचना और संचार क्षेत्रों से संबंधित था (विवरण 1)।

बिक्री

  • कंपनियों की गतिविधियों में महामारी पश्चात बहाली में 2022-23 के दौरान और अधिक समेकन हुआ तथा नमूना कंपनियों की निवल बिक्री में पिछले वर्ष की 28.6 प्रतिशत की संवृद्धि के बाद 21.1 प्रतिशत दर्ज की गई (विवरण 2)।
  • प्रमुख विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों (थोक और खुदरा व्यापार को छोड़कर) ने लगातार दूसरे वर्ष दोहरे अंक में बिक्री संवृद्धि दर्ज की (विवरण 7)।

व्यय

  • आर्थिक गतिविधियों के मजबूत होने से 2022-23 के दौरान कच्चे माल के व्यय में 20.7 प्रतिशत की संवृद्धि दर्ज की गई; परिचालन व्यय में भी पिछले वर्ष की 31.3 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले 20.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई; विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में समान प्रवृत्ति देखी गई (विवरण 2 और 7)।
  • चयनित कंपनियों के कुल व्यय में अनुसंधान और विकास (0.09 प्रतिशत) तथा रॉयल्टी भुगतान (1.11 प्रतिशत) की हिस्सेदारी में पिछले दो वर्षों में मामूली कमी आई है (विवरण 4)।
  • बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियों के साथ कर्मचारियों का पारिश्रमिक व्यय बढ़ गया; विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि (13.1 प्रतिशत) की तुलना में जनशक्ति गहन सेवा क्षेत्र में उच्च वृद्धि (24.3 प्रतिशत) दर्ज की गई (विवरण 7)।

लाभ

  • चयनित फर्मों ने 2022-23 के दौरान मजबूत लाभ दर्ज किया: उनके परिचालन लाभ और कर-पश्चात लाभ में क्रमशः 17.5 प्रतिशत और 45.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। निजी लिमिटेड एफडीआई कंपनियों ने सार्वजनिक लिमिटेड एफडीआई कंपनियों की तुलना में उच्च लाभ संवृद्धि दर्ज की (विवरण 2 और 9)।
  • विनिर्माण क्षेत्र की तुलना में सेवा क्षेत्र ने उच्चतर लाभ संवृद्धि दर्ज की (विवरण 7)।
  • समग्र स्तर पर, जबकि परिचालन लाभ मार्जिन पिछले दो वर्षों के दौरान क्रमिक रूप से कम हुआ, जबकि निवल लाभ मार्जिन पिछले वर्ष के 4.9 प्रतिशत और 2020-21 के दौरान 3.2 प्रतिशत से बढ़कर 5.9 प्रतिशत हो गया (विवरण 3)।

लीवरेज

  • नमूना एफडीआई कंपनियों के लीवरेज (ऋण की तुलना में इक्विटी अनुपात के संदर्भ में मापा जाता है) में गिरावट जारी रही और 2022-23 के दौरान 39.9 प्रतिशत रहा; विनिर्माण कंपनियों के लिए यह 19.3 प्रतिशत और सेवा कंपनियों के लिए 54.1 प्रतिशत था (विवरण 3 और 10)।
  • समग्र स्तर पर, ब्याज व्याप्ति अनुपात2 में सुधार जारी रहा, क्योंकि व्यावसायिक गतिविधियाँ बढ़ीं और सकल लाभ में संवृद्धि ने ब्याज व्यय में वृद्धि को पीछे छोड़ दिया (विवरण 2 और 3)।

निधि के स्रोत एवं उपयोग

  • 2022-23 के दौरान नमूना एफडीआई कंपनियों के अतिरिक्त निधीयन में बाह्य स्रोतों का हिस्सा 52.7 प्रतिशत था (पिछले वर्ष में 58.0 प्रतिशत)। पूंजी, अन्य इक्विटी और प्रावधानों ने आंतरिक स्रोतों को उच्चतर राहत प्रदान की, जबकि बाहरी स्रोतों में 'शेयर पूंजी और प्रीमियम' पर निर्भरता कम हो गई (विवरण 6ए)।
  • वर्ष के दौरान, 56 प्रतिशत नई निधियों का उपयोग सकल पूंजी निर्माण में किया गया (2021-22 में 35
  • प्रतिशत); निधियों के अन्य प्रमुख उपयोगों में प्राप्य, माल-सूची और नकद एवं नकद समकक्ष शामिल हैं (विवरण 6बी)।

विवरणों के व्याख्यात्मक नोट अनुबंध में दिए गए हैं।

अजीत प्रसाद      
उप महाप्रबंधक (संचार)

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/380


[1] शृंखला में जारी पिछले आंकड़े 31 मार्च 2023 को प्रकाशित किए गए थे, जो वर्ष 2019-20 से 2021-22 के लिए 2,206 एफ़डीआई कंपनियों के वित्त पर आधारित थे।
[2] आईसीआर, ब्याज एवं कर-पूर्व अर्जन (ईबीआईटी) और ब्याज व्यय का अनुपात, किसी कंपनी की कर्ज चुकौती क्षमता का एक माप है।

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